रावघाट खदान का विरोध, प्रदर्शनकारियों की कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने की कोशिश, बल प्रयोग

नारायणपुर. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में रावघाट लौह अयस्क खनन परियोजना का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय परिसर में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई. इस झड़प में दोनों पक्षों के लोगों को चोट पहुंचने की सूचना है. राज्य के नारायणपुर और कांकेर जिले की सीमा में रावघाट पहाड़ियों पर खनन परियोजना के खिलाफ रावघाट संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीण पिछले शनिवार से खोड़गांव (नारायणपुर) गांव में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
जिले के अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण शुक्रवार को जिले के ंिबजली गांव में एकत्र हुए और परियोजना पर रोक लगाने की मांग समेत अन्य मांगों को लेकर नारायणपुर शहर में कलेक्टर कार्यालय की ओर मार्च किया. अधिकारियों ने बताया कि मार्च कर रहे ग्रामीणों को पुलिस ने रोकने की कोशिश की लेकिन भीड़ दो जगहों पर बैरिकेड को तोड़कर कलेक्टर कार्यालय के सामने पहुंच गई. उन्होंने बताया कि वहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें शांत करने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि इसके बाद प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी से मिलने के लिए कार्यालय परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई. इसी बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर घुसने की कोशिश की, जिससे उनके और पुलिस के बीच झड़प हो गई.
अधिकारियों ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस र्किमयों को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग करना पड़ा. उन्होंने बताया कि बाद में कलेक्टर ने अपने कक्ष से बाहर आकर प्रदर्शनकारियों को उनकी मांगों के संबंध में आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया. इधर सोशल मीडिया में जारी वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा है कि लाठीचार्ज में कुछ प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं. वहीं पुलिस का दावा है कि इस दौरान पुलिस र्किमयों को भी चोटें आई हैं.
नारायणपुर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की. इस बीच हुई धक्का मुक्की में लगभग 10 पुलिसर्किमयों को चोटें आई हैं. उन्हें स्थानीय अस्पताल में भेजा गया है.
राज्य के राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि क्षेत्र के आदिवासी रावघाट पहाड़ी को अपना देवता राजाराव बाबा मानते हैं. वे अपने पूजा स्थल में खनन गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे.
ज्ञापन में कहा गया है कि क्षेत्र के लोग रावघाट पहाड़ियों से आजीविका के लिए लघु वनोपज एकत्र करते हैं. इसमें कहा गया है कि क्षेत्र में खनन उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत छीन लेगा. इसके अनुसार खनन से 22 से अधिक गांव प्रभावित होंगे और इससे क्षेत्र में प्रदूषण होगा तथा लोगों का विस्थापन होगा.
खनन परियोजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) जिसे रावघाट खदानें आवंटित की गई हैं, को इस वर्ष जनवरी में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अंजरेल क्षेत्र (नारायणपुर जिला) से तीन लाख टन प्रति वर्ष लौह अयस्क खनन करने की अनुमति मिली है. उनका कहना है कि लौह अयस्क का सड़कों के माध्यम से परिवहन हो रहा है लेकिन, किसी भी प्रभावित गांव की ग्राम सभा ने इसकी सहमति नहीं दी है. भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि अंजरेल में खनन के लिए सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त की गई है.
भारतीय इस्पात प्राधिकरण की इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों ने बताया कि इस्पात संयंत्र के लिए रावघाट लौह अयस्क परियोजना महत्वपूर्ण है, क्योंकि संयंत्र के मौजूदा खदानों में अयस्क कम हो रहा है. कंपनी ने वर्ष 2012 में खदान के लिए पर्यावरण मंजूरी और वन मंजूरी प्राप्त कर ली थी. कंपनी लौह अयस्क के परिवहन के लिए दल्लीराजहरा से रावघाट तक रेल लाइन नेटवर्क बनाने और अन्य विकास के कार्य के लिए पर्याप्त राशि का निवेश कर रही है.
उन्होंने बताया कि अंजरेल ब्लॉक में कम मात्रा में खनन हो रहा है. यह रावघाट खनन क्षेत्र के दक्षिणी भाग में है. इसके लिए सभी आवश्यक मंजूरी मिल गई है और राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद वहां खनन कार्य शुरू किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि अंजरेल में खनन के लिए वर्ष 2019 और 2021 में दो बार स्थानीय ग्राम सभा और ग्राम पंचायत से भी सहमति ली गई थी. उन्होंने कहा कि दल्लीराजहरा-रावघाट रेल लाइन परियोजना के पूरा होने के बाद वर्ष 2024-25 तक मुख्य रावघाट क्षेत्र में खनन कार्य शुरू होने की संभावना है.
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