
अयोध्या. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यहां राम मंदिर ध्वजारोहण को ‘युगांतकारी’ क्षण की संज्ञा देते हुए कहा कि ‘सदियों के जख्म और दर्द भर रहे हैं’ क्योंकि 500 साल पुराना संकल्प आखिरकार राम मंदिर के औपचारिक निर्माण के साथ पूरा हो रहा है.
मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के बाद अपने संबोधन में कहा कि ”राम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, एक मूल्य हैं, एक मर्यादा हैं, एक दिशा हैं और अगर भारत को 2047 तक विकसित बनाना है, अगर समाज को शक्तिशाली बनाना है तो हमें अपने भीतर राम को जगाना होगा.” इसके पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को भगवान श्री रामलला की भव्य-दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई थी.
मोदी ने भगवान राम के आदर्शों का उल्लेख करते हुए कहा, ”हमें अपने भीतर के राम की समीक्षा करनी होगी. इस संकल्प के लिए आज से बेहतर दिन क्या हो सकता है.” राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण समारोह में मोदी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “सदियों के घाव और दर्द आज भर रहे हैं और 500 साल पुराना संकल्प पूरा हो रहा है.” इससे पहले रामनगरी पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी का जोरदार स्वागत हुआ. ‘जय श्री राम’ और ‘जय जय हनुमान’ नारों के बीच अयोध्यावासियों ने प्रधानमंत्री के काफिले पर पुष्प वर्षा की.
इस पल को “युगांतकारी” बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या एक और ऐतिहासिक पड़ाव देख रहा है. उन्होंने कहा “पूरा देश और दुनिया भगवान राम में डूबी हुई है.” उन्होंने कहा, ”आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष-बिंदु की साक्षी बन रही है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर ध्वजारोहण उत्सव का यह क्षण अद्वितीय और अलौकिक है.” मोदी ने कहा कि पवित्र ध्वज इस बात का सबूत होगा कि “असत्य पर आखिरकार सत्य की जीत होती है.” उन्होंने मंदिर निर्माण में योगदान देने वालों का उल्लेख करते हुए इस अवसर पर कहा, ”मैं इस खास मौके पर राम भक्तों को बधाई देता हूं, उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने राम मंदिर निर्माण में दान दिया या किसी भी तरह से मदद की.”
प्रधानमंत्री ने समारोह में यह भी कहा, ”2047 तक जब हम भारत की आजादी के 100 साल पूरे कर लेंगे, तो हमें एक विकसित भारत बनाना होगा.” उन्होंने कहा, ”हमें याद रखना है जो सिर्फ वर्तमान का सोचते हैं, वे आने वाली पीढि.यों के साथ अन्याय करते हैं. हमें वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढि.यों के बारे में सोचना है क्योंकि जब हम नहीं थे, यह देश तब भी था. जब हम नहीं रहेंगे, यह देश तब भी रहेगा.” मोदी ने कहा, ”हमें एक जीवंत समाज के लिए दूर दृष्टि से काम करना होगा.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ”यह मंदिर आस्था के साथ मित्रता, कर्तव्य व सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को शक्ति देते हैं. हमारे राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं. उनके लिए व्यक्ति का कुल नहीं, भक्ति महत्वपूर्ण है.” प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा, ”11 वर्षों में महिला, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, श्रमिक, युवा हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखा गया है. जब देश का हर व्यक्ति, वर्ग, क्षेत्र सशक्त होगा, तब संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगेगा. 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब सबके प्रयास से ही हमें विकसित भारत का निर्माण करना होगा.”
उन्होंने कहा, ”आज से 190 साल पहले 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज ने भारत को उसकी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोये थे. कुछ दिन पहले हमने एक कार्यक्रम में आग्रह किया था कि आने वाले 10 वर्षों में भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे.” मोदी ने कहा, ”देश को आगे बढ़ना है तो अपनी विरासत पर गर्व करना होगा. हमें गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होना होगा.”
मोदी ने कहा, ”’आज राम मंदिर के प्रांगण में हमारी स्मृति की वापसी है, हमारी अस्मिता का पुनर्जागरण है.” प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैकाले ने जो कुछ सोचा था……हमें आजादी मिली लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली. हमारे यहां एक विकार आ गया कि विदेश की हर व्यवस्था अच्छी है और हमारी जो अपनी चीजें हैं, उनमें खोट ही खोट है. गुलामी की यही मानसिकता है.” उन्होंने कहा, ”कहा गया कि हमारा संविधान विदेश से प्रेरित है, जबकि सच्चाई यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है. लोकतंत्र हमारे ”डीएनए” में है.” ध्वजारोहण समारोह को ऐतिहासिक करार देते हुए मोदी ने कहा, ”यह धर्म ध्वजा केवल ध्वजा नहीं, यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है. इसका भगवा रंग, इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति, र्विणत शब्द ‘ओम” और अंकित कोविदार वृक्ष राम राज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करते हैं. यह ध्वज संकल्प है, यह ध्वज सफलता है, यह ध्वज संघर्ष से सृजन की गाथा है, यह ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है.” उन्होंने विस्तार से ध्वज की महिमा का बखान करते हुए कहा, ”यह ध्वज संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणति है. साथियों, आने वाली सदियों और सहस्र शताब्दियों तक यह धर्म ध्वज प्रभु राम के आदर्शों और सिद्धांतों का जयघोष करेगा, यह धर्म ध्वज आ”ान करेगा ”सत्यमेव जयते” यानी जीत सत्य की ही होती है असत्य की नहीं.” मोदी ने कहा, ”यह धर्म ध्वज हमें संकल्पित करेगा कि हम ऐसा समाज बनाएं जहां गरीबी न हो, कोई दुखी और लाचार न हो.” उन्होंने ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा कि जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आ पाते और दूर से मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है.
उन्होंने कहा कि यह धर्म ध्वज इस मंदिर के ध्येय का प्रतीक है और यह दूर से ही राम लला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा तथा युगों-युगों तक प्रभु श्रीराम के आदर्शों और प्रेरणा को मानव मात्र तक पहुंचाएगा. प्रधानमंत्री ने संपूर्ण विश्व के करोड़ों राम भक्तों, मंदिर निर्माण में सहयोग करने वाले दानवीरों, निर्माण से जुड़े हर श्रमवीर, हर कारीगर, हर योजनाकार, हर वास्तुकार सभी का अभिनंदन करते हुए कहा, ”अयोध्या वह भूमि है जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं. इसी अयोध्या ने संसार को बताया कि एक व्यक्ति कैसे समाज की शक्ति और उसके संस्कारों से पुरुषोत्तम बनता है.”
मोदी ने कहा, ”राम अयोध्या से वनवास पर गए तो युवराज राम थे, लेकिन जब लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर आए. उनके मर्यादा पुरुषोत्तम बनने में मर्हिष वशिष्ठ का ज्ञान, मर्हिष विश्वामित्र की शिक्षा, मर्हिष अगस्त्य का मार्गदर्शन, निषाद राज की मित्रता, मां शबरी की ममता, समर्पण इन सबकी, अनगिनत लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.” मोदी ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए समाज की सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ”मुझे खुशी है कि राम मंदिर का प्रांगण भारत के सामूहिक सामथ्र्य की भी चेतना स्थली बन रहा है. यहां सप्त मंदिर बने हैं, यहां माता शबरी का मंदिर है जो जनजातीय समाज के प्रेम भाव और आतिथ्य परंपरा की प्रतिमूर्ति है. यहां निषाद राज का मंदिर है जहां उनकी मित्रता की भावना को पूजा जाता है.”
उन्होंने कहा, ”आज हर देशवासी से कहूंगा कि वह जब भी राम मंदिर आएं तो सप्त मंदिर के दर्शन अवश्य करें. यह मंदिर हमारी आस्था के साथ-साथ मित्रता और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को शक्ति देता है.” इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज, कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज समेत देश-प्रदेश से आए संत व गणमान्य नागरिक आदि मौजूद रहे. संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने किया.



