रामनवमी के अवसर पर अयोध्या में किया गया रामलला का ‘सूर्य तिलक’

अयोध्या. रामनवमी के अवसर पर बुधवार को अयोध्या में रामलला का ‘सूर्य तिलक’ दर्पण और लेंस से युक्त एक विस्तृत तंत्र के माध्यम से किया गया. इस तंत्र के जरिए सूर्य की किरणें राम की मूर्ति के माथे पर पहुंचीं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ‘सूर्य तिलक’ देखा.

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा,”नलबाड़ी की सभा के बाद मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत और अप्रतिम क्षण को देखने का सौभाग्य मिला. श्रीराम जन्मभूमि का यह बहुप्रतीक्षित क्षण हर किसी के लिए परमानंद का क्षण है. यह सूर्य तिलक, विकसित भारत के हर संकल्प को अपनी दिव्य ऊर्जा से इसी तरह प्रकाशित करेगा.” उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर ‘सूर्य तिलक’ देखते हुए अपनी दो तस्वीरें भी साझा कीं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आधिकारिक हैंडल ‘एक्स’ पर ‘सूर्य तिलक’ का एक वीडियो साझा किया और लिखा,” सत्यसंधान, निर्वानप्रद, सर्वहित, सर्वगुण-ज्ञान-विज्ञानशाली. सघन-तम-घोर-संसार-भर-शर्वरी नाम दिवसेश खर-किरणमाली॥” उन्होंने कहा,”सूर्यकुल भूषण श्री रामलला के ललाट पर सुशोभित भव्य ‘सूर्य तिलक’ आज अखिल राष्ट्र को अपने सनातन गौरव से आलोकित कर रहा है. जय जय श्री राम.” प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 22 जनवरी को उद्घाटन किए गए नए मंदिर में राम मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है.

मंदिर के प्रवक्ता प्रकाश गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”सूर्य तिलक लगभग चार-पांच मिनट के लिए किया गया था जब सूर्य की किरणें सीधे राम लला की मूर्ति के माथे पर केंद्रित थीं.” गुप्ता ने कहा, “मंदिर प्रशासन ने भीड़-भाड़ से बचने के लिए सूर्य तिलक के समय भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश करने से रोक दिया.” सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. डी पी कानूनगो ने कहा, “योजना के अनुसार दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया गया.” गर्भगृह के बाहर इंतजार कर रहे भक्तों ने ‘सूर्य तिलक’ के दौरान भगवान राम के नारे लगाए, जबकि पुजारी ने अंदर आरती की.

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस अवसर पर राम लला की मूर्ति को टिकाऊ कीमती रत्नों से बना मुकुट पहनाया गया. मुकुट एप्पल ग्रीन डायमंड द्वारा बनाया गया था, जो एक ऐसी कंपनी है जो पुन: क्रिस्टलीकृत रत्नों में माहिर है. जिले के अधिकारियों ने कहा कि हजारों भक्त सुबह होने से पहले ही पूजा करने के लिए मंदिर में कतार में लग गए. जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए विशेष व्यवस्था की है. ‘सूर्य तिलक’ से संबंधित इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किया था.

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ एस के पाणिग्रही ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था,”सूर्य तिलक परियोजना का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन श्री राम की मूर्ति के मस्तक पर एक तिलक लगाना है. परियोजना के तहत, श्री रामनवमी के दिन दोपहर के समय भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी लाई जाएगी.” उन्होंने बताया था, ”सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा. हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है.” उन्होंने कहा कि विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है.

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