जानेमाने साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

रायपुर. छत्तीसग­ढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्ल के शीघ्र स्वस्थ होने और उनके दीर्घायु होने की कामना की है.

शुक्ल के पुत्र शाश्वत शुक्ल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सोमवार 27 तारीख को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद शुक्ल (89) को रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. शाश्वत शुक्ल ने बताया कि शुक्ल इस महीने की 15 तारीख को रक्तचाप ब­ढ़ने के बाद गिर गए थे तथा उनकी नाक में चोट लग गई थी. उन्होंने बताया कि उसके बाद शुक्ल 17 तारीख तक अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने बताया कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद शुक्ल का घर पर ही उपचार किया जा रहा था.

उन्होंने बताया कि सोमवार 27 तारीख को जब विनोद कुमार शुक्ल को सांस लेने में तकलीफ हुई तब उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. उन्होंने बताया कि शुक्ल की तबीयत पहले से बेहतर है. शाश्वत ने बताया कि शुक्ल को ऑक्सीजन दिया जा रहा है तथा इसी हालत में उनका लेखन कार्य भी जारी है.

अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने वरिष्ठ साहित्यकार शुक्ल के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है. उन्होंने बताया कि साय ने शुक्ल के पुत्र शाश्वत शुक्ल से दूरभाष पर बात की और शुक्ल के स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त की. अधिकारियों के अनुसार साय ने कहा है कि विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसग­ढ़ की साहित्यिक परंपरा की अमूल्य धरोहर हैं और ”उनका सृजन हमारी भाषा, संवेदना और संस्कृति की आत्मा है.” मुख्यमंत्री ने कहा है, ”प्रभु श्री राम से शुक्ल के शीघ्र स्वस्थ होने और उनके दीर्घायु की कामना की है.” ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘एक चुप्पी जगह’ जैसे उपन्यासों के रचयिता विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. शुक्ल हिंदी के कवि, कथाकार और उपन्यासकार हैं. एक जनवरी 1937 को छत्तीसग­ढ़ के राजनांदगांव में जन्मे शुक्ल हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट कथा शिल्प और कविता में अपनी अनूठी भाषा के लिए विख्यात हैं.

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