धर्मांतरण रोकने के लिए IPC, CRPC में संशोधन का निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध

नयी दिल्ली. धमकी या तोहफे और मौद्रिक लाभ का प्रलोभन देकर किये जाने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन का निर्देश देने के वास्ते उच्चतम न्यायालय में एक नयी अर्जी दायर की गई है. अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक लंबित याचिका में यह अर्जी दायर करते हुए कहा है कि उन्होंने केंद्रीय गृह और कानून एवं न्याय मंत्रालयों को 31 अगस्त 2022 को धर्मांतरण के मुद्दे पर एक विस्तृत प्रतिवेदन सौंपा था.

उन्होंने धार्मिक उपदेशकों और विदेशी मिशनरी के लिए वीजा नियमों तथा विदेश से वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और व्यक्तियों के लिए विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) नियमों की समीक्षा के वास्ते निर्देश देने का भी अनुरोध किया.
अधिवक्ता अश्विनी दुबे के मार्फत दायर अर्जी में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि भयादोहन, धमकी, तोहफे, मौद्रिक लाभ के प्रलोभन, स्कूल में दाखिला/मेडिकल फायदों जैसी मदद की पेशकश करने से तथा अंधविश्वास या काला जादू के इस्तेमाल द्वारा धर्मांतरण के कारण कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गये हैं.’’

शीर्ष न्यायालय ने पूर्व में कहा था कि जबरन धर्मांतरण कराने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है और इससे नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप होता है. साथ ही, केंद्र को इस बहुत गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए गंभीर प्रयास करने के लिए कदम उठाने को कहा था. न्यायालय ने इस विषय पर सुनवाई 28 नवंबर के लिए निर्धारित कर दिया था.

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