सावरकर के निर्भीक, स्वाभिमानी स्वभाव को गुलामी की मानसिकता रास नहीं आती थी: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने दी सावरकर को श्रद्धांजलि
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को विनायक दामोदर सावरकर के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वभाव को गुलामी की मानसिकता बिलकुल भी रास नहीं आती थी. उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सावरकर की जयंती पर उन्हें याद किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”आज वीर सावरकर जी की जयंती है. उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएं आज भी हम सबको प्रेरित करती हैुं. मैं वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहां वीर सावरकर ने काला पानी की सजा काटी थी.” उन्होंने कहा, ”वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था. उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वभाव को गुलामी की मानसिकता बिलकुल भी रास नहीं आती थी. स्वतंत्रता आंदोलन में ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है.”
प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने दी सावरकर को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने वी. डी. सावरकर को उनकी जयंती पर पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में पुष्पांजलि अर्पित की. प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद केंद्रीय कक्ष में सावरकर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की. सावरकर को श्रद्धांजलि देने के लिए कई केंद्रीय मंत्री और सांसद भी प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय कक्ष पहुंचे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, ” अपने विचारों से असंख्य भारतीयों के हृदय में देशभक्ति का दीप प्रज्वलित करने वाले उत्कृष्ट राष्ट्रभक्त वीर सावरकर जी की जयंती पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन. वीर सावरकर जी की देशभक्ति, त्याग व समर्पण वंदनीय है और युगों-युगों तक देशवासियों को प्रेरणा देने का काम करता रहेगा.” सावरकर का जन्म 1883 में महाराष्ट्र में हुआ था. उन्हें हिंदुत्व विचारधाराओं वाले दल और संगठन एक नायक मानते हैं.