
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद के लिए चुने गए उम्मीदवारों के नामों का सार्वजनिक खुलासा करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हालांकि झारखंड और हिमाचल प्रदेश सहित राज्यों को निर्देश दिया कि वे राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों को तुरंत भरने का प्रयास करें.
याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज और अन्य की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकारें सूचना आयोगों को नि्क्रिरय बनाकर “सूचना के अधिकार अधिनियम को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं”. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सूचना आयोग वर्तमान में अपने प्रमुख के बिना है तथा सूचना आयुक्तों के 10 में से आठ पद रिक्त हैं.
उन्होंने कहा, “सीआईसी में लंबित मामलों की संख्या लगभग 30,000 है.” उन्होंने उच्चतम न्यायालय के पूर्व के आदेशों के उल्लंघन की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसमें निर्देश दिया गया था कि सभी रिक्त पदों को सीधे भरा जाना चाहिए. भूषण ने केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि सूचीबद्ध किए गए लोगों के नाम किसी भी आपत्ति के लिए सार्वजनिक किए जाएं.
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने कहा कि खोज समिति ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद के लिए कुछ नामों को सूचीबद्ध किया है और अब उन्हें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति को अनुशंसित किया गया है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति अगले दो से तीन सप्ताह में नामों को मंजूरी दे देगी और कोई निर्देश जारी नहीं किया जाएगा. भूषण ने पीठ से आग्रह किया कि वह केंद्र को चयनित नामों का खुलासा करने का निर्देश दे. उन्होंने कहा कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि क्या सही लोगों का चयन किया गया है.
पीठ ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि जहां रिक्तियां हैं, वे शीघ्रता से पदों को भरें तथा मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित कर दी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “हम मामले का निपटारा नहीं कर रहे हैं, लेकिन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हर दो सप्ताह में इसकी सुनवाई करेंगे.”



