शरद यादव ने अपनी पार्टी का राजद में विलय किया, भाजपा को हराने के लिए विपक्षी एकता पर दिया जोर
नयी दिल्ली. वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने रविवार को अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों में एकता पर बल दिया और कहा कि भाजपा को हराने के लिए राष्ट्रव्यापी विपक्षी एकता अनिवार्य है.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने वरिष्ठ नेता का अपनी पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि यह भाजपा विरोधी दलों के लिए सरकार के खिलाफ एकजुट होने का संदेश है. शरद यादव अतीत में तेजस्वी के पिता व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.
राजद के युवा नेता ने आरोप लगाया कि संविधान और लोकतंत्र खतरे में है तथा धर्मनिरपेक्षता व सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले सभी दलों को आपस में हाथ मिलाना चाहिए. उन्होंने भाजपा नेताओं द्वारा हिंदी फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” का समर्थन किए जाने के संदर्भ में पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोग महंगाई और बेरोजगारी के कारण परेशान हैं और किसी फिल्म के बजाय इन मुद्दों पर बहस होनी चाहिए.
तेजस्वी ने पत्रकारों से कहा, “नफरत की राजनीति हो रही है और संविधान तथा लोकतंत्र खतरे में हैं.” राजद नेता ने उन पर विश्वास जताने के लिए शरद यादव को धन्यवाद दिया. शरद यादव (74) पिछले दिनों स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनके इस कदम को उनके सहयोगियों के पुनर्वास के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जनता दल (यू) नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनायी थी, लेकिन उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा.
उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा था, वहीं उनकी बेटी ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. उस समय कांग्रेस राजद नीत महागठबंधन में शामिल थी. शरद यादव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी दलों की एकता उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने बिहार में भाजपा नीत राजग के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए तेजस्वी यादव की सराहना भी की.
उन्होंने कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को देश भर में हाथ मिलाना चाहिए और कोई भी पार्टी अकेले दम पर भाजपा को नहीं हरा सकती. उन्होंने तेजस्वी को बिहार का भविष्य बताया. उन्होंने विपक्षी दलों के एकजुट होने की स्थिति में संभावित नेता के बारे में पूछे गए पत्रकारों के सवालों को खारिज कर दिया. शरद यादव ने पिछले उदाहरणों का जिक्र करते कहा कि पार्टियां पहले एकजुट हुयीं और उसके बाद नेता चुना गया. उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए विपक्षी दलों के बीच व्यापक एकता पहला कदम होना चाहिए.