शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार का आधार मजबूत नहीं: सांसद संजय राउत

मुंबई. शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार का आधार मजबूत नहीं है और यह अपने ही अंर्तिवरोध के कारण गिर जाएगी. राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भारतीय जनता पार्टी की तरह लाउडस्पीकर पर तारीख नहीं देंगे. लेकिन यह सरकार निश्चित रूप से लंबे समय तक चलने वाली नहीं है.’’

शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता राउत ने कहा कि शिंदे सरकार के गठन के लगभग एक महीने बाद भी किसी विभाग का आवंटन नहीं किया गया है. राउत ने रविवार को दावा किया, ‘‘चोरी छिपे गठित की गई दोहरा मानदंड रखने वाली यह सरकार अपने ही अंर्तिवरोध से गिर जाएगी. यह मजबूत नींव पर टिकी हुई नहीं है.’’ भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने इससे पहले शनिवार को कहा था कि पार्टी ने (पूर्व मुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस के बजाय शिवसेना के बागी नेता शिंदे को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का भारी मन से निर्णय लिया था.

फडणवीस द्वारा राउत को एक ऐसा ‘लाउडस्पीकर’ बताने जिससे लोग आजिज आ गये हैं, शिवसेना सांसद ने कहा कि उनका ‘‘लाउडस्पीकर महाराष्ट्र के लोगों की आवाज है’’ और वह उनके विचारों को प्रकट करना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि फडणवीस भी मेरा लाउडस्पीकर सुनते हैं. हमें जो कुछ कहने की जरूरत होती है निर्भिक होकर कहते हैं. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना का लाउडस्पीकर 56 वर्षों से बज रहा है और लोग हमेशा यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि यह क्या बोल रहा है. ’’ शिवसेना नेता ने कहा, ‘‘आप अपनी सरकार को देखिए. आप दिल्ली कितनी बार जाते हैं? एक महीने बाद भी विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है. ’’

शिवसेना के साथ पूर्व में भाजपा के सरकार बनाने संबंधी फडणवीस के बयान को लेकर राउत ने उन पर निशाना साधा. उन्होंने सवाल किया, ‘‘वह किस शिवसेना की बात कर रहे हैं? क्या (पार्टी संस्थापक) बालासाहेब और उद्धव ठाकरे के बिना शिवसेना हो सकती है? उन्होंने कहा कि शिवसैनिकों और महाराष्ट्र के लोगों में इसे लेकर रोष है कि बालासाहेब के बेटे को धोखा दिया गया और मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. राउत ने कहा, ‘‘शिवसैनिकों के गुस्से और आंसुओं में यह सरकार बह जाएगी.’’

शिवसेना के बागी समूह को मान्यता देकर विधानसभा-लोकसभा अध्यक्ष ने मानकों का उल्लंघन किया: राउत

शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष ने शिवसेना के बागी विधायकों और सांसदों के समूह को मान्यता देकर संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है. राउत ने कहा कि यह कार्रवाई एक मंदिर के पुजारी द्वारा दान पेटी को लूटने और मंदिर के न्यासियों द्वारा इसके गुंबद को काटने के समान है. राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित अपने साप्ताहिक स्तंभ में दावा किया कि देश में लोकतंत्र के मंदिरों में भी ऐसी ही चीजें हो रही हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को बचाने की कोशिश कर रही है, ताकि शिवसेना को खत्म किया जा सके.

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार पिछले महीने शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे के साथ 39 अन्य विधायकों के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद गिर गई थी. शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री पद की और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसदों में से 12 शिंदे खेमे को समर्थन दे रहे हैं. मुख्यमंत्री शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद के निचले सदन में राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दी है. राउत ने लेख में दावा किया कि महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया और लोकसभा में भी तस्वीर इससे अलग नहीं थी.

‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा कि बागी विधायक और सांसद अब केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच से मुक्त हैं. शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने दावा किया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पार्टी सांसद विनायक राउत के पत्र का संज्ञान लिए बिना शिवसेना सांसदों के समूह को मान्यता दे दी. विनायक राउत ने सोमवार रात लोकसभा अध्यक्ष को सौंपे अपने पत्र में कहा था कि वह शिवसेना संसदीय दल के ‘विधिवत नियुक्त’ नेता हैं और राजन विचारे मुख्य सचेतक हैं.

मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने विधायकों को पर्याप्त समय नहीं दिया: बागी विधायक

शिवसेना के बागी विधायक गुलाब राव पाटिल ने रविवार को कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहने के दौरान पार्टी विधायकों को पर्याप्त समय नहीं दिया. पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि ठाकरे को उन्हें घेरे रखने वाली पार्टी नेताओं की मंडली से पीछा छुड़ाना चाहिए.

पाटिल ने एक क्षेत्रीय चैनल से कहा, ‘‘ एक सरपंच को स्थानीय शासी निकाय के हर निर्वाचित प्रतिनिधि से मुलाकात करनी चाहिए. जब ठाकरे सिर्फ पार्टी प्रमुख थे, तब, अगर कोई मंत्री सहयोग नहीं करता था तो हम उसकी शिकायत कर सकते थे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उनके (ठाकरे के) मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा कोई भी नहीं रहा जिससे हम हमारे काम न होने की शिकायत कर सकें. उन्हें विधायकों को पर्याप्त वक्त देना चाहिए था.’’ शिवसेना के कई विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के बीच तनाव के लिए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत को जिम्मेदार ठहराया था.

पाटिल ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘ ठाकरे के आसपास कुछ नेता हैं, जो शिवसेना को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन नेताओं की वजह से, हम जैसे लोगों को झेलना पड़ता है.. हमें घंटों इंतजार कराया जाता है. हम चुने हुए प्रतिनिधि हैं, जो करीब तीन लाख मतदाताओं के समर्थन से चुनाव जीते हैं और इसके बावजूद हमारे साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार किया गया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ठाकरे के इर्द-गिर्द रहने वाले कई लोग हैं, जिन्होंने कभी भी चुनाव नहीं जीता है, लेकिन उन्होंने कभी भी हमारे साथ सम्मान के साथ बर्ताव नहीं किया.’’ पाटिल शिवसेना के उन 40 विधायकों में हैं, जिन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिस वजह से ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार 29 जून को गिर गई थी. शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री, जबकि भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

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