क्या अतीत में ताल्लुक रखने वाले चीनी स्थानों का पुन: नामकरण किया जाए : भाजपा नेता

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक वरिष्ठ नेता ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का ‘‘पुन: नामकरण’’ करने के फैसले को लेकर रविवार को चीन पर निशाना साधा और पूछा कि क्या भारत को भी उन स्थानों का पुन: नामकरण करना चाहिए जो पड़ोसी देश के अंतर्गत आते हैं लेकिन उनका भारत से ताल्लुक है. भाजपा के उपाध्यक्ष बैजयंत ‘जय’ पांडा ने ट्विटर पर उनके विचार पर लोगों से वोट मांगे.

उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने हमारे अरुणाचल प्रदेश के भीतर कुछ स्थानों का कथित तौर पर ‘पुन: नामकरण’ किया है. इसलिए दीर्घकालीन ऐतिहासिक भारतीय संबंधों और पहचान के आधार पर, मैं पूछता हूं कि क्या उन स्थानों के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए जो आज चीन की मौजूदा सीमाओं के तहत आते हैं? कृपया पढ़े और वोट दें.’’

उन्होंने कहा कि जब 2,000 साल पहले हान साम्राज्य ने युन्नान पर हमला किया था तो वहां शेंदु नाम की एक भारतीय बस्ती होती थी. चलिए उस इलाके को सिंधु नगर बताना शुरू करें? पांडा ने कहा, ‘‘800 साल पहले एक तमिल बस्ती थी जो अब क्वांझू शहर है जिसमें 12 से अधिक मंदिर हैं. संभवत: हमें उसे न्यू कांचीपुरम कहना चाहिए?’’ भाजपा नेता ने सवाल किया कि आज के गान्सू प्रांत में प्रसिद्ध मोगाओ गुफाओं में कई भारतीय शैली के भित्तिचित्र और मूर्तियां हैं. कैसा रहेगा अगर हम इसे अजंता ईस्ट बुलाएं?

उन्होंने कहा, ‘‘आज के शिनजियांग प्रांत का नाम रूस के साथ तुर्केस्तान को विभाजित करने के बाद 19वीं सदी में रखा गया था. लेकिन एक हजार साल पहले इसका एक हिस्सा (तरिम बेसिन) सिंधु संस्कृति का था जहां लोग गांधारी भाषा बोलते थे. चलिए इसे गंधर्व प्रदेश कहा जाए?’’ गौरतलब है कि भारत ने अरूणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का चीन द्वारा पुन: नामकरण करने को सिरे से खारिज करते हुए पिछले सप्ताह कहा था कि यह राज्य भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है. भारत की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई जब हाल में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए थे. चीन इस क्षेत्र को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर इस पर अपना दावा करता है.

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