सीतारमण ने भारतीय रुपये में अभूतपूर्व गिरावट की बात स्वीकार की; रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारण गिनाये

नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को स्वीकार किया कि भारतीय रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अभूतपूर्व गिरावट आई है और इसका कारण रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक कारक, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी एवं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजारों से पूंजी निकासी को बताया.

लोकसभा में दीपक बैज और विजय बसंत के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही. उनसे पूछा गया था कि क्या जून 2022 के दौरान भारतीय रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अभूतपूर्व गिरावट आई है ? सीतारमण ने उत्तर में कहा, ‘‘जी हां, 30 जून 2022 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की विनिमय दर 78.94 रूपये प्रति डॉलर थी.’’ वित्त मंत्री द्वारा निचले सदन में पेश किये गए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, 11 जुलाई 2022 को डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की विनिमय दर 79.41 रूपये थी.

आरबीआई के आंकडे के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की विनिमय दर 63.33 रूपये थी. 31 दिसंबर 2015 को प्रति डॉलर विनिमय दर 66.33 रुपये, दिसंबर 2016 में 67.95 रुपये, 29 दिसंबर 2017 को 63.93 रुपये, 31 दिसंबर 2018 को 69.79 रुपये, 31 दिसंबर 2019 को71.27 रुपये, 31 दिसंबर 2020 को 73.05 रुपये और 31 दिसंबर 2021 को 74.30 रूपये दर्ज की गई.
सीतारमण ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक कारक, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और अपेक्षाकृत कठोर वित्तीय स्थितियां.. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने का प्रमुख कारण हैं.

कुछ राज्यों ने जीएसटी मुआवजे की अवधि को पांच साल बढ़ाने की मांग की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि तेलंगाना सहित कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा की अवधि को जून, 2022 से पांच साल आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है. लोकसभा में कुछ सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में सीतारमण ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जीएसटी लागू होने के कारण राजस्व में गिरावट आने की वजह से कुछ राज्यों ने जीएसटी मुआवजा की अवधि को पांच साल बढ़ाने की मांग की.

इस संबंध में यह कहा गया है कि संविधान (101 वां संशोधन) अधिनियम 2016 की धारा 18 के अनुसार संसद कानून द्वारा माल और सेवा कर परिषद की सिफारिश पर, पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजा उपलब्ध कराएगी.

रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने, इस पर कानून बनाने की सिफारिश की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव से जुड़ी ंिचताओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है.
वित्त मंत्री के अनुसार आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

लोकसभा में थोल थिरूमावलवन के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही . उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या आरबीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रिप्टोकरेंसी के दुष्प्रभाव के संबंध में अपनी ंिचता व्यक्त की है और क्या सरकार की भारत में क्रिप्टोकरेंसी के उपभोग को परिसीमित करने वाला कोई कानून लाने की कोई योजना है.

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जी, हां. भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रतिकूल प्रभाव पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी ंिचता जाहिर की है. आरबीआई ने उल्लेख किया है कि क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रा नहीं है क्योंकि प्रत्येक मुद्रा को केंद्रीय बैंक/सरकार द्वारा जारी किया जाना आवश्यक है.’’ उन्होंने बताया कि फिएट मुद्राओं का मूल्य मौद्रिक नीति और वैध मुद्रा के रूप में उनकी स्थिति पर निर्भर होता है हालांकि क्रिपटोकरेंसी का मूल्य पूरी तरह से अटकलों एवं उच्च रिटर्न की उम्मीदों पर निर्भर करता है जो स्थिर है. उन्होंने कहा कि इसलिए किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर इसका एक अस्थिर प्रभाव होगा .

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