
काठमांडू. नेपाल में बुधवार को सामान्य स्थिति बहाल होती नजर आई. इस बीच, सैनिकों को देश में कानून-व्यवस्था कायम करने और ह्लआंदोलन की आड़ मेंह्व संभावित हिंसा को रोकने के लिए सड़कों पर गश्त करते देखा गया. नेपाल में मंगलवार को सरकार विरोधी प्रदर्शनों के हिंसक होने के बीच केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
देशभर में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद मंगलवार रात से सुरक्षा अभियानों की कमान संभालने वाली सेना ने देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किए और फिर बृहस्पतिवार सुबह छह बजे तक के लिए कफ्र्यू लगा दिया. सैनिकों ने सड़कों पर पहरा दिया और लोगों को घर पर ही रहने का आदेश जारी किया, जिससे नेपाल की राजधानी काठमांडू में सन्नाटा पसरा रहा. इससे एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी भवनों, उच्चतम न्यायालय, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी थी. हालांकि, बुधवार को हिंसा की कोई खबर नहीं आई.
सेना ने कहा कि ह्लप्रदर्शन की आड़ मेंह्व लूटपाट, आगजनी और अन्य विनाशकारी गतिविधियों की संभावित घटनाओं को रोकने के लिए ये उपाय जरूरी हैं. उसने चेतावनी दी कि प्रतिबंधात्मक अवधि के दौरान किसी भी तरह के विरोध-प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी या व्यक्तियों एवं संपत्ति पर हमले को आपराधिक कृत्य माना जाएगा और उससे उचित तरीके से निपटा जाएगा. स्थिति के सामान्य होने पर प्रदर्शनकारी ‘जेन जेड’ समूह ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के नाम को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा की.
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए समूह जिन नामों पर विचार कर रहा है, उनमें पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की, काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह और बिजली बोर्ड के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कुलमन घीसिंग के नाम शामिल हैं. कार्की नेपाल के उच्चतम न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवाएं देने वाली एकमात्र महिला हैं.
नेपाली कांग्रेस (एनसी) के महासचिव गगन थापा और विश्व प्रकाश शर्मा ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे ‘जेन जेड’ समूह के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी फैसला संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए लिया जाना चाहिए.
बयान के मुताबिक, ह्लअराजकता केवल अराजकता को ही बढ़ावा देती है. इसलिए, हम राष्ट्रपति और ‘जेन जेड’ के प्रतिनिधियों से आग्रह करते हैं कि वे चर्चा के दौरान यह सुनिश्चित करें कि शासन और चुनावों के लिए एक नया राजनीतिक ढांचा बनाया जाए, जिससे लंबे समय तक संवैधानिक शून्यता या अस्थिरता पैदा न हो.ह्व इस बीच, काठमांडू स्थित त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (टीआईए) पर उड़ान सेवाएं बुधवार शाम से बहाल कर दी गईं. टीआईए ने सरकार के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर मंगलवार को सभी विमानों का परिचालन रोक दिया था.
टीआईए प्रबंधन ने बुधवार शाम जारी एक नोटिस में यात्रियों से कहा कि वे अपनी उड़ानों की पुन? पुष्टि के लिए संबंधित विमानन कंपनियों से संपर्क करें. उसने कहा कि नौ सितंबर से निलंबित सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को परिचालन की अनुमति दे दी गई है. नेपाली सेना ने ह्लदेश में मौजूदा स्थिति के कारण फंसे विदेशी नागरिकों से कहा कि वे बचाव या किसी अन्य सहायता के लिए निकटतम सुरक्षा चौकी या र्किमयों से संपर्क करें.ह्व सेना ने होटलों, पर्यटन उद्यमियों और संबंधित एजेंसियों से अनुरोध किया कि वे जरूरतमंद विदेशी नागरिकों को आवश्यक सहायता प्रदान करें.
स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय के मुताबिक, पिछले दो दिनों में ‘जेन जेड’ समूह के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बुधवार को बढ़कर 30 हो गई. बुधवार शाम जारी बयान में मंत्रालय ने बताया कि 1,061 लोग घायल हुए हैं. उसने कहा कि घायलों में से 719 को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 274 अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, पश्चिमी नेपाल की एक जेल में सुरक्षार्किमयों के साथ झड़प के दौरान कम से कम पांच किशोर कैदियों की मौत हो गई, जबकि हिंसक सरकार विरोधी-प्रदर्शनों के दौरान देशभर की विभिन्न जेलों से 7,000 से अधिक कैदी भाग गए.
खबरों में कहा गया है कि कैदियों ने विरोध-प्रदर्शनों का फायदा उठाया और जेलों से भागने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप मंगलवार को कई जेलों में झड़पें हुईं.
समाचार पत्र ‘माई रिपब्लिका’ ने गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि दिल्लीबाजार जेल से 1,100, चितवन से 700, नक्खू से 1,200, झुम्पका से 1,575, कंचनपुर से 450, कैलाली से 612, जलेश्वर से 576, कास्की से 773, डांग से 124, जुमला से 36, सोलुखुम्बु से 86, गौर से 260 और बझांग से 65 कैदियों के भागने की सूचना मिली है.
सुबह से ही काठमांडू की चहल-पहल वाली सड़कें वीरान दिखीं. कुछ ही लोग घरों से बाहर निकले और वह भी रोजमर्रा की जरूरत की चीजें खरीदने के लिए. सड़कों पर सुरक्षार्किमयों की कड़ी गश्त है. मंगलवार को प्रदर्शनकारियों की ओर से सरकारी एवं निजी इमारतों में लगा दी गई आग को बुझाने के लिए दमकल की गाड़ियां तैनात की गईं.
प्रतिबंधात्मक आदेश और कफ्र्यू के दौरान एम्बुलेंस, दमकल, स्वास्थ्य र्किमयों और सुरक्षा बलों सहित आवश्यक सेवाओं में लगे वाहनों और र्किमयों को काम करने की अनुमति दी गई है. सेना ने लोगों से छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान लूटी गई या मिली बंदूकें, हथियार और गोलियां नज.दीकी पुलिस चौकी या सुरक्षार्किमयों को लौटाने का भी आग्रह किया. सेना ने एक अन्य बयान में कहा, ”चूंकि ऐसे हथियारों के दुरुपयोग की आशंका है, इसलिए कृपया अधिकारियों को सूचित करें और उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षा एजेंसियों को लौटा दें.” सेना ने चेतावनी दी कि अगर किसी के भी पास ऐसे हथियार या गोला-बारूद बरामद किए गए तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
सेना ने नागरिकों से ”इस संवेदनशील अवधि में सेना की वर्दी न पहनने” की भी अपील की, क्योंकि ”ऐसा करना गैरकानूनी है.” इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षार्किमयों ने काठमांडू के विभिन्न हिस्सों से लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल 27 लोगों को गिरफ्तार किया है. अभियान के दौरान काठमांडू के चाबाहिल, बौद्ध और गौशाला इलाकों में लोगों के पास से 3.37 लाख रुपये नकद, 31 हथियार, मैगजीन और गोलियां बरामद की गईं.
सेना ने जनता से शांति बहाल करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करने की अपील की.
भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को ‘जेन-जेड’ की ओर से किए गए प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके कार्यालय में घुस गए थे. ओली ने इसके तुरंत बाद मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया. सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार रात हटा लिया गया था. हालांकि, ओली के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शन जारी रहा.
राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने प्रदर्शनकारियों से संकट के समाधान के लिए बातचीत के लिए आगे आने की अपील की. ??उन्होंने प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया, लेकिन कहा कि नये मंत्रिपरिषद के गठन तक उनके नेतृत्व वाला मंत्रिमंडल सरकार चलाता रहेगा. ओली कहां है, फिलहाल इस बारे में पता नहीं चल पाया है.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने नेपाल के घटनाक्रम पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि वह ”स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं” और ”लोगों की जान जाने से उन्हें गहरा दुख हुआ है.” गुतारेस ने मौतों की गहन एवं स्वतंत्र जांच का आह्वान किया. उन्होंने अधिकारियों से मानवाधिकार कानून का पालन करने, संयम बरतने और वार्ता को प्राथमिकता देने का आग्रह किया.