सपा ने लिया 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने का संकल्प

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) ने शुक्रवार को 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने का संकल्प लिया।
उसने कहा कि वह सरदार वल्लभभाई पटेल के एकता, अखंडता और सामाजिक न्याय के आदर्शों को बरकरार रखने के लिए काम करेगी।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने देश के पहले गृह मंत्री ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर यहां पार्टी मुख्यालय में एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘‘देश को एकजुट रखने, लोगों में जागरूकता फैलाने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाली सरकार लाने’’ का संकल्प दिलाया।

यादव ने इस मौके पर अपने संबोधन में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार मंडियों (कृषि बाजारों) का निजीकरण करने की योजना बना रही है जिसका मकसद किसानों के बजाय पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना है। उन्होंने कहा,‘‘ सरकार मंडियों को निजी हाथों में बेचने की तैयारी कर रही है। ये मंडियां कीमती जमीनों पर बनी हैं और सरकार किसानों को फायदा पहुंचाना नहीं चाहती, बल्कि इन संपत्तियों को बेचना चाहती है।’’

यादव ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गन्ने के दाम 30 रुपये प्रति ंिक्वटल बढ़ाने का हालिया फैसला ‘बहुत देर से लिया गया’ है।
उन्होंने कहा,‘‘सरकार को गन्ने का दाम बढ़ाने में कई साल लग गए और अब वह अंग्रेजी अखबारों में इससे जुड़े विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने दावा किया कि सरकार की घोषणाओं के बावजूद किसी भी जिले में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई खरीद नहीं हो रही है। सपा प्रमुख ने कहा,‘‘सरदार पटेल ने भारत को एकजुट करने के लिए कड़ी मेहनत की। हमने अपने देश और अपने राज्य को मजबूत करने के लिए उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया है।’’

यादव ने आचार्य नरेंद्र देव को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें ‘समाजवादी आंदोलन का जनक’ बताया और घोषणा की कि समाजवादी पार्टी पटेल के नाम पर शिक्षा और प्रौद्योगिकी को सर्मिपत एक विश्वविद्यालय स्थापित करेगी। कानून-व्यवस्था से जुड़े एक सवाल पर यादव ने आरोप लगाया कि सरकार कानपुर अखिलेश दुबे मामले में शामिल लोगों को बचा रही है। उन्होंने इसकी तुलना पहले हुए विकास दुबे मुठभेड़ मामले से की।

उन्होंने दावा किया, ‘‘उस समय सरकार बाल-बाल जांच से बच गई थी। अब वे अखिलेश दुबे को बचा रहे हैं।’’ यादव ने सरकार पर ‘अभूतपूर्व भ्रष्टाचार’ का भी आरोप लगाया और दावा किया कि हाल में किसानों के हित में प्रचारित किए जा रहे कदम प्रमुख कृषि संपत्तियों के निजीकरण के चल रहे प्रयासों को छिपाने के लिए हैं।

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