हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर संसद परिसर में मूर्तियों का स्थानांतरण किया गया: बिरला
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नयी दिल्ली. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद संसद परिसर में स्थित स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को परिसर में ही एक नए परिसर ‘प्रेरणा स्थल’ में स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मूर्तियों का स्थानांतरण सौंदर्यीकरण की कवायद के तहत किया गया है. बिरला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मूर्तियों के स्थानांतरण पर विभिन्न हितधारकों के साथ समय-समय पर विचार-विमर्श किया जाता है, क्योंकि ऐसे निर्णय लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
जब मूर्तियों के स्थानांतरण को लेकर विपक्ष की आलोचना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”कोई भी मूर्ति हटाई नहीं गई है, इन्हें दूसरी जगह स्थापित किया गया है. इस पर राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है.” उन्होंने कहा, ”समय-समय पर मैं विभिन्न हितधारकों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करता रहा हूं. लोगों का मानना ??था कि इन मूर्तियों को एक स्थान पर रखने से उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानकारी का बेहतर तरीके से प्रसार करने में मदद मिलेगी.” महात्मा गांधी और बी आर आंबेडकर की मूर्तियां पहले संसद परिसर में प्रमुख स्थानों पर स्थित थीं, जहां विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र होते थे.
बिरला ने कहा कि प्रेरणा स्थल पूरे वर्ष आगंतुकों के लिए खुला रहेगा और राष्ट्र निर्माण में नेताओं के योगदान को सम्मानित करने के लिए स्मृति दिवसों का आयोजन करेगा.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ”इन महान भारतीयों की जीवन गाथाओं और संदेशों को नई प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगंतुकों तक पहुंचाने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है.” बिरला ने कहा कि नए संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू और चौधरी देवीलाल की मूर्तियों को परिसर के भीतर अन्य स्थानों पर ले जाया गया. उन्होंने कहा कि प्रेरणा स्थल पर मूर्तियों के चारों ओर लॉन और उद्यान बनाए गए हैं, ताकि आगंतुक आसानी से उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें और क्यूआर कोड का इस्तेमाल करके जानकारी प्राप्त कर उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें.
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा पूरे संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाले जाने के बारे में पूछे जाने पर बिरला ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि एक एजेंसी की जवाबदेही तय की जा सके. उन्होंने कहा कि इससे पहले संसद की सुरक्षा सेवा, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल संसद परिसर की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे और जिम्मेदारियों में कुछ समानताएं थीं.