हैरतअंगेज: 23 दिन की बच्ची के पेट से निकाले गये आठ भ्रूण

रांची. अपने तरह के एक दुर्लभ मामले में 21 दिन की एक दुधमुंही बच्ची के पेट से यहां एक निजी अस्पताल में आॅपरेशन के दौरान आठ भ्रूण निकाले गये. चिकित्सकों ने यह हैरतअंगेज जानकारी दी. आॅपरेशन करने वाले चिकित्सक का दावा है कि किसी बच्ची में एकसाथ आठ भ्रूण मिलना दुनियाभर में अपने तरह का पहला मामला है.

आॅपरेशन करने वाले डॉ. मोहम्मद इमरान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि भ्रूण का आकार तीन से पांच सेंटीमीटर तक है जो पेट में मौजूद एक ट्यूमर के अंदर मिले. ‘जर्नल आॅफ नेशनल लाइब्रेरी आॅफ मेडिसिन’ के मुताबिक इस स्थिति को चिकित्सा शब्दावली में ‘फीटस इन फीटू’ (एफआईएफ) कहते हैं. डॉ. इमरान ने दावा किया कि यह दुनिया का पहला मामला है जब पेट से आठ भ्रूण निकाले गए हैं.

डॉ. इमरान ने बताया कि पिछले बुधवार को शल्यक्रिया कर बच्ची के पेट से आठ भ्रूण निकाले गए जो चिकित्सा विज्ञान की दुनिया की अनोखी पहेली है. डॉ. इमरान ने कहा, ‘‘अब तक उपलब्ध शोधपत्रों और जर्नल के मुताबिक एफआईएफ के ज्यादातर मामलों में केवल एक भ्रूण होने की जानकारी मिली है. कहीं भी पेट में आठ भ्रूण मिलने की बात अभी तक सामने नहीं आई थी.’’ इस बच्ची का जन्म 10 अक्टूबर को झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित एक सरकारी अस्पताल में हुआ था. इसके बाद चिकित्सकों ने बच्ची के पेट में गांठ पाई और माता-पिता को तुरंत आॅपरेशन कराने का सुझाव दिया क्योंकि इससे पेट में समस्या हो सकती थी.

चिकित्सकों के सुझाव पर माता-पिता ने बच्ची की उम्र 21 दिन होने पर उसे शुरुआती जांच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया, तो पेट में ट्यूमर या सिस्ट जैसे पदार्थ का पता चला. यह ट्यूमर डायफ्राम के ठीक नीचे था. डॉ. इमरान ने कहा, ‘‘हमने ट्यूमर को आॅपरेशन करके निकालने का फैसला किया और आॅपरेशन एक नवंबर को किया गया. हमे इस भाग में एक के बाद एक आठ भ्रूण मिले.’’ आॅपरेशन सफल रहा और बच्ची की स्थिति अभी सामान्य है. फिलहाल बच्ची को चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है और एक हफ्ते में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.

रांची स्थित रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के प्रमुख राजेश ंिसह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘चूंकि यह दुर्लभ मामला है, हम इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित करने की तैयारी कर रहे हैं.’’ चिकित्सकों ने कहा कि दुनियाभर में एफआईएफ के 200 से भी कम मामले मिले हैं. रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के चिकित्सकों का दावा है कि राज्य में ये पहला मामला है, लेकिन देश में ऐसे 10 मामले अब तक मिले हैं.

चिकित्सकों ने बताया कि एफआईएफ के कारण में पेट में भ्रूण बन जाता है और इस स्थिति के लिए हाइली डिफरेंशिएटेड टेराटोमा भी एक कारण हो सकता है. टेराटोमा को जर्म कोशिका ट्यूमर भी कहते हैं. एक ऐसा ट्यूमर जिसमें दांत, बाल वगैरह दिखते हैं. इसमें ये कोशिकाएं बच्चे के अंदर जाती हैं और एक भ्रूण का स्वरूप ग्रहण कर लेती हैं. ये जुड़वां बच्चा अपने ही भाई या बहन के पेट में पलता है.

चिकित्सकों ने बताया कि 10 लाख बच्चों में से किसी एक में ऐसा मामला मिलता है. उन्होंने कहा कि बच्चे में कोशिका कैसे अंदर जाती है इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है. लक्षणों की बात की जाए तो जब बच्चा जन्म लेता है तो पेल्विस यानी पेडू के हिस्से में सूजन रहती है, एक लंप रहता है. पेशाब आना बंद हो जाता है और बहुत दर्द होता है. इन परिस्थितियों में इस तरह की स्थिति का अनुमान लगाया जाता है जिसके बाद शल्य क्रिया करने पर इसकी पुष्टि हो पाती है.

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