मणिपुर की भयावह स्थिति भाजपा की नीतियों और प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं पर कलंक : कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने मणिपुर के हालात को लेकर बुधवार को सत्तारूढ. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर की यह ‘भयावह स्थिति’ भाजपा की नीतियों एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकताओं पर कलंक की तरह है.
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसी राज्य के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाए, लेकिन मणिपुर की जनता के साथ ऐसा हुआ है.

उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार मणिपुर का दौरा कब किया था और राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से कब बात की थी? मणिपुर में पिछले पांच महीने में हिंसा के कारण 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. रमेश ने एक बयान में कहा, ”पांच महीने पहले, तीन मई की शाम को तथाकथित ‘डबल इंजन’ सरकार की विभाजनकारी राजनीति के कारण मणिपुर में हिंसा भड़की थी. लगभग एक महीने के बाद कर्नाटक चुनाव में अपनी जिम्मेदारियों को निभाकर और ऐसे अन्य जरूरी कार्यों से मुक्त होकर गृह मंत्री ने राज्य का दौरा करना उचित समझा, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.”

उन्होंने दावा किया, ”गृह मंत्री के दौरे के बाद वास्तव में हालात और खराब हो गए. सामाजिक सद्भाव पूरी तरह से बिगड़ चुका है. हर दूसरे दिन हिंसक अपराधों की भयावह खबरें सामने आती हैं. हजारों हजार लोग अब भी राहत शिविरों में फंसे हुए हैं. सशस्त्र गुटों और राज्य पुलिस के बीच झड़प आम बात हो गई है.”

कांग्रेस नेता ने कहा, ”फिर भी प्रधानमंत्री इस मामले पर पूरी तरह से चुप हैं. राज्य में हालात बिगड़ने के काफी दिनों बाद उन्होंने सिर्फ दिखावे के लिए 10 अगस्त को लोकसभा में अपने 133 मिनट के भाषण में पांच मिनट से भी कम समय के लिए राज्य पर एक टिप्पणी करके औपचारिकता निभा दी. भाजपा के अधिकांश विधायक मुख्यमंत्री को पद से हटाना चाहते हैं, बावजूद इसके वह बेशर्मी से अपने पद पर बने हुए हैं.”

उन्होंने सवाल किया, ”आखिरी बार प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा कब किया था? आखिरी बार प्रधानमंत्री ने मणिपुर के राज्य के मुख्यमंत्री से कब बात की थी? आखिरी बार प्रधानमंत्री ने मणिपुर के भाजपा विधायकों से कब मुलाकात की थी? आखिरी बार कब प्रधानमंत्री ने राज्य के अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ मणिपुर पर चर्चा की थी?” कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने इस तरह किसी राज्य और उसके सभी लोगों को पूरी तरह से उनके हाल पर नहीं छोड़ा है, जैसा कि अब किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया, ”राज्य में भाजपा को बड़ा जनादेश मिलने के लगभग 15 महीने बाद ही मणिपुर में ऐसी भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई. यह उसकी नीतियों और प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं पर सबसे बड़ा कलंक है.”

सिक्किम जैसी आपदाओं से बचने के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं: रमेश

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सिक्किम में आई बाढ. का हवाला देते हुए बुधवार को कहा कि इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए स्थानीय पारिस्थिति के प्रति संवेदनशीलता दिखाने के साथ कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं. उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील पर बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ. आ गई, जिससे पांच लोगों की मौत हो गई और सेना के 23 जवान लापता हो गए. अधिकारियों ने बताया कि अचानक बाढ. आने और चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई. बाढ. मंगलवार देर रात करीब डेढ. बजे आई.

इस आपदा को लेकर पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ”सिक्किम में तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ. ने सेना के जवानों सहित कई लोगों की जान ले ली, जो अत्यंत दुखद है. देश इस त्रासदी पर दुखी है. यह फिर से इसका स्मरण कराता है कि हमें विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं की योजना बनाते और क्रियान्वित करते समय स्थानीय पारिस्थितिकी के प्रति अधिक संवेदनशील होने के बारे में कैसे सीखना चाहिए.ह्व उनका कहना था, ”मैं इस दर्दनाक क्षण में बहुत कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन मंत्री रहते हुए मैंने बांधों के निर्माण से पहले व्यापक और विश्वसनीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन पर जोर दिया था. यह एक कठिन निर्णय है लेकिन ऐसी आपदाओं से बचने के लिए कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं. लेकिन लगता है कि हम कभी नहीं सीखते.”

महाराष्ट्र सरकार की ‘आपराधिक लापरवाही’ के कारण हुई मरीजों की मौत: कांग्रेस

कांग्रेस ने महाराष्ट्र के कुछ सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौत को ‘अपराधिक लापरवाही’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने अस्पतालों को समय पर दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जिसके कारण ये मौतें हुई हैं. पार्टी प्रवक्ता अजय कुमार ने संवाददाता से कहा, ”महाराष्ट्र सरकार की घोर और आपराधिक लापरवाही के कारण अस्पतालों में दवाओं की कमी हुई जिसके बाद कई बच्चों सहित कई लोगों की मौत हो गई.” उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पतालों में दवाओं की अनुपलब्धता का मुख्य कारण यह है कि महाराष्ट्र सरकार ने कुछ महीने पहले ही दवाओं के आपूर्तिकर्ता को बदल दिया था और नयी निविदा जारी करने में विलंब किया. महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 48 घंटों के भीतर 31 मरीजों की मौत हुई है. इसके अलावा प्रदेश के कुछ अन्य अस्पतालों में भी मरीजों की मौत हुई है.

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