भारत को ‘विकसित’ बनाने के लिए जी जान से जुटना होगा : प्रधानमंत्री मोदी

विश्वास है कि संसद का नया भवन राष्ट्र के सामर्थ्य को नयी शक्ति प्रदान करेगा: प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष से 100 वर्ष के सफर ‘अमृतकाल’ की तुलना आजादी मिलने के पहले के 25 सालों से की और देशवासियों का आह्वान किया कि जिस प्रकार उस दौर में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से हर देशवासी जुड़ गया था, उसी प्रकार अगले 25 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रत्येक भारतवासी को जी-जान से जुटना ही होगा.

नए संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने इसे 140 करोड़ भारतीय नागरिकों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिंिबब करार दिया और कहा कि यह इमारत समय की मांग थी और इसके कण-कण से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के दर्शन होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हर देश के इतिहास में ऐसा समय आता है, जब देश की चेतना नए सिरे से जागृत होती है. भारत में आजादी (1947) के 25 साल पहले ऐसा ही समय आया था. गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने पूरे देश को एक विश्वास से भर दिया था. गांधी जी ने स्वराज के संकल्प से हर भारतवासी को जोड़ दिया था. ये वो दौर था, जब हर भारतीय आजादी के लिए जी जान से जुट गया था.’’ उन्होंने कहा कि इसका नतीजा यह हुआ कि भारत आजाद हुआ.

मोदी ने कहा, ‘‘आजादी का ये अमृत काल भी भारत के इतिहास का ऐसा ही पड़ाव है. आज से 25 साल बाद भारत 100 वर्ष पूरे करेगा. हमारे पास भी 25 वर्ष का अमृत कालखंड है. इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है. लक्ष्य बड़ा है, कठिन भी है, लेकिन हर देशवासी को इसके लिए जी जीन से जुटना ही है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के बाद भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी और वह यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है.

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास के नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है.’’ उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई ने दुनिया के कई अन्य देशों तक में चेतना जागृत कर दी थी और फिर वे आजादी की राह पर चल पड़े, भारत के विश्वास ने दूसरे देशों के विश्वास को सहारा दिया था.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत जैसी विविधता से भरा देश, इतनी बड़ी आबादी का देश… जब आगे बढ़ता है तो दूसरे देशों को प्रेरणा भी मिलती है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने संसद भवन में बैठने और प्रौद्योगिकी से जुड़ी समस्याएं थीं और बीते डेढ़ दो दशकों से ये चर्चा लगातार हो रही थी कि देश को नए संसद भवन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सीट व सांसदों की संख्या भी बढ़ेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘ये समय की मांग थी कि संसद की नयी इमारत का निर्माण किया जाए. नए संसद भवन में विरासत भी है, वास्तु भी है. इसमें कला भी है और कौशल भी है. इसमें संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं.’’

प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के नौ वर्षों के शासन को भारत के नवनिर्माण और गरीब कल्याण का कार्यकाल बताया और कहा कि नया भवन स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा, आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा और विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा.

उन्होंने संसद के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष की पीठ के निकट स्थापित ‘राजदंड’ (सेंगोल) सभी को प्रेरणा देता रहेगा. प्रधानमंत्री ने इससे पहले, सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट स्थापित किया.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संसद के नए भवन का कण-कण गरीब को सर्मिपत है.

मोदी ने कहा, ‘‘यह सिर्फ एक भवन नहीं है, यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिंिबब है. यह विश्व को भारत के दृढ़संकल्प का संदेश देता है. यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से और इच्छाशक्ति को क्रियाशक्ति से तथा संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा. यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का नया माध्यम बनेगा. यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा.’’ प्रधानमंत्री के मुताबिक, देश की विकास यात्रा के कुछ पल अमर हो जाते हैं और आज भी ऐसा ही एक दिन है.

उन्होंने ‘राजदंड’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जब भी नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी, यह ‘सेंगोल’ हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा.’’ मोदी ने कहा, ‘‘ ‘सेंगोल’ अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था; हमने इसे उचित सम्मान दिया है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का बहुत बड़ा आधार है. लोकतंत्र हमारे लिए एक संस्कार, एक विचार और एक परंपरा है.’’ उन्होंने कहा कि आजादी का अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने का नया काल है.

मोदी ने कहा, ‘‘इस भवन के कण-कण में हमें ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के दर्शन होते हैं.’’ उन्होंने कहा कि नए संसद भवन ने करीब 60 हजार श्रमिकों को रोजगार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे गरीबों के चार करोड़ घर बनने का संतोष है. जब हम इस इमारत को देखकर अपना सिर ऊंचा कर रहे हैं, तो मुझे 11 करोड़ शौचालयों के निर्माण को देखकर भी संतोष है.’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारी प्रेरणा एक ही है, देश का विकास, देश के लोगों का विकास.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत को आदर और उम्मीद के भाव से देख रही है. उन्होंने कहा कि जब भारत आगे बढ़ता है, तो विश्व आगे बढ़ता है.

Related Articles

Back to top button