‘परियोजना 75’ के तहत अंतिम पनडुब्बी ‘वगशीर’ का किया गया जलावतरण

मुंबई. मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने बुधवार को आईएनएस ‘वगशीर’ का जलावतरण किया. यह ‘परियोजना 75’ के तहत छठी और अंतिम पनडुब्बी है. रक्षा सचिव अजय कुमार ने इस पनडुब्बी का जलावतरण किया. ‘परियोजना 75’ के तहत आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी और आईएनएस कारंग और आईएनएस वेला पहले से ही सेवा में हैं. परियोजना के तहत पांचवीं पनडुब्बी, आईएनएस वागीर का समुद्र में परीक्षण जारी है और इसे इस साल के अंत तक सेवा में शामिल किए जाने की संभावना है. परियोजना को फ्रांस की तकनीकी सहायता से क्रियान्वित किया जा रहा है.

आईएनएस वगशीर के करीब एक साल तक व्यापक कड़े परीक्षण होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह युद्ध के लिए पूरी तरह से सक्षम हो. कुमार ने पत्रकारों से कहा कि पनडुब्बी का, इसके निर्धारित अनावरण से पहले जलावतरण किया गया. कुमार ने कहा, ‘‘पनडुब्बी देश की समुद्री सुरक्षा को भी बढ़ाती है, लेकिन यह आत्मनिर्भरता की भी मिसाल है.’’ एमडीएल के एक अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक पनडुब्बी के साथ स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल में वृद्धि देखी गई है. वगशीर के मामले में यह 40 प्रतिशत है.

ंिहद महासागर में गहरे पानी की समुद्री शिकारी कहलाने वाली सैंडफिश के नाम पर इसका नाम ‘वगशीर’ रखा गया है. ‘परियोजना 75’ के तहत पहली ‘वगशीर’ पनडुब्बी का दिसंबर 1974 में जलावतरण किया गया था और 1997 में इसे सेवा से हटा दिया गया था.
एमडीएल ने कहा कि स्कॉर्पीन पनडुब्बियां पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, विस्फोटक लगाने और क्षेत्र की निगरानी जैसे कई प्रकार के मिशन कर सकती हैं.

नयी पनडुब्बी इसके पुराने संस्करण का नवीनतम रूप है. जहाज, पनडुब्बी के सेवामुक्त होने के बाद नए जहाज, पनडुब्बी को पुराने वाले नाम से ही सेवा में शामिल किया जाता है. कुमार ने कहा कि सरकार ने मेक-1 प्रक्रिया के जरिए रक्षा उद्योग की मदद से डीजल इंजन बनाने का अहम फैसला लिया है. वह प्रोजेक्ट-75 (आई) का जिक्र कर रहे थे, जिसमें छह आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बियों, उन्नत टॉरपीडो, आधुनिक मिसाइल और अत्याधुनिक उपकरणों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है.

कुमार ने कहा, ‘‘भारत में पहली बार मरीन डीजल इंजन बनाया जाएगा. उद्योग भागीदार को 70 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा.’’ इस अवसर पर मौजूद, पश्चिमी नौसेना कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर ंिसह ने कहा, ‘‘ये बहुत ही उन्नत और आधुनिक पनडुब्बी हैं और इनसे भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि हुई है. चूंकि ये पनडुब्बियां नयी हैं, इसलिए इनमें नयी तकनीक और सेंसर हैं. इससे हमारी युद्ध क्षमता और निगरानी में सुधार हुआ है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि वागीर (पांचवीं पनडुब्बी) साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी.’’

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