रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न नहीं, सारी बातें काल्पनिक : रेल मंत्री वैष्णव
नयी दिल्ली. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को स्पष्ट किया कि रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है और इस बारे में कही गई सारी बातें ‘काल्पनिक’ हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की दृष्टि में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है जिसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है.
‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा’ का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘‘रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है. इस बारे में कही गई बातें काल्पनिक हैं. ’’ उन्होंने कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता है क्योंकि पटरियां रेलवे की हैं, इंजन रेलवे के हैं, स्टेशन और बिजली के तार रेलवे के हैं. इसके अलावा डिब्बे और सिग्नल प्रणाली भी रेलवे की ही हैं.
वैष्णव ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती पीयूष गोयल भी पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि रेलवे का ढांचा जटिल है और इसका निजीकरण नहीं होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मालगाड़ियों का भी निजीकरण नहीं किया जा रहा है . रेल मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार की दृष्टि में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है. इसका अब तक पालन किया गया और आगे भी किया जायेगा. इसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है.’’
मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर चल रहा है काम : रेल मंत्री
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम चल रहा है तथा गुजरात खंड में 99.7 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण हो गया है, 750 से अधिक खम्भे बन चुके हैं तथा नर्मदा एवं तापी नदियों पर पुलों का निर्माण हो रहा है.
लोकसभा में ‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा’ का जवाब देते हुए रेल मंत्री वैष्णव ने यह बात कही. मंगलवार को सदन में इस विषय पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर सरकार पर निशाना साधा था.
रेल मंत्री ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘कितनी शर्म की बात है कि एक सदस्य ने कहा कि भारत की मिट्टी में बुलेट ट्रेन चलाने की क्षमता नहीं है.’’ वैष्णव ने कहा, ‘‘ये लोग (तृणमूल कांग्रेस के सदस्य) मां, माटी, मानुष की बात करते हैं लेकिन न तो मां पर विश्वास करते हैं और न ही माटी पर. कैसे मानुष हैं ये. ’’ रेल मंत्री की इस टिप्पणी का तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने सदन में भारी विरोध किया और सदस्य आसन के पास भी आ गए.