टिपरा मोथा त्रिपुरा में वाम दल का शासन लाने का प्रयास कर रही: शाह

संतिरबाजार/खोवाई. गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दावा किया कि टिपरा मोथा की कांग्रेस और माकपा के साथ ‘‘गुप्त सहमति’’ है और वह ‘‘मूल निवासियों को गुमराह कर’’ त्रिपुरा में फिर से वाम दल का शासन लाने का प्रयास कर रही है. वर्ष 2021 में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) का चुनाव जीतने वाली क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा ने 16 फरवरी को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया है और वह 60 में से 42 सीट पर लड़ेगी.

पूर्ववर्ती राजपरिवार के वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व वाली पार्टी टिपरा मोथा ने अलग राज्य ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग का समर्थन करने वाले किसी भी दल के साथ चुनाव पश्चात गठबंधन की संभावना से भी इनकार नहीं किया है. त्रिपुरा में लगभग 20 जनजातीय बहुल सीट हैं, और ये पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता की कुंजी हैं.

शाह ने कहा, ‘‘टिपरा मोथा को वोट देने का मतलब माकपा को समर्थन देना है और कांग्रेस को समर्थन देने का मतलब वाम दल को वोट देना है…वाम दल को जनादेश देने का मतलब अशांति के दिनों को वापस लाना है.’’ शाह ने संतिरबाजार क्षेत्र में रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने कम्युनिस्ट और कांग्रेस का प्रदर्शन देखा है…उन्होंने राज्य में 50 साल शासन किया, फिर भी कोई विकास नहीं हुआ.

उन्होंने कभी जनजातियों का सम्मान नहीं किया, कभी जनजाति कल्याण के बारे में नहीं सोचा. टिपरा मोथा मूल निवासियों को गुमराह करके त्रिपुरा में कम्युनिस्ट शासन वापस लाने की कोशिश कर रही है.’’ टिपरा मोथा का मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के साथ ‘‘गुप्त तालमेल’’ होने का दावा करते हुए शाह ने लोगों से अगले पांच वर्षों में मूल निवासियों के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विश्वास जताने का आग्रह किया.

शाह ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो मुख्यमंत्रियों ने त्रिपुरा की सुरक्षा सुनिश्चित की है, जो पहले सीमा पार से घुसपैठ और उग्रवाद से पीड़ित था. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने आपको अंधकार दिया, लेकिन हमने (भाजपा) आपको अधिकार दिया है. वाममोर्चा और कांग्रेस भ्रष्टाचार में लिप्त थे और अब दोनों साथ हैं, लेकिन भाजपा पर कोई एक भी घोटाले का आरोप नहीं लगा सकता.’’ सीट के तालमेल के तहत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) 43 सीट पर चुनाव लड़ेगी, और इसकी वाम मोर्चा सहयोगी फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस 13 सीट पर चुनाव लड़ेगी.

शाह ने यह भी दावा किया कि नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने वर्षों की ‘उपेक्षा’ को समाप्त कर पूर्वोत्तर का विकास सुनिश्चित किया है. उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर, विशेष रूप से त्रिपुरा को उग्रवाद, नाकाबंदी, नशीली दवाओं की तस्करी, भ्रष्टाचार और घुसपैठ के लिए जाना जाता था…मोदीजी ने एनएलएफटी के साथ शांति समझौते करके त्रिपुरा में शांति वापस लाने के गंभीर प्रयास किए. कम से कम 40,000 ब्रू (लोगों) का पुनर्वास किया गया है.’’

बाद में खोवाई में एक अन्य रैली में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा ने पूरे पूर्वोत्तर में 9,000 से अधिक उग्रवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के पथ पर है, हवाई अड्डे, सड़कें बनाई जा रही हैं, रेलवे ट्रैक भाजपा के शासन में बनाए जा रहे हैं.’’ शाह ने कहा, ‘‘हमने पिछले पांच वर्षों में त्रिपुरा में शांति और समृद्धि लाई है. लेकिन ये पांच साल काफी नहीं हैं…यात्रा जारी रखनी है. अगर त्रिपुरा विकास कर सकता है, तो वह केवल भाजपा के शासन में ही कर सकता है. हमने अपनी नीतियों के माध्यम से समाज के हर वर्ग का सामाजिक और आर्थिक उत्थान सुनिश्चित किया है.’’ त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 16 फरवरी को होगा और मतगणना दो मार्च को होगी.

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