कांग्रेस के दो विधायकों ने असम सरकार का समर्थन किया, हिमंत ने इसे राहुल गांधी को अपना तोहफा बताया

गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ और पूर्व मंत्री बसंत दास ने अभी अपनी पार्टी को छोड़े बगैर ”सरकार का समर्थन करने” का फैसला किया है. पुरकायस्थ कांग्रेस की प्रदेश इकाई के कार्यकारी प्रमुख थे, जबकि दास तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रहे थे. दास 2021 में मंगलदोई सीट से चुने गए थे.

राज्य में भाजपा-नीत सरकार का नेतृत्व कर रहे शर्मा ने बजट सत्र के दौरान दोनों विधायकों का विधानसभा परिसर स्थित मुख्यमंत्री के कक्ष में स्वागत किया. शर्मा ने इस घटनाक्रम को उनकी ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक तोहफा बताया. यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस के ये दोनों विधायक भाजपा में शामिल होंगे, शर्मा ने कहा कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले इस बारे में फैसला किया जाएगा.

शर्मा ने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी नीत ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ अब ‘कांग्रेस तोड़ो यात्रा’ में तब्दील हो गई है. कांग्रेस नीत ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान, हाल में असम में राहुल और शर्मा के बीच सिलसिलेवार आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला था. शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में विश्वास जताते हुए कांग्रेस के दो विधायकों ने सरकार को समर्थन देने का फैसला किया है. सभी जनकल्याणकारी कार्यक्रमों और रचनात्मक कार्यों के लिए वे राज्य और केंद्र, दोनों सरकारों का समर्थन करेंगे.”

उन्होंने कहा कि मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे चुके पुरकायस्थ, और दास विपक्षी दल के विधायक बने रहेंगे, लेकिन जनता के लिए काम करने के वास्ते असम सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया है. मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को समर्थन देने और उसमें शामिल होने का यह एक ‘नया चलन’ है और अन्य राज्य भी इस शैली का अनुसरण कर सकते हैं.

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पुरकायस्थ ने कहा, ”हम अपने निर्वाचन क्षेत्र और असम में सभी विकास कार्यों के लिए सरकार का समर्थन करेंगे. हालांकि, मैं कांग्रेस विधायक बना रहूंगा और एक सर्मिपत कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा.” उन्होंने दावा किया कि जनकल्याण के अलावा इस कदम का कोई और मकसद या मतलब नहीं है. पुरकायस्थ, कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) में रहने के समय से ही पार्टी से संबद्ध रहे थे. वह 2021 में करीमगंज उत्तर सीट से विधानसभा के लिए चुने गए थे.

शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”नरेन्द्र मोदी-नीत केंद्र सरकार में विश्वास जताते हुए, कांग्रेस के दोनों विधायकों ने सरकार का समर्थन करने का फैसला किया है. सभी जन कल्याणकारी कार्यक्रमों और रचनात्मक कार्यों में वे राज्य एवं केंद्र सरकार का समर्थन करेंगे.” इन दोनों विधायकों से पहले कांग्रेस विधायक शशिकांत दास और सिद्दिकी अहमद ने भी इसी तरीके से सरकार को अपना समर्थन दिया था, लेकिन अब भी वे विपक्षी दल के ही विधायक हैं.

वर्तमान में, 126 सदस्यीय असम विधानसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 61 है, जबकि इसकी सहयोगी यूपीपीएल के सात, असम गण परिषद (एजीपी) के नौ सदस्य हैं. वहीं, विपक्षी खेमे में कांग्रेस के 27, एआईयूडीएफ के 15, बीपीएफ के तीन और माकपा के एक विधायक हैं. एक निर्दलीय विधायक भी है.” शर्मा ने यह भी दावा किया कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के असम से गुजरने के दौरान राहुल ने कांग्रेस विधायकों को असम के मुख्यमंत्री पर प्रहार करने को कहा था.

शर्मा ने कहा, ”राहुल गांधी ने विधायकों से कहा कि यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो आपको 5 या 10 या 15 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया जाएगा. लेकिन असम विधानसभा में इस बार एक भी वॉकआउट नहीं हुआ.” उन्होंने कहा, ”विधायक अब मेरे साथ हैं. यह राहुल गांधी को मेरा उपहार है…यह भारत जोड़ो न्याय यात्रा नहीं थी, बल्कि भारत तोड़ो अन्याय यात्रा थी. हालांकि, आगे बढ़ने के क्रम में यह कांग्रेस तोड़ो यात्रा बन गई है.” शर्मा ने उम्मीद जताई कि उनकी सरकार के विकास कार्यों को देखने के बाद विपक्ष के और भी विधायक उनका समर्थन करेंगे.

उन्होंने दावा किया, ”पिछले दो-चार दिनों में (विपक्ष के) 6-7 विधायकों ने मुझसे मुलाकात की. जब बातचीत पूरी हो जाएगी, तो हम उन्हें आपके सामने पेश करेंगे. वे शारीरिक रूप से अपनी मूल पार्टी के साथ हो सकते हैं, लेकिन मानसिक रूप से हमारे साथ हैं.” शर्मा ने दावा किया कि भाजपा नीत गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में असम की 14 सीट में से कम से कम 11 पर जीतेगा और मतों का अंतर 1.5 लाख से 5 लाख के बीच होगा.

उन्होंने यह भी कहा कि वह अगले दो वर्षों के लिए ‘मियां’ वोट नहीं मांग रहे हैं क्योंकि बाल विवाह और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान जैसे कई कल्याणकारी कार्यों को उससे पहले पूरा करने की जरूरत है. ‘मियां’ मूल रूप से असम में बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है और गैर-बंगाली भाषी लोग आम तौर पर उन्हें बांग्लादेशी अप्रवासी के रूप में जानते हैं.

Related Articles

Back to top button