तदर्थ समिति के गठन को अदालत में चुनौती देगा डब्ल्यूएफआई
प्रयागराज. निलंबित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष संजय सिंह ने देश में कुश्ती के संचालन के लिए खेल मंत्रालय द्वारा तदर्थ समिति गठित करने पर बुधवार को यहां कहा कि डल्यूएफआई इस फैसले के खिलाफ अदालत जाएगा. यहां एक अभिनंदन कार्यक्रम के दौरान संजय सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”खेल मंत्रालय ने हमारी गतिविधियों को निलंबित किया है और एक तदर्थ समिति बनाई है. हम एक स्वायत्त निकाय हैं और नियमों के अनुसार वो (खेल मंत्रालय) ना तो हमारी गतिविधियां रोक सकते हैं और ना ही हमें काम करने से रोक सकते हैं. वे भारतीय कुश्ती महासंघ की सहमति के बगैर तदर्थ समिति नहीं बना सकते.”
डब्ल्यूएफआई में अध्यक्ष पद को लेकर चले विवादों पर उन्होंने कहा, ”कुश्ती को 11 महीने से ग्रहण लगा है. एक साल बीत गया ना कोई राष्ट्रीय प्रतियोगिता हुई और ना ही कोई शिविर लगा. जूनियर बच्चे हतोत्साहित हैं. दूसरे पक्ष ने कुश्ती को बर्बाद करने के लिए क्या नहीं किया.” उन्होंने कहा कि 2012 से पहले की पदक तालिका उठाकर देख लें और 2012 से अभी तक की पदक तालिका देख लें तो समझ में आ जाएगा कि कुश्ती का विकास किसने किया क्योंकि केवल कुश्ती महासंघ पर कब्जा करने के लिए यह षड्यंत्र रचा गया.
संजय ने कहा, ”अगर वो लोग कुश्ती का इतना ही भला चाहते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि अध्यक्ष बनकर ही कुश्ती का भला करेंगे. वे बच्चों का मार्गदर्शन करके और उन्हें प्रोत्साहित करके कुश्ती का भला कर सकते हैं.” संजय ने कहा कि हमारा लक्ष्य ओलंपिक के लिए पहलवान तैयार करना होगा जिससे पदक मिलें. उन्होंने कहा, ”मैं जूनियर पहलवानों के लिए पूरी ताकत लगाऊंगा लेकिन बिना ट्रायल के पहलवानों को जाने (मैच खेलने) नहीं दूंगा. उसके लिए चाहे मुझे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े. ट्रायल नहीं देने के लिए ही यह सारा षड्यंत्र रचा गया था.”