छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने में विफल क्यों रहे प्रधानमंत्री : कांग्रेस

कुछ नेताओं ने केंद्रीय एजेंसियों से नोटिस मिलते ही कांग्रेस छोड़ दी : वेणुगोपाल

नयी दिल्ली/अलप्पुझा. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बस्तर में जनसभा से पहले सोमवार को कहा कि उन्हें इस बारे में बात करनी चाहिए कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने में वह विफल क्यों रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी आज बस्तर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आज प्रधानमंत्री मोदी छत्तीसगढ़ के बस्तर जा रहे हैं. यहां भाजपा के व्यवहार से साफ. पता चलता है कि कॉरपोरेट पूंजीपतियों के साथ उनकी मित्रता लोगों के प्रति उनके कर्तव्यों से कहीं अधिक गहरी है. ” उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि एक आदिवासी बहुल ज.लिे में प्रधानमंत्री इस पर थोड़ी बात तो कर ही सकते हैं कि वह राज्य में आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने में क्यों विफल रहे हैं.”

रमेश ने दावा किया, “घने, जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य वन को “राज्य का फेफड़ा” माना जाता है. लेकिन आज यही हसदेव अरण्य वन भाजपा और उनके पसंदीदा मित्र, अडाणी एंटरप्राइजेज के कारण ख.तरे में है. जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, तो जंगल की रक्षा के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इस जंगल में 40 कोयला ब्लॉक रद्द कर दिए थे. जब भाजपा सत्ता में आई है, तब उन्होंने इस फ.ैसले को पलट दिया है. ”

उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री और भाजपा इतनी बेरहमी से छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के जीवन को कैसे ख.तरे में डाल सकते हैं? कांग्रेस महासचिव ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा शुरू किए गए नगरनार स्टील प्लांट को पिछले साल अक्टूबर में बहुत धूमधाम से जनता को सर्मिपत किया. बस्तर के लोगों को आशा थी कि 23,800 करोड़ रुपये की लागत से बना यह विशाल प्लांट बस्तर के विकास को गति देगा और स्थानीय युवाओं के लिए हज.ारों अवसर पैदा करेगा. ”

उन्होंने दावा किया, ” वास्तव में, भाजपा सरकार 2020 से इस संयंत्र का निजीकरण करने की योजना बना रही है. उसने 50.79 प्रतिशत की हिस्सेदारी अपने मित्रों को बेचने का फ.ैसला किया था. पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले, गृह मंत्री अमित शाह बस्तर आए थे और वादा किया था कि संयंत्र का निजीकरण नहीं किया जाएगा – लेकिन तथ्य यह है कि भाजपा सरकार ने अभी तक इस दावे को मान्य करने के लिए ठोस आश्वासन नहीं दिया है.”

रमेश ने सवाल किया कि क्या भाजपा कोई सबूत दिखा सकती है कि उसने इस इस्पात संयत्र को अपने कॉरपोरेट मित्रों को बेचने का न कभी इरादा किया था और न ही कभी करेगी? उन्होंने कहा, “2006 में, भारत के आदिवासी समुदायों का दशकों पुराना संघर्ष समाप्त हो गया जब कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम पेश किया. पिछले साल, जब प्रधानमंत्री मोदी ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पेश किया, तो यह सारी प्रगति उलटी दिशा में हो गई. नया अधिनियम 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमज.ोर करता है.” रमेश ने प्रश्न किया कि क्या प्रधानमंत्री कभी जल-जंगल-ज.मीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे और आदिवासी कल्याण के लिए सार्थक रूप से अपनी प्रतिबद्धता जताएंगे?

कुछ नेताओं ने केंद्रीय एजेंसियों से नोटिस मिलते ही कांग्रेस छोड़ दी : वेणुगोपाल

वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने सोमवार को कहा कि कुछ नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों से नोटिस मिलते ही पार्टी छोड़ देते हैं और ‘भाजपा तथा केंद्र सरकार के चरणों में गिर जाते हैं’. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव (संगठन) वेणुगोपाल ने हालांकि कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार जैसे नेताओं की तारीफ की और कहा कि उनके मुताबिक उन्होंने विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी द्वारा डाले गए कथित दबाव को नाकाम कर दिया.

शिवकुमार का उदाहरण देते हुए उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बिना किसी कारण के जेल भेजे जाने के बावजूद पार्टी में बने रहने का साहस दिखाया. कई अन्य नेताओं ने जहां केंद्रीय जांच एजेंसियों से नोटिस मिलने पर कांग्रेस छोड़ दी और (भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सामने) आत्मसमर्पण कर दिया, वहीं शिवकुमार ने घोषणा की कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनकी मां की तरह है और वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे.

वेणुगोपाल ने कहा, “शिवकुमार को जेल भेज दिया गया…बिना किसी कारण के तिहाड़ जेल भेज दिया गया. उनसे कहा गया कि अगर वह पार्टी छोड़ने को तैयार हों तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा. मैं उन लोगों से वाकिफ हूं जिन्होंने उन्हें इसके बारे में बताया. लेकिन उन्होंने उनसे कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनकी मां की तरह है और वह इसे नहीं छोड़ेंगे.” अलप्पुझा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे एआईसीसी महासचिव एक चुनाव प्रचार अभियान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे जिसमें शिवकुमार शामिल थे.

उन्होंने कहा कि शिवकुमार एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को यह बताने का साहस दिखाया कि वह अपनी पार्टी नहीं छोड़ेंगे, भले ही उन्हें महीनों जेल में रहना पड़ा. वेणुगोपाल ने आगे कहा, कुछ नेता ऐसा नहीं कह सकते हैं और (जांच एजेंसियों से) नोटिस मिलने पर वे आसानी से आत्मसमर्पण कर देते हैं और राजनीतिक विरोधियों के पैरों पर गिर जाते हैं. उन्होंने कहा, “मैं शिवकुमार के लिए वास्तव में खुश हूं.”

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