आप अयोग्य ठहराए जाने पर उच्च न्यायालय क्यों नहीं गये : शीर्ष अदालत ने कांग्रेस के बागियों से पूछा

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने हाल में राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ करने वाले कांग्रेस के छह बागी विधायकों से मंगलवार को पूछा कि वे उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय क्यों नहीं गये. हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी को पार्टी व्हिप का ‘उल्लंघन’ करने पर कांग्रेस की अर्जी पर छह विधायकों को (सदन की सदस्यता के लिए) अयोग्य करार दिया था. इस व्हिप के अनुसार, उन्हें विधानसभा में मौजूद रहकर बजट के पक्ष में मतदान करना था.

बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी, जो न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी. इन याचिकाकर्ताओं के वकील ने यह कहते हुए पीठ से इस मामले की सुनवाई 15 या 18 मार्च के लिये स्थगित कर देने का अनुरोध किया कि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे उनकी ओर से पेश होंगे, लेकिन वह सुनवाई में शामिल नहीं हो सके हैं.

इस पर न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ” लेकिन, हमें एक बात बताइए, आप उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए?” जब वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने याचिका में इसकी वजह स्पष्ट की है और यह कि वे विधायक के रूप में निर्वाचित हुए हैं, तब पीठ ने कहा, ” यह मौलिक अधिकार नहीं है.” वकील ने कहा, ”यह दुर्लभ मामला है, जहां 18 घंटे के अंदर विधानसभा अध्यक्ष ने हमें अयोग्य करार दिया.” पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च तय की.

याचिकाकर्ताओं ने पठानिया, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान तथा अन्य को इस याचिका में प्रतिवादी बनाया है. कांग्रेस के इन बागियों ने 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था और बाद में वे बजट पर ‘मत विभाजन’ में अनुपस्थित रहे थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ‘क्रॉस वोटिंग’ के चलते राज्यसभा चुनाव हार गये थे. अयोग्य करार दिये गये विधायकों में सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो शामिल हैं.

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