कश्मीर मसले में ‘तीसरे पक्ष’ के दखल पर चुप्पी क्यों साध रखी है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने: गहलोत

जयपुर. पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम एवं अन्य मुद्दों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों से देश की जनता में ‘नाराजगी’ होने का दावा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि कश्मीर मसले में ‘तीसरे पक्ष’ के दखल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुप्पी क्यों साध रखी है. उन्होंने यहां मीडिया से बातचीत में ट्रंप के उन बयानों का जिक्र किया जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम करवाने का दावा करते हुए कश्मीर एवं व्यापार जैसे मुद्दों की बात की थी.

उन्होंने कहा,” ट्रंप ने संघर्षविराम, कश्मीर या व्यापार के बारे में जो कुछ भी बोला है…उससे पूरे देश में जबर्दस्त आक्रोश है. इसे (केंद्र की भाजपा) सरकार समझ नहीं पा रही है. मेरा मानना है कि ऐसी स्थितियां रहीं तो भाजपा को खामियाजा भुगतना पड़ेगा.” वरिष्ठ कांग्रेस नेता गहलोत ने कहा,”लोगों को यह बहुत बुरा लगा है. मैं मोदीजी से पूछना चाहूंगा कि आपने अभी तक चुप्पी क्यों साध रखी है? आप अब भी क्यों नहीं कह रहे हैं कि कश्मीर मामले में कोई तीसरा पक्ष नहीं आएगा, यह सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच की बात है.” उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के मामले में ट्रंप का आने को वह बहुत खतरनाक मानते हैं और ट्रंप जबरदस्ती पंचायत कर रहे हैं.

उन्होंने कहा,” ट्रंप साहब इन बातों के बीच आ गए, उसे मैं इसे बहुत खतरनाक मानता हूं. आज तक केंद्र में चाहे किसी की भी सरकार रही हो, यही रुख रहा है कि हम तीसरे पक्ष को बर्दाश्त नहीं करेंगे. चाहे कश्मीर मुद्दा हो या कोई और, हम पाकिस्तान के साथ सीधी बात करेंगे.” गहलोत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष रखने के लिए जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को लेकर उठे विवाद के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि सांसद शशि थरूर ने ‘गलती’ की जबकि केंद्र सरकार इस मामले में शरारत करने से नहीं चूकी.

गहलोत ने कहा,”शशि थरूर की ड्यूटी थी कि वह पार्टी को बताते. हम सब उनका सम्मान करते हैं. उन्हें संयुक्त राष्ट्र का अनुभव है, वह विदेश राज्य मंत्री भी रहे हैं, अच्छे इंसान हैं. लेकिन जब वह राजनीति में हैं और कांग्रेस से चुनाव जीतकर आए हैं, ऐसे में विपक्षी दल और सरकार उनको कोई भी पेशकश करे…तब बतौर सांसद ऐसे मामलों में उन्हें कहना चाहिए कि मुझे कोई दिक्कत तो नहीं है लेकिन आप (मेरी पार्टी के) आलाकमान से बात कर लें.” गहलोत ने कहा,”अगर वह यह बात कह देते तो यह मुद्दा बनता ही नहीं. उन्होंने वहां गलती की और सरकार की शरारत है . यह सरकार शरारत करने से चूकती नहीं है. यह मौका पूरे देश की एकजुटता दिखाने का है.” भाषा

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