जवानों के लिए ‘पिटाई’ जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए: जयशंकर का राहुल गांधी पर पलटवार

सरकार मछुआरों के प्रति संवेदनशील, सबसे ज्यादा मछुआरे मोदी सरकार के प्रयास से रिहा हुए : जयशंकर

नयी दिल्ली.  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के प्रति भारत का रुख ‘उदासीन’ होने के कांग्रेस के आरोपों को सोमवार को सिरे से खारिज कर दिया, साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के परोक्ष संदर्भ में कहा कि राजनीतिक मतभेद और आलोचनाओं में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन किसी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने जवानों की ंिनदा नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सैनिकों के लिए ‘पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल कर उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए.

लोकसभा में ‘समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक, 2019’ पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणियों पर जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘यदि चीन के प्रति भारत का रुख उदासीन होता तो सीमा पर सेना को किसने भेजा, हम चीन पर सैनिकों की वापसी के लिए दबाव क्यों बनाते और हम सार्वजनिक रूप से क्यों कहते कि हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं.’’ उन्होंने यह भी कहा कि देश के जवान यांगत्से में 13 हजार फुट की ऊंचाई पर डटे हैं और सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं.

जयशंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा, ‘‘जवानों के लिए ‘पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. उनका अपमान नहीं होना चाहिए. जवानों का सम्मान, आदर होना चाहिए और उनकी सराहना होनी चाहिए.’’ विदेश मंत्री ने कहा कि राजनीतिक मतभेद और आलोचनाएं हो सकती हैं, उसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन ‘‘हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने जवानों की ंिनदा नहीं करनी चाहिए.’’ ज्ञात हो कि राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह जयपुर में संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया था कि चीन ने भारत के 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया, 20 भारतीय जवानों की जान ले ली और ‘‘अरुणाचल प्रदेश में हमारे जवानों की पिटाई कर रहा है’’.

जयशंकर ने ‘जी 20’ की अध्यक्षता के संबंध में चौधरी के एक बयान पर जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक के दायरे से बाहर का विषय है, लेकिन ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि इस समय दुनिया भारतीय नेतृत्व की ओर निहार रही है. दुनिया भारत के नेतृत्व को महत्व देती है. कोई चीज बारी-बारी से मिल रही है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसका कोई महत्व नहीं है.’’ इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा था कि ‘जी 20’ की भारत की अध्यक्षता का महिमामंडन किया जा रहा है और इसे लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है, जबकि इसके सदस्यों को बारी-बारी से अध्यक्षता मिलती है.

जयशंकर ने यह भी कहा, ‘‘मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि मैं न्यूयॉर्क में संयुक्त सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के लिए गया था. यह भारत के लिए गर्व की बात है. संरा सुरक्षा परिषद में सुधार और आतंकवाद निरोधक कार्रवाई दोनों ही महत्वपूर्ण विषय हैं.’’ भाषा वैभव दीपक

सरकार मछुआरों के प्रति संवेदनशील, सबसे ज्यादा मछुआरे मोदी सरकार के प्रयास से रिहा हुए : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मछुआरों के प्रति भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि श्रीलंका द्वारा गिरफ्तार किये गए भारतीय मछुआरों की रिहाई चेन्नई में बैठे किसी व्यक्ति के पत्र पर नहीं, बल्कि दिल्ली से होने वाली कार्रवाई पर होती है. जयशंकर ने लोकसभा में ‘समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक, 2019’ पर हुई चर्चा में तमिलनाडु से द्रमुक सांसद कनिमोई द्वारा उठाये गये मुद्दे पर जवाब देते हुए यह बात कही.

उन्होंने तमिलनाडु और भारत के अन्य तटीय क्षेत्रों के मछुआरों को लेकर सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण होने के दावों को गलत बताते हुए कहा कि 2014 से अब तक सरकार के हस्तक्षेप से श्रीलंका द्वारा रिहा किये गये भारतीय मछुआरों की संख्या, गुजरात के तटीय क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा रिहा कराये गये देश के मछुआरों की संख्या से अधिक रही है. जयशंकर ने कहा कि देश में यदि किसी भी सरकार ने और किसी भी प्रधानमंत्री ने तमिल मछुआरों की दुर्दशा पर ध्यान दिया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने दिया है.

उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के साथ बातचीत की प्रणाली स्थापित की. वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लगातार बातचीत की. उन्होंने मुझे वहां के मंत्रियों से बात करने को कहा.’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ सच यह है कि अगर आज मछुआरे श्रीलंका में रिहा किये जाते हैं, तो चेन्नई में बैठे किसी व्यक्ति के पत्र से नहीं, बल्कि दिल्ली में कोई कार्रवाई कर रहा है, इसलिए किये जाते हैं.’’ उन्होंने कहा कि देश का दक्षिण तट हो या पश्चिमी तटीय क्षेत्र हो, सभी मछुआरे सरकार के लिए देश के समान नागरिक हैं.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए ध्वनिमत से समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक, 2019’ को मंजूरी दे दी. निचले सदन में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने अपने सभी छह संशोधनों को वापस लेते हुए कहा कि विदेश मंत्री ने अपने जवाब में सभी सदस्यों के संशोधनों का ंिबदुवार जवाब दिया है जिसके लिए उनकी प्रशंसा होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जयशंकर ने उनके संशोधनों को आंशिक या पूर्ण रूप से स्वीकार किया है, इसलिए वे अपने संशोधन वापस ले रहे हैं.
समुद्री क्षेत्र में जलदस्युओं से निपटने के प्रावधान वाले विधेयक में मृत्यु दंड पर विपक्षी सदस्यों की ंिचताओं को खारिज करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि ‘अनिवार्य मृत्यु दंड’ की किसी तरह की आशंका नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि विधेयक में पहले से ही मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान था, सरकार ने विधेयक के संशोधित प्रारूप में मृत्यु दंड अथवा उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा है.

जयशंकर ने कहा, ‘‘समुद्री लूटपाट के मामले में विधेयक में जेल से लेकर उम्रकैद तक और मृत्युदंड तक के प्रावधान हैं. जो अपराध की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अदालतें तय करेंगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि अनिवार्य मृत्युदंड की उनकी ंिचता बेकार है. सरकारी संशोधन के मददेनजर इसमें उम्रकैद के प्रावधान को जोड़ा गया है और उच्चतम न्यायालय की इस व्यवस्था का ध्यान रखा गया है कि मृत्यु दंड दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में दिया जाना चाहिए.’’

उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा को लेकर सरकार अनेक प्रयास कर रही है, जिसमें क्षेत्रीय नौसेनाओं के साथ साझेदारी और समुद्र में गश्ती जैसे कदम शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सरकार मरीन पुलिस बनाने की सदस्यों की मांग पर ध्यान देगी. सरकार ने सात दिसंबर को निचले सदन में विधेयक पेश किया था जिस पर चर्चा में कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने मृत्यु दंड का प्रावधान हटाने की मांग की.

विदेश मंत्री ने तब कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में समुद्री क्षेत्र में जलदस्युओं से होने वाली समस्या से निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं था, ऐसे में सरकार यह विधेयक लेकर आई. उन्होंने कहा कि उक्त विधेयक दिसंबर 2019 में सरकार संसद में लाई थी और इसे अध्ययन के लिए संसदीय समिति को भेजा गया था.

जयशंकर ने कहा कि सरकार ने समिति की 18 में से 14 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है, वहीं तीन सिफारिशें टिप्पणी की प्रकृति की हैं. उन्होंने कहा कि इन सिफारिशों और कई दौर की बातचीत के बाद विधेयक का मसौदा तैयार किया गया.

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