सरकार को लोगों के मुद्दों पर जवाबदेह ठहराएगी यात्रा : कांग्रेस

नयी दिल्ली/भोपाल. कांग्रेस ने रविवार को कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ लोगों के मुद्दों को उठाने के अपने उद्देश्य की प्राप्ति में कामयाब रही है और आगे चलकर यह सुनिश्चित करेगी कि सरकार को जवाबदेह ठहराया जाए. विपक्षी दल ने यह भी कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि खराब करने के लिए फैलाये गये ‘असत्य’ को (भारत जोड़ो) यात्रा द्वारा ‘ध्वस्त’ कर दिया गया है और उनकी ‘वास्तविकता’ देश के सामने आ गई है.

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यात्रा उम्मीद से ज्यादा सफल रही है. उन्होंने कहा, ‘‘जब यह शुरू हुआ, तो इस बारे में बहुत सारे सवाल (उठे) थे कि लोग आएंगे या नहीं या हम हर दिन 25 किमी. की दूरी तय कर पाएंगे या नहीं. पिछले 60 दिन एक झटके में बीत चुके हैं.’’

कुमार ने कहा, ‘‘यात्री शारीरिक दर्द भूल गये हैं. यात्रा ने अपना पहला उद्देश्य हासिल कर लिया है. यात्री इस यात्रा में सहज हो गए हैं, यात्रा देश के साथ सहज हो गई है और देश यात्रा के साथ सहज हो गया है.’’ कुमार पूर्व पार्टी अध्यक्ष के साथ चलने वाले उन पदयात्रियों में से एक हैं जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक साथ रहेंगे. उन्होंने कहा कि यात्रा ने अपना पहला उद्देश्य हासिल कर लिया है और लोग जानते हैं कि यह उनके मुद्दों को उजागर करने के लिए की जा रही है.

यह पूछे जाने पर कि क्या यात्रा के कारण राहुल गांधी की छवि में कोई बदलाव आया है, कुमार ने कहा, ‘‘राहुल गांधी के बारे में बहुत कुछ कहा गया है. रिपोर्टर पूछते हैं कि क्या उनकी छवि में सुधार होगा, मैं कहूंगा कि देश के लोग उन्हें सही मायने में जानेंगे.’’ कुमार ने कहा, ‘‘राहुल गांधी के बारे में जो कुछ कहा गया था कि वह गंभीर नहीं हैं, वह विदेश चले जाएंगे, चल नहीं पाएंगे, छुट्टी पर चले जाएंगे, कंटेनर में नहीं रह पाएंगे, यह सब खत्म हो गया है. उनकी छवि खराब करने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये गये, लेकिन सिर्फ सड़क पर चलने से वास्तविकता स्पष्ट हो चुकी है.’’ कुमार ने कहा कि मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी दो प्रमुख आम मुद्दे हैं जो यात्रा के दौरान लोगों की प्रतिक्रिया में सामने आए.

उन्होंने कहा कि संघवाद के संरक्षण का मुद्दा दक्षिणी राज्यों में भी उठाया गया था और भावना यह थी कि केंद्र न्याय नहीं कर रहा है.
कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी को लेकर भी उन पर निशाना साधा कि उन्हें हर दिन ‘2-3 किलोग्राम’ गालियां मिलती हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भी ‘विक्टिम कार्ड’ खेल रहे हैं. कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने रविवार को महाराष्ट्र में एक दिन का अवकाश लिया और यह सोमवार को ंिहगोली जिले के कलामनुरी से वाशिम तक चलेगी. गांधी ने महाराष्ट्र में यात्रा के छठे दिन शनिवार की रात कलामनुरी में एक जनसभा को संबोधित किया था और कहा था कि पैदल मार्च का संदेश है कि भारत को विभाजित नहीं किया जा सकता और नफरत को फैलने नहीं दिया जाएगा.

‘भारत जोड़ो यात्रा’ राहुल को गंभीर राजनेता के रूप में स्थापित करेगी: विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की जारी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कांग्रेस सांसद को एक गंभीर राजनेता के रूप में स्थापित करेगी और उन्हें अपनी मजबूत प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने में बड़ी मदद करेगी, लेकिन देश के विभिन्न राज्यों से गुजर रही इस यात्रा का स्थायी प्रभाव छोड़ने के लिए इसे किसी एक विशेष मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था.

तमिलनाडु के कन्याकुमारी से सात सितंबर को शुरू हुई कांग्रेस की लगभग 150 दिनों की यह 3,570 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा सात नवंबर को महाराष्ट्र में प्रवेश कर गई. गांधी के नेतृत्व वाली यह यात्रा 20 नवंबर को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में महाराष्ट्र से प्रवेश करने के बाद लगभग आधी दूरी तय कर लेगी. यात्रा जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी. इस यात्रा का लक्ष्य कांग्रेस पार्टी के संगठन को पुनर्जीवित करना है.

राज्य में यात्रा की तैयारियों की निगरानी कर रहे मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का मार्ग किसी स्थान पर पार्टी की राजनीतिक कमजोरी या मजबूती को ध्यान में रखकर तय नहीं किया गया है, वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस यात्रा का देश की राजनीति पर असर पड़ेगा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यात्रा का भारतीय राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में राहुल गांधी को गैर-गंभीर राजनेता के रूप में चित्रित करने के आरएसएस/भाजपा के सुनियोजित अभियान को प्रभावी ढंग से नुकसान पहुंचाएगी. इस यात्रा से राहुल गांधी देश के एक प्रमुख नेता के रूप में भी उभरेंगे.’’ पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और ओलंपियन ने कहा कि यह यात्रा भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (भाजपा-आरएसएस) द्वारा खेली जा रही ‘विभाजन और ध्रुवीकरण की राजनीति’ के खिलाफ कांग्रेस की ओर से की जा रही है.

खान ने कहा कि गांधी (52) ने कांग्रेस नेताओं के भारी दबाव के बावजूद गांधी परिवार को पार्टी अध्यक्ष के पद से दूर रखने के अपने शब्दों पर कायम रहकर खुद को एक गंभीर राजनेता साबित किया है. पूर्व ओलंपियन ने कहा, ‘‘पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से कर राहुल गांधी ने साबित कर दिया है कि वह भारतीय राजनीति में लंबी पारी खेलने वाले गंभीर राजनेता हैं.’’ हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर ने तर्क दिया कि इस राष्ट्रव्यापी पैदल यात्रा को अपेक्षित जनसमर्थन नहीं मिल रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा किसी खास मुद्दे पर केंद्रित नहीं है और इसलिए इसे उस तरह का जनसमर्थन नहीं मिल रहा है जैसा कि अतीत में इस तरह की यात्राओं को मिला करता था.’’

शंकर ने कहा, ‘‘महात्मा गांधीजी ने नमक विरोधी कानून भंग करने के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ ध्यान केंद्रित करते हुए दांडी यात्रा निकाली या नमक सत्याग्रह किया और इसलिए इसे स्वेच्छा से भारी जनसमर्थन मिला था.’’ उन्होंने कहा कि इसी तरह 1990 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा पूरी तरह से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में बड़े पैमाने पर लामबंदी पर केंद्रित थी और उस समय इसे भी लोगों से भारी जनसमर्थन मिला था.

शंकर ने कहा, ‘‘कांग्रेस की यात्रा सांप्रदायिकता और नफरत से लड़ने जैसे विशिष्ट मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए थी. इससे पार्टी को काफी फायदा मिलता और आम लोगों से भारी समर्थन मिल सकता था.’’ वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई का मानना है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में दम नहीं है और उन्होंने इसे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ने की कोशिश की.

कमलनाथ ने कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा का मार्ग किसी स्थान पर पार्टी की राजनीतिक कमजोरी या मजबूती को ध्यान में रखकर तय नहीं किया गया है. भारत जोड़ो यात्रा केवल राजनीतिक यात्रा नहीं है. यह अनेकता में एकता की भारतीय संस्कृति और संविधान को बचाने की यात्रा है. राहुल गांधी ने यह यात्रा निकालने की इसलिए सोची क्योंकि हमारी संस्कृति और संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं.’’

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