ज़ाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबंध को पांच साल बढ़ाने की पुष्टि

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय के एक अधिकरण ने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल बढ़ाने की पुष्टि की है. आईआरएफ की स्थापना ज़ाकिर नाइक ने की है जो फरार है और उसपर भारत और विदेश के मुस्लिम युवाओं को आतंकी कृत्य करने के लिए उकसाने का आरोप है. केंद्र सरकार ने 17 नवंबर 2016 को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून 1967 के तहत पहली बार आईआरएफ को प्रतिबंधित किया था.
एक अधिसूचना में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बात पर फैसला करने के लिए 13 दिसंबर 2021 को एक अधिकरण गठित किया था कि आईआरएफ को गैर कानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं. इस अधिकरण में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल शामिल थे. मंत्रालय ने कहा कि इस अधिकरण ने नौ मार्च 2022 को एक आदेश पारित करके आईआरएफ को गैर कानूनी संगठन घोषित किए जाने की पुष्टि की.
प्रतिबंध की मियाद बढ़ाते हुए मंत्रालय ने कहा था कि अगर आईआरएफ की गतिविधियों पर लगाम नहीं कसी गई और उसे तत्काल नियंत्रित नहीं किया गया तो उसे अपनी विनाशक गतिविधियों को जारी रखने का मौके मिलेगा और वह अपने लोगों को फिर से जमा कर सकता है जो अब भी फरार हैं. उसने कहा था कि केंद्र सरकार की राय है कि आईआरएफ की गतिविधियों के संबंध में, यह जरूरी है कि उसे फौरन गैर कानूनी संगठन घोषित किया जाए.
मुंबई में जन्मे नाइक ने एक जुलाई 2016 को ढाका के एक कैफे में हुए विस्फोट के मद्देनजर भारत छोड़ दिया था. उसपर अपने ‘पीस टीवी’ और सोशल मीडिया नेटवर्क के जरिए अलग-अलग समुदायों में नफरत फैलाने का आरोप है. वह फिलहाल मलेशिया में रह रहा है.
ढाका में हुए विस्फोट में, 20 लोगों की मौत हुई थी जिनमें 17 विदेशी थे. बांग्लादेश के एक हमलावर ने कहा था कि वह नाइक के भाषणों से प्रेरित है. नाइक ने किसी भी घटना में किरदार होने से इनकार किया है.
गृह मंत्रालय ने कहा था कि नाइक के बयान और भाषण आपत्तिजनक और विनाशकारी होते हैं और इनके जरिए वह धार्मिक समूहों में नफरत फैलाता है और देश-विदेश में एक खास धर्म के युवाओं को आतंकी कृत्य करने के लिए उकसाता है. मंत्रालय ने कहा कि नाइक की गतिविधियां देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचाएंगी और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ेगी. भारत मलेशिया से नाइक को प्रर्त्यिपत करने की मांग कर रहा है लेकिन इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है. उसे मलेशिया में स्थायी निवास हासिल है जो उसे बचाता है.
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