
बीजापुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 51 माओवादियों ने बुधवार को सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी. बड़ी संख्या में माओवादियों के आत्मसमर्पण पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि देश अब नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है.
अधिकारियों ने बताया कि राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप आज 51 माओवादियों ने हिंसा का मार्ग त्याग कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि ‘पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन’ योजना के अंतर्गत मुख्यधारा में लौटने वाले इन माओवादियों में नौ महिला और 42 पुरुष हैं, जिन पर कुल 66 लाख रुपए का इनाम घोषित था.
अधिकारियों ने इन 51 माओवादियों में ‘पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए)’ बटालियन नंबर एक और कंपनी नंबर एक, दो और पांच के पांच सदस्य, एक एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम), सात प्लाटून और एरिया कमेटी पार्टी सदस्य, तीन एलओएस सदस्य, एक मिलिशिया प्लाटून कमांडर और 14 मिलिशिया प्लाटून सदस्य शामिल हैं. उन्होंने बताया कि माओवादियों ने हिंसक और जनविरोधी विचारधारा को त्यागकर शांति एवं प्रगति के मार्ग को अपनाया है.
अधिकारियों ने बताया कि आज आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में माड़ संभाग में कंपनी नंबर के सदस्य बुधराम पोटाम उर्फ रंजीत (25), बटालियन नंबर एक की पार्टी सदस्य मनकी कोवासी (24), कंपनी नंबर दो की पार्टी सदस्य हुंगी सोढ़ी (27), कंपनी नंबर दो का पार्टी सदस्य रवीन्द्र पुनेम उर्फ आयतू (25) और पीएलजीए सदस्या देवे करटाम (25) के सर पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम है.
उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी मंगू ओयाम उर्फ लालू (27) के सर पर पांच लाख रुपये का इनाम है.
अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा सात माओवादियों पर दो-दो लाख रुपये और सात माओवादियों के सर पर एक-एक लाख रुपये का इनाम है. उन्होंने बताया कि 2025 में बीजापुर जिले में 461 माओवादी मुख्यधारा में लौट आये हैं जबकि सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 138 माओवादी मारे गये तथा 485 माओवादी गिरफ्तार किये गये.
अधिकारियों ने बताया कि 2024 से अब तक बीजापुर जिले में 650 माओवादी मुख्यधारा में लौटे हैं जबकि जिले में सुरक्षाबलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ में 196 माओवादी मारे गये तथा 986 माओवादियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि इन 51 माओवादियों के समाज में पुनर्वास और पुनर्समावेशन के लिए आवश्यक विधिक प्रक्रिया जारी है.
अधिकारियों का कहना है कि मुख्यधारा में लौटे सभी नक्सलियों ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया है. राज्य शासन द्वारा इन्हें पुनर्वास प्रोत्साहन के स्वरूप 50 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि इस पुनर्वास की प्रक्रिया में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), बस्तर फाईटर, एसटीएफ और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का विशेष योगदान रहा. माओवादियों के आत्मसमर्पण पर मुख्यमंत्री ने कहा है कि देश अब नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है.
साय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,”छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और नियद नेल्ला नार योजना ने माओवाद की हिंसक विचारधारा में लिप्त युवाओं में नया विश्वास जगाया है. हिंसा का रास्ता छोड़कर वे अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं. बीजापुर जिले में चलाए जा रहे ह्लपूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवनह्व अभियान के तहत सुरक्षाबलों के निरंतर प्रयासों से आज एक बार फिर कुल 66 लाख रुपये के इनामी 51 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया है.”
मुख्यमंत्री ने कहा है, ”यह कदम इस बात का प्रमाण है कि बस्तर अब भय और हिंसा के अंधकार को मिटाते हुए शांति और प्रगति के नए युग में प्रवेश कर रहा है. शासन की संवेदनशील नीतियों और मानवीय दृष्टिकोण ने यह साबित कर दिया है कि संवाद इस समस्या का स्थायी समाधान है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में देश अब नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है.”
बीजापुर जिले के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर जितेंद्र कुमार यादव ने कहा है कि सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को आर्किषत कर रही है तथा मुख्यधारा में लौटने वाले माओवादियों के परिजन भी चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिएं और समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें.’ यादव ने माओवादियों से अपील की है कि वे भ्रामक विचारधाराओं को त्यागें और निर्भय होकर समाज की मुख्यधारा में लौटें, जिससे क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास स्थापित हो सके.
इस बीच, कांकेर जिले में 26 अक्टूबर को आत्मसमर्पण करने वाले 21 सक्रिय माओवादी कैडरों को जिले में एक कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समुदाय के बुजुर्गों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में औपचारिक रूप से सामाजिक मुख्यधारा में फिर से शामिल किया गया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कांकेर के ‘काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर (सीटीजेडब्ल्यू) कॉलेज’ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, उन्हें भारत के संविधान की प्रतियां भेंट कर मुख्यधारा में स्वागत किया गया, जो लोकतांत्रिक जीवन में उनकी वापसी का प्रतीक है.
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि इन 21 माओवादियों का समाज में फिर से शामिल होना हिंसक और जनविरोधी विचारधारा से माओवादी कैडरों के बढ़ते मोहभंग को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि इन कैडरों में 18 महिलाएं शामिल हैं, जिन पर कुल 85 लाख रुपये का इनाम था.
सुंदरराज ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने पुलिस को 18 हथियार सौंपे, जिनमें तीन एके-47 राइफलें, चार सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर), दो इंसास राइफलें, पांच .303 राइफल, एक 315 बोर राइफल, दो सिंगल शॉट राइफलें और बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (बीजीएल) शामिल हैं. सुंदरराज ने यह भी कहा कि अन्य बचे माओवादी नेता जिनमें पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी, सेंट्रल कमेटी सदस्य हिडमा, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य पप्पा राव, बरसे देवा और अन्य शामिल हैं – उनके पास हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
कांकेर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने कहा कि कांकेर में इस आत्मसमर्पण के साथ, माओवादियों की ‘कुएमारी/किसकोड़ो एरिया कमेटी’ को प्रभावी ढंग से खत्म कर दिया गया है, जिससे केशकाल डिवीजन में नक्सली मौजूदगी और कमजोर हो गई है. उन्होंने कहा कि इन ‘एरिया कमेटियों के पूरी तरह खत्म होने से बस्तर इलाके में नक्सलियों का एक और गढ़ खत्म हो गया है.
छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में नक्सलियों का आत्मसमर्पण जारी है. इससे पहले 17 अक्टूबर को जगदलपुर में 153 हथियारों के साथ 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. राज्य में दो अक्टूबर को बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें से 49 पर कुल 1.06 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सल समस्या की समाप्ति का संकल्प लिया है. उन्होंने हाल में अपने बस्तर प्रवास के दौरान नक्सलियों से हथियार छोड़ने की अपील की थी.



