नौकरियों में 58% आरक्षण: उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ छत्तीसगढ़ की याचिका पर नोटिस

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के छत्तीसगढ़ सरकार के 2012 के फैसले को उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किये जाने को चुनौती देने वाली अपील पर शुक्रवार को संबंधित पक्ष से जवाब तलब किया. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया गया था, जिसके बाद इसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने उच्च न्यायालय के 19 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी को नोटिस जारी किया. राज्य सरकार ने अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों और दिये गये आंकड़ों की पड़ताल किये बिना आदेश पारित किया था.

उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण को बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के राज्य सरकार के 2012 के फैसले को खारिज कर दिया था और कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है. वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था.

वर्ष 2012 के संशोधन के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए कोटा चार प्रतिशत घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी थी और इसे 32 प्रतिशत कर दिया गया था. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को 14 प्रतिशत पर अपरिर्वितत रखा गया था.

उसी वर्ष गुरु घासीदास साहित्य अवं संस्कृति अकादमी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दलील दी थी कि चूंकि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है, इसलिए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 16(1) के तहत अवसर की समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है.

Related Articles

Back to top button