राज्यसभा में आप सदस्य का निलंबन खत्म, विशेषाधिकार समिति की सिफारिश मंजूर

नयी दिल्ली: राज्यसभा में सोमवार को आम आदमी पार्टी सदस्य राघव चड्ढा का निलंबन समाप्त करते हुए उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दे दी गयी। चड्ढा को मानसून सत्र में 11 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया था।

शीतकालीन सत्र के पहले दिन भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामरम करीम से विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट पेश करने को कहा।

करीम ने समिति की 75वीं रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि विशेषाधिकार समिति ने एक सदस्य के विरूद्ध मीडिया को जानबूझ कर गलत एवं गुमराह करने वाली सूचना कथित रूप से लीक करने, समिति की कार्यवाही को गलत तरीके से पेश करने एवं आसन के अधिकारों को चुनौती देने तथा प्रस्तावित प्रवर समिति में सदस्यों की सहमति लिए बिना उनके नाम शामिल करने के प्रश्न पर विचार किया।

इसके बाद सभापति धनखड़ ने कहा कि विशेषाधिकार समिति ने गहराई और सुविचारित ढंग से इस मामले पर गौर करके सदस्य राघव चड्ढा को दोनों आरोपों में दोषी पाया। उन्होंने कहा कि पहला आरोप है कि उन्होंने जानबूझ कर मीडिया को गुमराह करने वाले तथ्य पेश किए, सभा की कार्यवाही की गलत तरह से व्याख्या की जिसके परिणाम स्वरूप राज्यसभा के सभापति के अधिकारों को चुनौती दी गयी तथा सदन के नियमों की अवहेलना हुई। उन्होंने कहा कि दूसरा आरोप है कि प्रस्तावित प्रवर समिति में सदस्यों के नाम उनकी सहमति के बिना प्रस्तावित करना सदन की नियमावली के नियम 72 का स्पष्ट उल्लंघन है।

सभापति ने समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 11 अगस्त 2023 से अब तक सदस्य का सदन से निलंबित रहना पर्याप्त सजा है जो न्याय के उद्देश्य को पूरा करता है। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह उम्मीद जतायी कि आम आदमी पार्टी के सदस्य राघव चड्ढा आत्मावलोकन करेंगे और भविष्य में सदन की गरिमा और परंपरा के अनुरूप आचरण करेंगे।

इसके बाद भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा राव ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया था कि चड्ढा के निलंबन को समाप्त किया जाए। इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया और सभापति ने आप सदस्य को सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दे दी।

बाद में चड्ढा ने एक वीडियो संदेश जारी कर उच्च सदन से उनका निलंबन समाप्त होने के लिए राज्यसभा के सभापति एवं उच्चतम न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त किया। आप नेता ने कहा, ‘‘ अपना निलंबन खत्म करवाने के लिए मुझे उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही मेरा निलंबन समाप्त हुआ। मैं करीब 115 दिन निलंबित रहा। इन दिनों, मैं संसद के भीतर आपके प्रश्न नहीं पूछ पाया और सदन के भीतर आपकी आवाज नहीं उठा पाया।”

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं प्रसन्न हूं कि मेरा निलंबन खत्म हो गया। मैं इसके लिए उच्चतम न्यायालय एवं राज्यसभा के सभापति के प्रति आभारी हूं। इन 115 दिनों के दौरान मुझे लोगों का प्रेम एवं आशीर्वाद मिला। आप लोगों से मुझे ताकत मिली। मैं अपने दिल की गहराइयों से आपके प्रति आभारी हूं।’’

गौरतलब है कि राज्यसभा में 11 अगस्त को उच्च सदन के नेता पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा को निलंबित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया था जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया था। चड्ढा पर दिल्ली राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2023 को सदन की प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव करने के लिए, सदन के कुछ सदस्यों से सहमति लिए बिना ही प्रस्तावित समिति के लिए उनका नाम लेने का आरोप लगाया गया था।

उच्च सदन के कुछ सदस्यों की शिकायत पर इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया था।
बाद में चड्ढा इस मामले में उच्चतम न्यायालय चले गये थे। न्यायालय ने उनका पक्ष सुनने के बाद आप नेता को इस मामले में निर्देश दिया कि वह राज्यसभा के सभापति के सामने अपना पक्ष रखें।

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