वायुसेना जरूरत पड़ने पर सीमित समय में इच्छित कार्रवाई करने में सक्षम : एयर चीफ मर्शल चौधरी

नयी दिल्ली. एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने रविवार को कहा कि भारत को अस्थिर पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर मौजूद स्थिति को ‘‘दो मोर्चों’’ के तौर पर देखना चाहिए और उसी के अनुरूप तैयारी करनी चाहिए. उन्होंने यह बात चीन और पाकिस्तान के दोहरे सैन्य खतरे से उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों का संदर्भ देते हुए कही.

वायुसेना प्रमुख ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘भविष्य में भारत पर सभी मोर्चों से हमला हो सकता है, जिसमें सैन्य गतिरोध से लेकर दुष्प्रचार और ब्लैकआउट तक शामिल है. ऐसे में भारत के सुरक्षा सिद्धांत और क्षमताओं को इन आशंकाओं का मुकाबला करने में सक्षम होना चाहिए.’’ जब उनसे विशेष तौर पर पूछा गया कि क्या यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रमकता चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर और अधिक आक्रमक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी तो उन्होंने कहा कि वैश्विक घटनाओं और भूराजनीतिक घटनाक्रमों से भारत-चीन संबंधों पर पड़ने वाले असर का लगातार विस्तृत तौर पर और सभी स्तरों पर आकलन किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपने मौजूदा और भविष्य के खतरों की सटीक पहचान करने की जरूरत है, ताकि उनका मुकाबला करने के लिए जरूरी क्षमता का विकास किया जा सके.’’ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के बीच चीन द्वारा एलएसी के पास तेजी से हवाई संसाधन तैनात करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना जरूरत पड़ने पर बहुत सीमित समय में इच्छित कार्रवाई कर सकती है.’’ तेज हो रही भूराजनीतिक उथल-पुथल का जिक्र करते हुए वायुसेना प्रमुख ने रेखांकित किया कि भविष्य के किसी भी संघर्ष के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी तत्वों को जोड़ने की जरूरत होगी, ताकि ‘‘आॅल आॅफ नेशन एप्रोच’’ अपनाया जा सके.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर कुछ चुनौतियां मौजूद हैं. ऐसे में यह भारत के लिए अहम है कि वह दो अस्थिर सीमाओं को ‘‘दो आकस्मिक मोर्चों’’ के तौर पर देखे और उसी के अनुसार तैयारी करे.’’ वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत की सैन्य अभियान योजना, क्षमता विकास और प्रशिक्षण दोनों मोर्चों पर विस्तृत तौर पर उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए होना चाहिए.

भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत और पूर्व सेनाध्यक्ष एम एम नरवणे सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकाररियों ने उत्तरी और पश्चिमी मोर्चे पर समन्वित खतरे को लेकर ंिचता जताई थी. लेकिन यह पहली बार है, जब एक सेवारत सशस्त्र बल प्रमुख ने ऐसे खतरों से निपटने के लिए विस्तृत योजना बनाने का आ’’ान किया है.

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘हम अल्पाकलिक अभियानों से जुड़ी तैयारियों की अहमियत को समझते हैं, जिसके लिए त्वरित योजना बनाने, तेजी से अपने संसाधनों की तैनाती करने और वांछित प्रतिक्रिया देने की जरूरत पड़ेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना लगातार संबंधित पहलुओं पर काम कर रही है, ताकि इन चुनौतियों से निपटने के लिए विश्वसनीय बल तैयार किया जा सके.’’ वायुसेना प्रमुख की यह टिप्पणी भारत के सुरक्षा योजनाकारों द्वारा वृहद तौर पर यह महसूस किए जाने के बाद आई है कि देश को तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हालात और चीन द्वारा एलएसी पर दीर्घकालिक सैन्यीकरण की रणनीति के मद्देनजर वृहद सुरक्षा ढांचा बनाने की जरूरत है.

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘हमें दीर्घकालिक रुख अपनाने और मौजूदा स्थिति के आधार पर खतरों का आकलन करने के बजाय दुश्मन बलों की तैयारियों से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर को आंकने की जरूरत है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर अलग-अलग चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, यह प्रकृति और संख्या के संदर्भ में है. रक्षा बल के तौर पर हम हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के सामने आने वाले खतरे का जवाब देने के लिए सतर्क रहते हैं.’’ वायुसेना प्रमुख ने भरोसा जताया है कि भारतीय सशस्त्र बलों में‘‘सीमा पर किसी भी दुस्साहस का मुकाबला’’ करने के लिए पर्याप्त प्रतिरोध क्षमता है.

चीन एलएसी के करीब अपनी सैन्य अवसंरचना को मजबूत कर रहा है, इस बारे में एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि वायुसेना सीमाओं पर अपनी क्षमता के विकास को लेकर लगातार सचेत रहती है और ऐसी कोई भी स्थिति उत्पन्न होने पर उसे नाकाम करने में सक्षम है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमारी आधारभूत अवसंरचना को अद्यतन करने की गति से खुश हूं, जो हमारी नयी जरूरतों और अभियानों के लिए अहम है.’’ वायुसेना प्रमुख ने बताया कि चिनूक हेलीकॉप्टर का परिचालन पूर्व में निर्धारित दो ठिकानों में से एक पर शुरू हो चुका है और दूसरे ठिकाने पर अवसंरचना विकास लगभग पूरा होने वाला है. उन्होंने बताया कि पूर्वी सेक्टर में राफेल स्क्वॉड्रन के लिए अवसंरचना निर्माण और परिचालन क्षमता पूरी हो चुकी है.

एयर चीफ मार्थल चौधरी के मुताबिक, पूर्वोत्त क्षेत्र में स्थापित मौजूदा एडवांस लैंंिडग ग्राउंड (एएलजी) को अतिरिक्त संसाधनों और उपकरणों से अद्यतन किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि वायु शक्ति से हम तेजी से प्रभावी तरीके से विस्तृत भौगोलिक इलाके में सीमित समय में कार्रवाई कर सकते हैं.’’ ंिहद प्रशांत क्षेत्र में वायुसेना की भूमिका के सवाल पर एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वह देश की विदेश नीति के अनुकूल क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन और नियम आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा, ‘‘इलाके में शांति, संयम और स्वतंत्र आवाजाही को कायम रखने की जरूरत है और सबसे महत्वपूर्ण है कि क्षेत्र के सभी देशों को उनके आकार व ताकत से परे बराबर अधिकार मिलें.’’ वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत का बढ़ता कद न केवल सामन विचारधारा वाले देशों, बल्कि ंिहद-प्रशांत में मौजूद वैश्विक हितधारकों द्वारा भी महसूस किया जा रहा है.’’

दिल्ली वायुसेना प्रमुख थियेटराइजेशन त्रि सेवा थियेटराइजेशन योजना पर मंथन में हुई प्रगति : वायुसेना प्रमुख

भारतीय वायुसेना प्रमुख वी.आर. चौधरी ने रविवार को कहा कि ‘थियेटराइजेशन’ योजना पर चल रहे विचार-विमर्श में निश्चित तौर प्रगति हुई है और भारतीय वायुसेना व्यापक राष्ट्रीय युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी के लिए तीनों सेना (थल, वायु, नौसेना) के एकीकरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. एयर चीफ मार्शल चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि वायुसेना को उम्मीद है कि जब कभी अंतिम संरचना सामने आएगी, वह मौजूदा और भविष्य के खतरों से निपटने में सशक्त, मजबूत और सक्षम होगी.

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सशस्त्र बलों के ‘थियेटराइजेशन’ की प्रक्रिया इस समय विमर्श की अवस्था में है. कुछ मुद्दे हैं, जिनपर चर्चा हो रही है और निश्चित तौर पर इन पहलुओं पर प्रगति हुई है.’’ तीनों सेना के एक संयुक्त कमान को थियेटर कमान की संज्ञा दी जाती है और ‘थियेटराइजेशन’ योजना के तहत प्रत्येक थियेटर कमान में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की विशिष्ट इकाइयां शामिल होंगी तथा एक अभियान कमांडर के नेतृत्व में विशेष भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियों से एकल यूनिट के तौर पर निपटेंगी.
मौजूदा समय में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के अलग-अलग कमान हैं. शुरुआत में वायु रक्षा कमान और समुद्री थियेटर कमान गठित करने की योजना थी.

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘विचार-विमार्श चल रहा है. हमें उम्मीद है कि अंतिम संरचना जब तैयार होगी तो वह शक्तिशाली, मजबूत और मौजूदा तथा भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जो संयुक्त संरचना तैयार होगी, वह हमारे पर्यावरण के लिए खास होगी और पर्याप्त विचार-विमर्श कर युद्ध में (सेना के) प्रत्येक अंग के कार्य और भूमिका की दृष्टि से स्पष्ट होगा.’’ वायुसेना प्रमुख ने कहा कि जब संयुक्त संरचना के गठन के विस्तृत पहलुओं की बात आती है तो तीनों सेनाएं ‘‘एकमत’’ हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘वायुसेना व्यापक राष्ट्रीय युद्धक क्षमता में परिवर्तनकारी बदलाव लाने और इसमें बढ़ोतरी के लिए एकीकरण के प्रति कटिबद्ध है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि सशस्त्र बल राष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे और ऐसे मॉडल के साथ आएंगे, जो भविष्य के खतरों से निपटने में सक्षम होगा.’’ वायुसेना प्रमुख ने यह बात उस वक्त कही जब कहा गया कि ऐसी धारणा है कि वायुसेना ‘थियेटराइजेशन’ की पहल को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है.

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