मेरी बातों को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश की गई, जिस शक्ति की बात की उसके मुखौटा हैं प्रधानमंत्री: राहुल

'पीएम केयर्स फंड' में पारर्दिशता का अभाव क्यों: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘शक्ति’ वाले बयान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हमले को लेकर उनपर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने उनकी बातों का अर्थ बदलने की कोशिश की है, जबकि उन्होंने जिस शक्ति का उल्लेख किया था, उसका ‘मुखौटा’ मोदी खुद हैं. उन्होंने यह दावा भी किया कि जिस शक्ति के खिलाफ वह लड़ने की बात कर रहे हैं, उसने सभी संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे को अपने चंगुल में दबोच लिया है.

राहुल गांधी ने रविवार को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के समापन के अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित एक रैली में कहा था, ”हिन्दू धर्म में शक्ति शब्द होता है. हम शक्ति से लड़ रहे हैं…एक शक्ति से लड़ रहे हैं. अब सवाल उठता है कि वह शक्ति क्या है? जैसे किसी ने यहां कहा कि राजा की आत्मा ईवीएम में है. सही है…सही है कि राजा की आत्मा ईवीएम में है… हिंदुस्तान की हर संस्था में है. ईडी में है, सीबीआई में है, आयकर विभाग में है.”

इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर मुंबई की रैली में ‘शक्ति’ के विनाश का बिगुल फूंकने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि उनके लिए हर मां-बेटी ‘शक्ति’ का स्वरूप है और वह उनके लिए अपनी जान की बाजी लगा देंगे.

तेलंगाना के जगतियाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में लड़ाई ‘शक्ति के विनाशकों’ और ‘शक्ति के उपासकों’ के बीच है तथा चार जून को स्पष्ट हो जाएगा कि कौन ‘शक्ति’ का विनाश करने वाले हैं और किसे ‘शक्ति’ का आशीर्वाद प्राप्त है.

राहुल गांधी ने सोमवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”मोदी जी को मेरी बातें अच्छी नहीं लगतीं, किसी न किसी तरह उन्हें घुमाकर वह उनका अर्थ हमेशा बदलने की कोशिश करते हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि मैंने एक गहरी सच्चाई बोली है. जिस शक्ति का मैंने उल्लेख किया, जिस शक्ति से हम लड़ रहे हैं, उस शक्ति का मुखौटा मोदी जी हैं.”

उन्होंने कहा, ”वह एक ऐसी शक्ति है, जिसने आज, भारत की आवाज को, भारत की संस्थाओं को, सीबीआई, आयकर विभाग, ईडी, चुनाव आयोग, मीडिया, भारत के उद्योग जगत, और भारत के समूचे संवैधानिक ढांचे को ही अपने चंगुल में दबोच लिया है.”

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ”उसी शक्ति के लिए नरेन्द्र मोदी जी भारत के बैंकों से हजारों करोड़ के कर्ज माफ कराते हैं, जबकि भारत का किसान कुछ हजार रुपयों का कर्ज न चुका पाने पर आत्महत्या करता है. उसी शक्ति को भारत के बंदरगाह, भारत के हवाई अड्डे दिये जाते हैं, जबकि भारत के युवा को अग्निवीर का तोहफा दिया जाता है जिससे उसकी हिम्मत टूट जाती है.”

उन्होंने यह आरोप लगाया, ”उसी शक्ति को दिन रात सलामी ठोकते हुए देश की मीडिया सच्चाई को दबा देती है. उसी शक्ति के गुलाम नरेन्द्र मोदी जी देश के गरीब पर जीएसटी थोपते हैं, महंगाई पर लगाम न लगाते हुए, उस शक्ति को बढ़ाने के लिए देश की संपत्ति को नीलाम करते हैं.”

राहुल गांधी ने कहा, ”उस शक्ति को मैं पहचानता हूं, उस शक्ति को नरेन्द्र मोदी जी भी पहचानते हैं, वह किसी प्रकार की कोई धार्मिक शक्ति नहीं है, वह अधर्म, भ्रष्टाचार और असत्य की शक्ति है. इसलिए जब-जब मैं उसके खिलाफ आवाज उठाता हूं, मोदी जी और उनकी झूठों की मशीन बौखलाती है, भड़क जाती है.” कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं और इस काम में ‘मास्टर’ हैं.

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रधानमंत्री जी सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने के मास्टर हैं. देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक संकट से जूझ रही है. नौजवान निराश हैं. किसान आत्महत्या कर रहे हैं. महंगाई से लोग अपना घर नहीं चला पा रहे हैं. नोटबंदी-जीएसटी ने लाखों उद्योग चौपट कर दिए. लेकिन प्रधानमंत्री की प्राथमिकता है- विपक्षी नेताओं के बयानों को घुमा-फिराकर जनता का ध्यान भटकाना.”

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने ‘आसुरी शक्ति’ के खिलाफ लड़ने की बात की है, जिससे भाजपा एवं प्रधानमंत्री ”बिलबिला” गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह लोकसभा चुनाव ‘आसुरी शक्ति’ और ‘दैवीय शक्ति’ के बीच होगा, जिसमें जीत ‘दैवीय शक्ति’ की होगी.

‘पीएम केयर्स फंड’ में पारर्दिशता का अभाव क्यों: कांग्रेस
कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना क्यों की गई थी, इसे कितना और किससे धन प्राप्त हुआ तथा इसमें आए धन को कैसे वितरित किया गया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल किया कि इस कोष को लेकर पारर्दिशता का इतना अभाव क्यों है? कोविड-19 महामारी के समय ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना की गई थी.

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”अब जब चुनावी बॉण्ड के माध्यम से मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और डराने-धमकाने की राजनीति से जुड़े चौंकाने वाले विवरण सामने आ रहे हैं, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार ने कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक और रास्ता खोल रखा है और वह है ‘पीएम केयर्स फंड’.”

उन्होंने दावा किया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ में कुल कितना पैसा आया है और इसमें दान देने वाले कौन हैं, इसकी आधिकारिक तौर पर कोई रिपोर्ट नहीं है, लेकिन खबरों से पता चलता है कि इसे कम से कम 12,700 करोड़ रुपए का दान प्राप्त हुआ.

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को कैग और सूचना के अधिकार कानून की निगरानी से छूट प्राप्त है, लेकिन यह सबको पता है कि सरकार के स्वामित्व और संचालन वाले कम से कम 38 सार्वजनिक उपक्रमों ने इस कोष में 2,105 करोड़ रुपये की बड़ी राशि दान की है. रमेश ने कहा कि ‘पीएम केयर्स फंड’ को सरकार से कई विशेष छूट मिली है.

उन्होंने कहा, ”कोविड-19 महामारी की शुरुआत के चार साल बाद भी यह स्पष्ट नहीं है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ की स्थापना क्यों की गई थी, इसे कितना और किससे धन प्राप्त हुआ, इसमें आए धन को कैसे वितरित किया गया और इसके प्रशासनिक ढांचे में पारर्दिशता की इतनी कमी क्यों है.” कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चुनावी बॉण्ड की तरह ‘पीएम केयर्स फंड’ भी एक घोटाला है, जिसके सामने आने का इंतज.ार है.

रमेश ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए देश में बेरोजगारी की स्थिति का उल्लेख किया और दावा किया कि 2011-12 और 2022-23 के बीच पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभ के साथ नियमित वेतन वाली नौकरी की हिस्सेदारी स्थिर रूप से 25 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है.

उन्होंने कहा, ”स्व-रोजग़ार में लगे व्यक्तियों की संख्या में काफ.ी बढ़ोतरी हुई है. महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा और भी ज़्यादा है. इनमें स्व-रोजग़ार की हिस्सेदारी 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 64.3 प्रतिशत हो गई है.” रमेश ने कहा, ”कांग्रेस की पांच न्याय और 25 गारंटी लोगों को सुनकर और उनकी समस्याओं को समझने के बाद तैयार की गई है. यह बेरोजग़ारी और वेतन में बढ़ोतरी न होने की समस्या का समाधान करेगा और भारत को समृद्धि के पथ पर वापस ले जाएगा.”
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