BBC के वृत्तचित्र के खिलाफ ट्वीट पर विवाद के बाद अनिल एंटनी का कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा

तिरुवनंतपुरम/नयी दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ए.के. एंटनी के पुत्र अनिल एंटनी ने गुजरात में 2002 में हुए दंगों पर आधारित ब्रिटिश ब्रॉडकांिस्टग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ के खिलाफ अपने ट्वीट को लेकर हुई आलोचनाओं के बाद पार्टी में अपने सभी पदों से बुधवार को इस्तीफा दे दिया.

अनिल एंटनी ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की घोषणा की जिसमें उन्होंने कहा कि वृत्तचित्र के खिलाफ किए अपने ट्वीट को वापस लेने के लिए ‘‘असहिष्णु तरीके से’’ कई लोग उन पर दबाव बना रहे हैं और इसी मामले से जुड़ी ‘‘नफरत/अपशब्दों की फेसबुक ‘वॉल’’’ के कारण उन्होंने यह फैसला किया.

अनिल ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है क्योंकि वह अब कांग्रेस के एक सदस्य के तौर पर बने रहना चाहते हैं. उन्होंने केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डिजिटल मीडिया के संयोजक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सोशल मीडिया एवं डिजिटल संचार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-समन्वयक के पद से इस्तीफा दिया है.

अनिल ने नयी दिल्ली में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘फिलहाल राजनीति मेरी प्राथमिकता नहीं है. मैं कंप्यूटर प्रोफेशनल हूं और साइबर क्षेत्र में लंबे समय से काम किया है तथा आगे भी इसे जारी रखना चाहता हूं. मुझे लगता है कि इस समय पार्टी और मेरे हित में यही उचित है.’’ कांग्रेस के कई पदों से इस्तीफा देने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के समय पार्टी में शामिल हुए थे और 2019 से शशि थरूर के कहने पर पार्टी के लिए काम कर रहे थे. इसके बाद से कई कहानियां गढ़ी गईं और साइबर दुनिया में उनके खिलाफ बातें की गईं.

उनका कहना है कि वह जानते थे कि यह सब चीजें कांग्रेस के एक धड़े की तरफ से की जा रही हैं, लेकिन वह इसे नजरअंदाज करते रहे.
अनिल एंटनी ने कहा कि पिछले 24 घंटों में जो हुआ है वो उनके लिए हैरान करने वाला था. उन्होंने कहा, ‘‘अगर पार्टी में यह संस्कृति तैयार की जा रही है तो मुझे लगता है कि मैं इस माहौल में काम नहीं कर पाऊंगा. इसलिए मैंने अपने पदों से इस्तीफा दिया है.’’ अनिल ने अपने ट्वीट के संदर्भ में कहा कि वह उन लोगों को सिर्फ आगाह करना चाहते थे जो यह मान रहे हैं कि वृत्तचित्र में जो कहा गया है वह राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक हित में है.

उन्होंने दावा किया कि उनके कहने का मतलब यह था कि भाजपा के साथ उनके बहुत सारे राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन जब बात राष्ट्र के बुनियादी हित और उसकी संप्रभुता की आती है तो राजनीतिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि ऐसा करना आग से खेलने की तरह है.
अनिल एंटनी ने कहा कि राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिये जो कर रहे हैं उसकी वह बहुत सराहना करते हैं, लेकिन उनके ईर्द-गिर्द के कुछ लोग राहुल के उलट काम करने का प्रयास कर रहे हैं. उनके इस्तीफे पर पिता ए.के. एंटनी की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

इससे पहले, अनिल ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने कांग्रेस में अपनी सभी भूमिकाओं से इस्तीफा दे दिया है. बोलने की आजादी के लिए लड़ने वाले लोग ट्वीट को वापस लेने के लिए असहिष्णु मांग कर रहे हैं. मैंने इनकार कर दिया. प्रेम को बढ़ावा देने का समर्थन करने वालों द्वारा नफरत/अपशब्दों की फेसबुक वॉल. इसी का नाम पाखंड है. ंिजदगी चलती रहती है. नीचे त्याग पत्र का हिस्सा दे रहा हूं.’’

उन्होंने अपने ट्विटर खाते पर अपने त्याग पत्र का एक हिस्सा पोस्ट किया, जिसमें लिखा है, ‘‘कल से हो रहे घटनाक्रमों के मद्देनजर मेरा मानना है कि मेरे लिए कांग्रेस में अपनी भूमिकाओं– केपीसीसी (केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी) डिजिटल मीडिया के संयोजक और एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) सोशल मीडिया एवं डिजिटल संचार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-समन्वयक– को छोड़ना उचित होगा.’’ उन्होंने त्याग पत्र में लिखा कि उनकी अपनी अनूठी क्षमताएं हैं जो उन्हें कई तरीकों से पार्टी में प्रभावी ढंग से योगदान करने में सक्षम बनातीं.

अनिल ने कहा, ‘‘लेकिन, अब मुझे अच्छी तरह से पता चल गया है कि आप, आपके सहयोगी और आपके नजदीकी लोग केवल चापलूसों और चमचों के उस झुंड के साथ काम करने के इच्छुक हैं, जो बिना कोई सवाल किए आपके इशारे पर काम करें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह योग्यता का एकमात्र मापदंड बन गया है. दुख की बात है कि हमारे बीच कुछ खास साझा आधार नहीं है. मैं इस नकारात्मकता से दूर रहने और उन विनाशकारी आख्यानों में शामिल हुए बिना अपने अन्य पेशेवर प्रयासों को जारी रखना पसंद करूंगा, जिनमें से कई भारत के मूल हितों के खिलाफ हैं. मेरा दृढ़ विश्वास है कि ये समय के साथ इतिहास के कूड़ेदान में जाकर समाप्त हो जाएंगे.’’

अनिल ने मंगलवार को ट्वीट किया था कि भारतीय जनता पार्टी के साथ तमाम मतभेदों के बावजूद उनका मानना है कि बीबीसी और ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री एवं ‘‘इराक युद्ध के पीछे के दिमाग’’ जैक स्ट्रॉ के विचारों को भारतीय संस्थानों के विचारों से अधिक महत्व देना खतरनाक चलन है और इससे देश की संप्रभुता प्रभावित होगी. इस प्रतिक्रिया के बाद एंटनी को पार्टी के भीतर ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था.

दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अनिल एंटनी के विचारों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी यह दलील ‘अपरिपक्व’ है कि यह वृत्तचित्र भारत की संप्रभुता में दखल है. तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर ने कहा कि देश के लोगों को यह वृत्तचित्र देखने या नहीं देखने की पूरी आजादी है तथा यह कौन कह सकता है कि ब्रिटिश प्रसारक को 2002 के दंगों पर खबर करने का अधिकार नहीं है.

उनका यह भी कहना था कि देश का संविधान इस वृत्तचित्र को देखने की पूरी गारंटी देता है. थरूर ने कहा, ‘‘हमारे देश की संप्रभुता इतनी आसानी से प्रभावित नहीं होती…क्या यह किसी विदेशी वृत्तचित्र को दिखाए जाने से प्रभावित होगी? क्या राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता इतनी कमजोर है कि वह एक वृत्तचित्र से प्रभावित हो जाएगी?’’ अनिल एंटनी ने ये टिप्पणियां उस वक्त की हैं जब कई राजनीतिक संगठनों ने घोषणा की है वे केरल में इस वृत्तचित्र को दिखाएंगे.

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