सेना प्रमुख ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के सबक पर कहा-आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अहमियत दिखी

नयी दिल्ली. थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कहा कि हाल के संघर्षों-खासकर रूस-यूक्रेन संघर्ष से कई चीजें सामने आई हैं, जिससे भारतीय सेना को ”युद्ध के समकालीन स्वरूप” और जंग के मैदान में निर्णायक बढ़त के लिए हथियार क्षमता की प्रासंगिकता का पता चला. सेना प्रमुख ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि संघर्ष ने ”आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अहमियत” को ”व्यापक रूप से प्रर्दिशत” किया है.
जनरल मनोज पांडे, मानेकशॉ सेंटर में जनरल एस एफ रोड्रिग्स स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे, जिसमें भारतीय सेना के कई पूर्व प्रमुखों, पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एन सी सूरी सहित अन्य ने भाग लिया. जनरल (सेवानिवृत्त) रोड्रिग्स ने 1990-1993 तक सेना प्रमुख के रूप में कार्य किया था. जनरल रोड्रिग्स के 90वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह में उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हुए.
जनरल पांडे के संबोधन के बाद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज शुक्ला ने ‘यूक्रेन: युद्ध और हथियारों के चुनौतीपूर्ण स्वरूप’ पर एक व्याख्यान दिया. सेना प्रमुख ने अपने संबोधन में रूस-यूक्रेन संघर्ष से लगातार मिल रहे सबक का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ”हाल के संघर्षों और विशेष रूप से मौजूदा रूस-यूक्रेन संघर्ष कुछ प्रमुख संकेतकों को सामने लाया है, जिसने हमें युद्ध के समकालीन स्वरूप को समझने में सक्षम बनाया है और युद्ध के मैदान में निर्णायक बढ़त बनाने में हथियारों की प्रासंगिकता भी बताई है.”
जनरल पांडे ने कहा, ”योजना के नजरिए से युद्ध की अवधि का यथार्थवादी आकलन क्या होना चाहिए? क्या हमारे मामले में छोटे और तेज युद्ध की परिकल्पना अभी भी सही है?” सेना प्रमुख ने कहा कि इसका उत्तर सेना के उद्देश्यों के चयन, अभियानगत योजनाओं और सैन्यबल के प्रभावी नियंत्रण के लिए जरूरी साजो-सामान के स्तर पर भी प्रभाव डालता है.
जनरल पांडे ने कहा, ”अगला मुद्दा आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अहमियत है, जिसे इस संघर्ष ने व्यापक रूप से प्रर्दिशत किया है. इसलिए स्वाभाविक परिणाम इन प्रौद्योगिकियों को युद्ध-लड़ने वाली हमारी प्रणाली में शामिल करने की ओर इशारा करता है.” सेना प्रमुख ने कहा कि जनरल रोड्रिग्स एक ”कुशल सैन्य अधिकारी” थे और सैन्य करियर के अलावा उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड में और पंजाब के राज्यपाल के रूप में योगदान दिया.
जनरल पांडे ने कहा कि सेना प्रमुख के रूप में उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पहल को आगे बढ़ाया जाए और इन प्रयासों का भारतीय सेना पर बहुत ”गहरा प्रभाव” पड़ा है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले, मेडिकल कोर के अलावा अन्य इकाइयों में सेना में महिला अधिकारियों को शामिल करना था, जो 1992 में कमीशन प्राप्त पहले बैच के साथ शुरू हुआ था. जनरल पांडे ने कहा, ”हमारे मानव संसाधन प्रबंधन क्षेत्र में इस अग्रणी कदम ने उत्कृष्टता और समावेशिता को बढ़ावा दिया है तथा पिछले कुछ वर्षों में, हम लैंगिक समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और बढ़ा रहे हैं.”
जनरल पांडे ने कहा कि एक पेशेवर गनर अधिकारी के रूप में जनरल रोड्रिग्स ने यह सुनिश्चित किया कि तोपखाने की रेजिमेंट भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप बनी रहे और सेना प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान तोपखाना डिवीजन को बढ़ाने के लिए वैचारिक ढांचा तैयार किया गया था. सेना प्रमुख ने कहा, ”वास्तव में, समसामयिक माहौल के अनुरूप बने रहने और भविष्य की जरूरतों के साथ तालमेल बनाए रखने की जरूरत आज भी प्रासंगिक है. ये पहलू हमारी वर्तमान परिवर्तन पहल की रीढ़ हैं, जिन्हें हमने लागू किया है.”