भारत का राज्य है अरुणाचल, नाम बदलने से कुछ हासिल नहीं होगा: जयशंकर

कांग्रेस के प्रधानमंत्री 'कच्चातिवु' पर उदासीनता रहे, भारतीय मछुआरों के अधिकार छीने : जयशंकर

सूरत/नयी दिल्ली. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों के 30 नए नाम जारी किए जाने के कुछ दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि अरुणाचल एक भारतीय राज्य था, है, और भविष्य में भी रहेगा. गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे जयशंकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नाम बदलने से कुछ हासिल नहीं होगा.

उन्होंने कहा, “अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूं, तो क्या वह मेरा हो जाएगा? अरुणाचल प्रदेश एक भारतीय राज्य था, एक भारतीय राज्य है और भविष्य में भी रहेगा. नाम बदलने से कुछ हासिल नहीं होगा.” वह भारतीय राज्य पर दावा करने के बीजिंग के नवीनतम कदम पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

रूस-यूक्रेन सीमा पर रूसी सेना के साथ कुछ भारतीयों को लड़ने के लिए मजबूर किए जाने के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि युद्ध क्षेत्र में दो भारतीयों की मौत के बाद भारत सरकार ने अपने रूसी समकक्ष के सामने इस मुद्दे को “जोरदार” तरीके से उठाया है.
उन्होंने यह भी कहा कि रूसी सेना में सेवा के लिए गलत तरीके से नियुक्त किए गए 23 से 24 भारतीयों को वापस लाने के प्रयास जारी हैं. विदेश मंत्री ने कहा, “अब तक, दो भारतीयों की जान जा चुकी है. उनके शवों को रूस से वापस लाने में कुछ समय लगा क्योंकि यह इतना आसान नहीं था. हमने इस मुद्दे को रूस के सामने दृढ.ता से उठाया, चाहे वह मॉस्को में हमारे राजदूत हों या नयी दिल्ली में रूसी राजदूत से हमारे विदेश सचिव की बैठक हो.” जयशंकर ने कहा, “यह पूरी तरह से गलत है. किसी भी भारतीय को कभी भी किसी अन्य देश की सेना में सेवा नहीं देनी चाहिए. यदि कोई बिचौलिया भारतीयों को भर्ती करने में शामिल है, तो उन्हें रोकने की जिम्मेदारी रूस की है. हम लगभग 23 से 24 भारतीयों को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं जो अभी भी वहां हैं.ह्व लद्दाख में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के इस आरोप पर कि चीन ने भारतीय क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है, जयशंकर ने कहा कि भारतीय सेना जानती है कि ऐसी स्थितियों में क्या करना है.

उन्होंने कहा, “हर किसी के अपने विचार होते हैं. देखिए, आप सभी जानते हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की किसी भी कोशिश को रोकने के लिए हमारी सेना पहले से ही वहां तैनात है. सेना जानती है कि उसे क्या करना है.” यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने में हुई प्रगति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बातचीत जारी है क्योंकि भारत भी समझौते पर हस्ताक्षर करने का इच्छुक है ताकि देश के कपड़ा उद्योग को यूरोप में समान अवसर मिल सके.

भारतीय बच्ची अरिहा शाह के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि उसे वापस लाने के प्रयास जारी हैं जो 2021 से जर्मन अधिकारियों के संरक्षण में है और उस समय उसकी उम्र केवल सात महीने थी. उन्होंने यह भी कहा, ”हम यह कोशिश कर रहे हैं कि उसका संरक्षण उसके माता-पिता को नहीं तो किसी अन्य भारतीय दंपति को सौंप दिया जाए.” जयशंकर ने कहा, “हम कुछ समय से इस मुद्दे को जर्मन सरकार के सामने उठा रहे हैं. मैंने बच्ची के माता-पिता से भी मुलाकात की है. हालांकि, चूंकि मामला वहां की अदालत में है, इसलिए इसमें कुछ समय लगेगा. अब तक कुछ प्रगति हुई है. हमारे दूतावास के अधिकारियों ने उससे मुलाकात की और उसे भारतीय संस्कृति से अवगत कराने की कोशिश की.”

पन्नू मामले की जांच में भारत के अपने सुरक्षा हित जुड़े हैं : जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में एक सरकारी अधिकारी की कथित संलिप्तता की जांच में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं. उन्होंने भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी के एक बयान के बारे में पूछे गए सवाल पर पत्रकारों से कहा, ”हम इसकी जांच कर रहे हैं क्योंकि हमारा मानना है कि इस जांच में हमारे खुद के राष्ट्रीय सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं.” गार्सेटी ने कहा था कि किसी दूसरे देश के नागरिक की हत्या के प्रयास में एक सरकारी अधिकारी की संलिप्तता ‘अस्वीकार्य’ है. जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी राजूदत अपनी सरकार की सोच या स्थिति के अनुसार जो सही होगा, वही कहेंगे.

उन्होंने कहा, ”मेरी सरकार की स्थिति यह है कि खासतौर से इस मामले में हमें कुछ सूचना मुहैया करायी गयी है जिसकी हम जांच कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि इसमें भारत के खुद के सुरक्षा हित भी जुड़े हुए हैं. विदेश मंत्री ने कहा, ”इसलिए, जब भी हमें जांच के बारे में कुछ कहना होगा तो हमें इसके बारे में बात करके काफी खुशी होगी. अभी यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं है कि इसकी जांच की जा रही है.” भारतीयों को नौकरी दिलाने का वादा कर रूस ले जाने के बाद उनके यूक्रेन संघर्ष में फंसने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत ने रूस सरकार के समक्ष ”बहुत मजबूती” से इस मामले को उठाया है.

उन्होंने कहा, ”हम इन सभी लोगों को सुरक्षित भारत वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं.” पिछले महीने, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि रूसी सेना के साथ काम करने के लिए कई भारतीय नागरिकों के साथ धोखाधड़ी किए जाने के मामले को भारत ने रूस के समक्ष मजबूती से उठाया है ताकि उन लोगों की शीघ्र रिहाई हो सके. उन्होंने भारतीय नागरिकों से अपील की थी कि वे रूसी सेना में सहायक नौकरियों के लिए एजेंट द्वारा दिए गए प्रस्तावों के बहकावे में न आएं क्योंकि यह जीवन के लिए खतरे और जोखिम से भरा है.

कांग्रेस के प्रधानमंत्री ‘कच्चातिवु’ पर उदासीनता रहे, भारतीय मछुआरों के अधिकार छीने : जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर उदासीनता दिखायी और भारतीय मछुआरों के अधिकार छीन लिए. जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु को एक ”छोटा द्वीप” और ”छोटी चट्टान” बताया था. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अचानक सामने नहीं आया है बल्कि यह हमेशा से एक जीवंत मुद्दा है. कच्चातिवु द्वीप समुद्री सीमा समझौते के तहत 1974 में श्रीलंका को दे दिया था.

जयशंकर ने कहा कि आए दिन यह मुद्दा संसद में उठाया जाता है और इसे लेकर अक्सर केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच पत्राचार होता है. जयशंकर ने कहा कि खुद उन्होंने कम से कम 21 बार मुख्यमंत्री को जवाब दिया है. विदेश मंत्री ने जनता के सामने इस समझौते के खिलाफ होने का रुख दिखाने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि द्रमुक नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि को भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में हुए समझौते के बारे में पूरी जानकारी दी गयी थी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और द्रमुक ने संसद में यह इस तरह मुद्दा उठाया जैसे कि उनकी इसके लिए कोई जिम्मेदारी ही नहीं है जबकि यही वे दल हैं जिन्होंने यह समझौता किया. उन्होंने कहा कि द्रमुक की 1974 में और उसके बाद इस स्थिति को पैदा करने में कांग्रेस के साथ काफी हद तक ”मिलीभगत” थी. जयशंकर ने कहा कि 20 वर्षों में श्रीलंका ने 6,184 भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिया और उनकी मछली पकड़ने की 1,175 नौकाओं को जब्त किया है.

उन्होंने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार ही है जो यह सुनिश्चित करने पर काम करती रही है कि भारतीय मछुआरों को रिहा किया जाए. उन्होंने कहा, ”हमें एक समाधान तलाशना होगा. हमें श्रीलंकाई सरकार के साथ बैठना और इस पर बातचीत करना होगा.” जयशंकर ने दावा किया कि तमिलनाडु के लोगों को लंबे समय तक इस मुद्दे को लेकर गुमराह किया जाता रहा है और वह जनता को सूचित करने के लिए इस मामले पर बात कर रहे हैं.

आर्थिक मोर्चे पर चीन से मुकाबला करने के लिए भारत को विनिर्माण पर ध्यान देना होगा: जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि आर्थिक मोर्चे पर चीन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा प्रमुख क्षेत्र है जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने से पहले की सरकारों ने नजरअंदाज किया था. उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव के चलते नयी दिल्ली-बीजिंग संबंधों में “विसंगति” पैदा हुई है और भारत की सोच बिलकुल स्पष्ट है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता नहीं होगी, तब तक दोनों एशियाई शक्तियों के बीच संबंधों में सुधार नहीं होगा.

जयशंकर ने सूरत में एक कार्यक्रम में उद्योग जगत के नेताओं के साथ चर्चा के दौरान कहा, ”अगर हमें चीन से मुकाबला करना है, जो करना भी चाहिए, तो इसका समाधान यही है कि हम यहीं विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करें. मोदी जी के सत्ता में आने के बाद विनिर्माण के प्रति हमारा दृष्टिकोण बदल गया है. इससे पहले लोग विनिर्माण पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे.” उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर चीन का मुकाबला करने का कोई अन्य तरीका नहीं है.

वह दक्षिण गुजरात वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (एसजीसीसीआई) द्वारा “भारत का आर्थिक उत्थान” विषय पर आयोजित एक कॉर्पोरेट शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे. कार्यक्रम में दर्शकों ने उनसे भारत और चीन के बीच संबंधों के बारे में सवाल किए. केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अगर हम बढ़ते भारत की बात करते हैं, तो यह प्रौद्योगिकी के माध्यम से उठेगा. आप कमजोर विनिर्माण पर मजबूत प्रौद्योगिकी का निर्माण नहीं कर सकते. किसी भी कीमत पर, हमें विनिर्माण पर विशेष जोर देना चाहिए, क्योंकि यही एकमात्र आर्थिक प्रतिक्रिया है.”

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