एशिया: मदरसों और अन्य पंथों से जुड़े स्कूलों का पितृसत्ता को बनाए रखने पर रहता है जोर

नयी दिल्ली. यूनेस्को का कहना है कि एशिया में मदरसों और अन्य पंथों से जुड़े स्कूलों ने शिक्षा में लैंगिक असमानता को दूर करने में योगदान तो दिया है लेकिन इन स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा में समाज में पितृसत्ता को बनाए रखने पर जोर रहता है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा प्रकाशित वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

‘‘पीछे छूट गए लोगों पर गहन विमर्श’’ विषय पर रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया में गैर-सरकारी धर्म-आधारित स्कूलों ने लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच तो बढ़ाई है लेकिन इसकी उन्हें कीमत चुकानी पड़ती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसा स्रातकों का लड़कियों और कामकाजी माताओं की उच्च शिक्षा के प्रति कम अनुकूल रवैया रहता है, जो बच्चों को पत्नियों की मुख्य जिम्मेदारी और बच्चों की संख्या को ईश्वर की कृपा पर निर्भर मानते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कई दशक पहले एशिया में कई मुस्लिम-बहुल देशों में शिक्षा में लैंगिक असमानता अधिक थी. गैर-सरकारी धर्म-आधारित प्रदाताओं के साथ साझेदारी में शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और लैंगिक अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है. मदरसों में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि ने रूढ़िवादी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की गतिविधियों पर सामाजिक बाधाओं को कम करने में मदद की है तथा मदरसे सार्वभौमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए कम लागत वाले मंच रहे हैं.’’

यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हालांकि, मदरसा शिक्षा पहुंच में वृद्धि से लैंगिक समानता पर कुछ सकारात्मक प्रभाव भी नगण्य हो सकते हैं. सबसे पहले, उनके पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकें लैंगिकता-समावेशी नहीं हैं, इसके बजाय लैंगिक भूमिकाओं पर परंपरा को थोपा जाता है.

ऐसा बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान और सऊदी अरब में अध्ययनों से पता चला है. दूसरा, उनके शिक्षण और सीखने की प्रथाएं जैसे कि लैंगिक अलगाव और सामाजिक बातचीत पर विशिष्ट लैंगिक प्रतिबंध यह धारणा बना सकते हैं कि इस तरह की लैंगिक-असमानता प्रथाएं सामाजिक रूप से अधिक व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं.’’ रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षकों के पास लैंगिक मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रशिक्षण की कमी से वे नकारात्मक मॉडल के रूप में कार्य कर सकते हैं, उदाहरण के लिए प्रजनन क्षमता के प्रति छात्रों के दृष्टिकोण को प्रभावित करना.

संबंधित रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि एशिया में गैर-सरकारी धर्म-आधारित स्कूल अकसर एक जटिल संस्थागत वातावरण में काम करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘मदरसे आम तौर पर ऐसे पाठ्यक्रम का पालन करते हैं जो जीवन में धार्मिक तरीके को बढ़ावा देता है, हालांकि यह स्थिति दो देशों के बीच एक समान नहीं है. कुछ देश मदरसों को सरकारी पाठ्यक्रम के साथ एकीकृत करते हैं जबकि अन्य पारंपरिक मॉडल को अपनाए रहते हैं.’’

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