संप्रग सरकार में औसत जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत थी, मोदी सरकार में 5.8 प्रतिशत है: कांग्रेस

पीएफ 'क्लेम' की अस्वीकृति की दर बढ़ी, ईपीएफओ की नीतियां असंवेदनशील : कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के आंकड़े सामने आने के बाद शुक्रवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत थी, जबकि मोदी सरकार में 5.8 प्रतिशत है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) केवल 6.5 प्रतिशत रहा, लेकिन शुद्ध करों में 1.9 प्रतिशत का बदलाव हुआ, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत है.

अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए, भारत की आर्थिक वृद्धि 2023-24 की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत तक पहुंच गई, जिसका मुख्य कारण विनिर्माण, खनन और उत्खनन एवं निर्माण क्षेत्रों द्वारा अच्छा प्रदर्शन बताया जा रहा है. रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”जीडीपी वृद्धि के आंकड़े आ गए हैं और ‘फेकूमास्टर’ के नेतृत्व में भाजपा के ‘स्पिन डॉक्टर’ आपको बताएंगे कि यह चमकते भारत का प्रतिबिंब है.”

उन्होंने कहा, ”जीडीपी = जीवीए (सकल मूल्य वर्धन)+ शुद्ध कर. सकल मूल्य वर्धन को अर्थशा्त्रिरयों द्वारा वास्तविक आर्थिक गतिविधि को ट्रैक करने के लिए सबसे सार्थक पैमाना माना जाता है. जीवीए वृद्धि केवल 6.5 प्रतिशत थी, लेकिन शुद्ध करों में 1.9 प्रतिशत का बदलाव हुआ है. इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत है.” रमेश के अनुसार, ”अधिक राजस्व संग्रह के कारण शुद्ध करों में वृद्धि नहीं हुई है…वास्तव में अधिकतर भारतीय नागरिकों को मिलने वाली सब्सिडी में कमी के कारण उनमें गिरावट आई है.”

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2014 में निजी उपभोग व्यय में वृद्धि अब तीन प्रतिशत होने की संभावना है, जो 20 वर्षों में सबसे धीमी है! कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ”सभी आंकड़े आम आदमी के लिए गंभीर आर्थिक संकट का संकेत देते हैं. खपत साल-दर-साल मुश्किल से बढ. रही है और मोदी सरकार से सब्सिडी समर्थन भी घट रहा है.” रमेश ने कहा, ”सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि, जो शुद्ध करों में वृद्धि पर निर्भर करती है और उपभोग वृद्धि में गिरावट के बावजूद आती है, न तो वांछनीय है और न ही टिकाऊ है. यह हमारी मध्यम अवधि की वृद्धि के लिए खराब संकेत है.”

उन्होंने कहा, ”निस्संदेह, इससे प्रधानमंत्री की वाह-वाह करने वाले नहीं रुकेंगे. यहां दो प्रमुख तथ्य हैं जो हमें मोदी सरकार के आर्थिक प्रदर्शन के बारे में जानना चाहिए. इन जीडीपी आंकड़ों के बाद भी संप्रग सरकार की तुलना में मोदी सरकार के तहत विकास बहुत धीमा रहा है. हमने संप्रग सरकार में 7.5 प्रतिशत औसत वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि देखी, जबकि मोदी सरकार में 5.8 प्रतिशत. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में औसत जीडीपी वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत है, जो 30 से अधिक वर्षों में सबसे कम है.”

पीएफ ‘क्लेम’ की अस्वीकृति की दर बढ़ी, ईपीएफओ की नीतियां असंवेदनशील : कांग्रेस

कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि भविष्य निधि के ‘क्लेम’ को अस्वीकृत किए जाने की दर बढ़ गई है और इसका एक प्रमुख कारण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा लागू की गई ऑनलाइन प्रणाली है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि ईपीएफओ की असंवेदनशील नीतियों के कारण कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “पिछले 10 साल के अन्याय-काल को इससे समझा जा सकता है कि इसमें किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक. नहीं मिला है. महिलाएं ‘जॉब मार्केट’ से बाहर हो गई हैं. युवाओं को रोजग़ार नहीं मिल रहा है. किसान अपने फ.सल की पर्याप्त क.ीमतें पाने में असमर्थ हैं.” उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, अपनी मेहनत की कमाई पाने में असमर्थ हैं.

कांग्रेस नेता ने कहा, “ईपीएफओ भारत के श्रमिकों के लिए भविष्य निधि का प्रबंध करने वाला सरकारी संगठन है. इसमें भविष्य निधि (पीएफ) क्लेम के अंतिम निपटान के लिए अस्वीकृति की दरों में काफ.ी वृद्धि देखी है. अभी पीएफ के अंतिम निपटान के लिए लगभग तीन में से एक क्लेम ख.ारिज. कर दिए गए हैं. यह 2017-18 के 13 प्रतिशत से अधिक है. ”

उन्होंने कहा,” ख.ारिज. होने वाला हर क्लेम कामकाजी परिवारों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा है. यह साधारण और ग.रीब परिवारों के लिए अत्यधिक तनाव और पीड़ा का कारण बन रहा है.” रमेश ने कहा कि इन ‘क्लेम’ से जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रणाली का लागू किया जाना बड़े पैमाने पर इनके ख.ारिज. होने का प्रमुख कारण हैं. उन्होंने कहा, “कांग्रेस का पांच न्याय एजेंडा – जिसका ‘श्रमिक न्याय’ मुख्य स्तंभ है. यह सुनिश्चित करेगा कि श्रमिकों और उनके परिवारों को अपने अधिकारों से वंचित न होना पड़े.”

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