मप्र उच्च न्यायालय ने ASI को भोजशाला का सर्वेक्षण पूरा करने के लिए आठ हफ्तों की मोहलत दी

इंदौर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का जारी सर्वेक्षण पूरा करने के लिए सोमवार को आठ हफ्तों की मोहलत दे दी. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने एएसआई की अर्जी मंजूर करते हुए यह मोहलत दी. युगल पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद एएसआई को आदेश दिया कि वह विवादित परिसर के सर्वेक्षण की संपूर्ण रिपोर्ट दो जुलाई तक पेश करे. उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि एएसआई को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जाएगा. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार जुलाई की अगली तारीख तय की है.

एएसआई, भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में महीने भर से ज्यादा वक्त से सर्वेक्षण में जुटा है. उसने यह कवायद पूरी करने की मोहलत के वास्ते उच्च न्यायालय में दायर अर्जी में कहा कि इस परिसर की संरचनाओं के उजागर भागों की प्रकृति को समझने के लिए उसे कुछ और समय की दरकार है. उधर, मुस्लिम पक्ष की मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी की ओर से एएसआई की इस गुहार पर अदालत में आपत्ति जताई गई. सोसायटी ने दावा किया कि एएसआई विवादित परिसर में इस तरह खुदाई कर रहा है जिससे शीर्ष न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है.

उच्च न्यायालय ने तथ्यों पर गौर के बाद सोसायटी की इस आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि अगर ऐसा कोई उल्लंघन हो रहा है, तो संबंधित प्रतिवादी उचित फोरम का रुख करने के लिए स्वतंत्र है. भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है. यह परिसर एएसआई द्वारा संरक्षित है.

“हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस” की अर्जी पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो लगातार जारी है. भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने सात अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश के अनुसार पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. “हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस” ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है. भाषा हर्ष

Related Articles

Back to top button