भाजपा ने मप्र के लिए 57 और उम्मीदवारों की घोषणा की, बुधनी से लड़ेंगे शिवराज

नयी दिल्ली/भोपाल/इंदौर. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को 57 उम्मीदवारों की एक और सूची जारी कर दी. इस सूची में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी नाम है. चौहान को विदिशा जिले के बुधनी से उम्मीदवार बनाया गया है.

मध्य प्रदेश में सत्तारूढ. भाजपा ने इससे पहले तीन अलग-अलग सूचियों में 79 उम्मीदवारों की घोषणा की है और अब तक तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित कई सांसदों को उम्मीदवार बनाया है. इस प्रकार भाजपा ने अब तक राज्य की कुल 230 में से 136 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.

राज्य सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा फिर से दतिया विधानसभा से अपनी किस्मत आजमाएंगे. विश्वास सारंग एक बार फिर नरेला से उम्मीदवार बनाए गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर फिर से गोविंदपुरा से चुनाव लड़ेंगी. पार्टी के वरिष्ठ नेता जदगीश देवड़ा को मल्हारगढ., अरविंद सिंह भदौरिया को अटेर, प्रद्युम्न सिंह तोमर को ग्वालियर, गोपाल भार्गव रेहली से और सागर से शैलेन्द्र जैन को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है.

मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा और मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी. आयोग के मुताबिक मध्य प्रदेश चुनाव के लिए अधिसूचना 21 अक्टूबर को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर होगी. नामांकन पत्रों की जांच 31 अक्टूबर को की जाएगी और नाम वापस लेने की अंतिम तारीख दो नवंबर होगी.

वर्ष 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 114 सीटें जीती थीं और गठबंधन सरकार बनाई थी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस चुनाव में 109 सीटें जीती थीं. कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में विधायकों के एक गुट के विद्रोह के चलते कमलनाथ अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और मार्च 2020 में उनके नेतृत्व वाली सरकार गिर गई. सिंधिया गुट के विधायकों के समर्थन से बाद में भाजपा सत्ता में लौटी और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने.

मध्य प्रदेश में अब तक मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा है. बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी के साथ क्षेत्रीय दल गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी का भी प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में प्रभाव है. इस बार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंकने को तैयार है और उसने अब तक 39 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है.

सिंधिया को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सभी पांच राज्यों में भाजपा की जीत का भरोसा

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी उनके गृह राज्य मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में विजयी होगी. दिल्ली में चुनाव आयोग की पत्रकार वार्ता से कुछ घंटे पहले दिन में सिंधिया ने ग्वालियर में संवाददाताओं से कहा, ”वोट देना सबसे बड़ा अधिकार है. मतदाता भगवान के समान हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और भाजपा की विकास नीति, सुशासन के रिकॉर्ड और गरीबों का कल्याण सुनिश्चित करने के कारण मतदाताओं का आशीर्वाद भाजपा के साथ रहेगा.”

मप्र विधानसभा चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई : चौहान

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव को विचारधाराओं की लड़ाई बताया और लोगों से बड़ी संख्या में उत्साह के साथ मतदान करने की अपील की. एक अन्य भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में विजयी होगी.

चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों के लिए. चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद चौहान ने सीधी में संवाददाताओं से कहा, ”चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्यौहार है. मैं लोगों से पूरे उत्साह के साथ भाग लेने और बड़ी संख्या में मतदान करने की अपील करता हूं क्योंकि चुनाव न केवल सरकार बनाते हैं बल्कि लोगों और राज्य का भविष्य भी तय करते हैं.”

चौहान ने राजनीतिक दलों से यह भी ध्यान रखने की अपील की कि मध्यप्रदेश “शांति का द्वीप है और चुनाव दुश्मनों के रूप में नहीं लड़ा जा रहा है”. उन्होंने कहा, ”यह विचारधाराओं की लड़ाई है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हों, सरकार और विपक्ष सहित सभी को शालीनता से अपने विचार रखने चाहिए.” कांग्रेस जाति सर्वेक्षण के आश्वासन के ईद-गिर्द अपनी चुनावी कहानी बनाने की कोशिश कर रही है और उसने लोगों से कई वादे किए हैं.

दो तिहाई बहुमत से मप्र की सत्ता में बरकरार रहेगी भाजपा : विजयवर्गीय

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को दावा किया कि उनकी पार्टी खासकर विकास और महिला सशक्तिकरण के कामों की बदौलत दो तिहाई बहुमत हासिल करके सूबे की सत्ता में बनी रहेगी.  विजयवर्गीय ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, ”भाजपा कार्यकर्ता राज्य के विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इन चुनावों में दो तिहाई बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी.” उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा को विकास और महिला सशक्तिकरण के कामों का चुनावों में फायदा मिलेगा.

विजयवर्गीय को भाजपा ने इंदौर-1 सीट से विधानसभा चुनावों में उतारा है. भाजपा नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मध्यप्रदेश आने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका चुनाव प्रचार के लिए मध्यप्रदेश आना भाजपा के लिए फायदेमंद है.

विजयवर्गीय ने आरोप भी लगाया कि गांधी ने राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों में किसानों, बेरोजगारों और शिक्षकों से झूठे वादे किए थे. उन्होंने एक सवाल पर कहा,”सनातन धर्म चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि देश की परंपरा, संस्कृति और संस्कारों का विषय है. जो लोग सनातन धर्म को समाप्त करने का सपना देख रहे हैं, वे खुद समाप्त हो जाएंगे.”

भाजपा की मध्य प्रदेश में दो दशकों में चौथी जीत पर नजर; सत्तारूढ़ दल का एक आकलन
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के समक्ष कई अहम चुनौतियां होंगी. भाजपा को चुनावों में कांग्रेस को रोकने के लिए सत्ता विरोधी लहर से लड़ना होगा, अंदरूनी कलह से उबरना होगा और 16 साल से अधिक समय के दौरान राज्य नेतृत्व के प्रति अरुचि के बीच मतदाताओं का सामना करना होगा.

प्रदेश में 2003, 2008 और 2013 में लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद, भाजपा 2018 में कांग्रेस से हार गई थी लेकिन मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिरने के बाद सत्ता में वापस आने में कामयाब रही.
यहां प्रस्तुत है मप्र में भाजपा का एक आकलन (ताकतें, कमजोरियां, अवसर, खतरे), जहां भगवा पार्टी और कांग्रेस पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी हैं.

ताकत:
* भाजपा प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की व्यापक अपील पर बहुत अधिक भरोसा कर रही है, जो एक ओबीसी नेता हैं और अपनी ज़मीन से जुड़ी छवि के लिए जाने जाते हैं.
* सत्तारूढ़ पार्टी महिला मतदाताओं को आर्किषत करने के लिए अपनी पहुंच पर भरोसा कर रही है और उसने ‘लाडली बहना योजना’ जैसी सर्मिपत योजनाएं शुरू की हैं. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1,250 रुपये प्रति माह मिलते हैं और सरकार ने इस राशि को 3,000 रुपये प्रति माह तक बढ़ाने का वादा किया है.
* एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा जो पूरे वर्ष चुनावी ढंग में रहता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मप्र में पार्टी संगठन को देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक करार दिया है.
* भाजपा भी हिंदुत्व, विकास और डबल इंजन विकास के मुद्दे पर भरोसा कर रही है. एक कुशल रणनीतिकार माने जाने वाले शाह तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं.
* राज्य से आने वाले अपने कुछ सांसदों और कुछ केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारे जाने के बाद सत्ताधारी दल व्यापक अपील का लाभ उठाना चाहता है.
* भगवा पार्टी ने अपने राष्ट्रीय महासचिव और भीड़ खींचने वाले कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया है.

कमजोरियां:
* संभावित सत्ता विरोधी लहर, क्योंकि दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक एक संक्षिप्त झटके को छोड़कर, भाजपा पार्टी 2003 से राज्य में शीर्ष पर है.
* भाजपा को संगठन में उथल-पुथल का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कई नेता जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे, वे अपनी मूल पार्टी कांग्रेस में लौट गए हैं.
* 18 साल से सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री चौहान के खिलाफ निरूत्साह का माहौल बन रहा है. मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं.
* कांग्रेस ने कथित भ्रष्टाचार, महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों के खिलाफ कड़ा अभियान चलाया है.

अवसर:
* लगभग दो दशकों तक सत्ता में रहकर, भाजपा ने कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से महिला मतदाताओं और अन्य वर्गों से किए गए कई वादों को लागू किया है.
* विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सहयोगी दल कांग्रेस, आप और समाजवादी पार्टी के अलग-अलग चुनाव लड़ने की स्थिति में, ऐसा घटनाक्रम भाजपा के पक्ष में होगा.
* सनातन धर्म पर विवाद भाजपा की हिंदुओं के रक्षक की छवि को मजबूत करने के काम आता है. हाल ही में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान डीएमके नेताओं की टिप्पणियों को भाजपा ने खूब उछाला.
* परंपरागत रूप से, कांग्रेस को छोड़कर सपा, बसपा और अन्य दल मध्य प्रदेश की राजनीति में सीमांत खिलाड़ी हैं.

चुनौतियां:
* मजबूत केंद्रीय नेतृत्व के कारण भाजपा के भीतर अंदरूनी कलह को काफी हद तक छुपा कर रखा गया है, लेकिन हार से दरारें खुलकर सामने आ सकती हैं.
* त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में, भाजपा को बहुमत जुटाने के लिए सहयोगी ढूंढना मुश्किल हो सकता है.
* कांग्रेस ने 2003 के बाद से अधिकांश खोई हुई जमीन हासिल कर ली है. 2003 में उसने सिर्फ 38 सीटें जीती थीं, लेकिन 2018 में 114 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल करके वापसी की.
* 2003 में, भाजपा ने 173 सीटें जीतीं, लेकिन 2008 में इसकी संख्या घटकर 143 रह गई. 2013 में, भाजपा ने 165 सीटें हासिल की, लेकिन 2018 में उसने बहुमत खो दिया जब उसकी संख्या 109 तक गिर गयी.
* भाजपा के कई नेता, जिनमें से कुछ संघ की विचारधारा के प्रति सर्मिपत हैं, कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. संघ के कुछ पुराने चेहरों ने नई पार्टी बना ली.
* कांग्रेस ने कृषि ऋण माफी, पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने और 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली जैसी कई ‘गारंटियों’ का आश्वासन दिया है.

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