भाजपा ने ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ‘इंडिया बनाम भारत’ बहस छेड़ी है : अभिषेक बनर्जी
विजयन ने 'इंडिया' नाम बदलकर 'भारत' करने के कथित कदम की आलोचना की
कोलकाता/तिरुवनंतपुरम. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि महंगाई, सांप्रदायिक तनाव, सीमा विवाद और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों से ध्यान बांटने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ‘इंडिया बनाम भारत’ बहस छेड़ी है. केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान द्वारा ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर जी-20 के एक भोज निमंत्रण पत्र को साझा किये जाने के बाद यह बहस छिड़ गयी है. इस निमंत्रण पत्र में द्रौपदी मुर्मू को ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ कहा गया है.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”इंडिया बनाम भारत भाजपा द्वारा रची गयी ध्यान बांटने की तरकीब भर है. इधर-उधर की बातें छोड़कर हम विषय पर आयें और इस सरकार को आसमान छूती कीमतें, बेलगाम महंगाई, सांप्रदायिक तनाव, बेरोजगारी, सीमा विवाद और डबल इंजन एवं राष्ट्रवाद के खोखले राग के लिए जवाबदेह ठहरायें. हम अपने ध्येय पर केंद्रित रहें.”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकारी संवादों में ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘अचानक भारत के इस्तेमाल’ को लेकर मंगलवार को सवाल उठाया था. जी-20 भोज के निमंत्रण को लेकर उठे विवाद की ओर इशारा करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि दुनिया इंडिया के रूप में देश को जानती है.
विजयन ने ‘इंडिया’ नाम बदलकर ‘भारत’ करने के कथित कदम की आलोचना की
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने देश का नाम ‘इंडिया’ से बदलकर केवल ‘भारत’ करने के केंद्र सरकार के कथित कदम की बुधवार को आलोचना की और कहा कि यह देश के बहुलवाद को नष्ट करने के लिए सत्तारूढ़ शासन द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों का एक हिस्सा है.
विजयन ने एक बयान में कहा कि कोई भी राजनीतिक निर्णय देश के हितों के खिलाफ नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में, देश का नाम बदलने का कथित कदम “अलोकतांत्रिक” और “असंवैधानिक” है. यह सवाल करते हुए कि केंद्र ‘इंडिया’ शब्द से डरता क्यों है, उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार देश का नाम बदलने के लिए उठाए गए कदम को वापस ले.
विजयन ने लोगों से ऐसी “संकीर्ण मानसिकता वाली राजनीति” के खिलाफ मिलकर विरोध करने का आग्रह भी किया. जी-20 रात्रिभोज के लिए भेजे गए निमंत्रण पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पद का उल्लेख पारंपरिक रूप से ‘प्रेजीडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेजीडेंट आफ भारत’ के तौर होने के बाद देश में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है.