
कोच्चि. ऐसे में जबकि लोकसभा चुनाव में कुछ महीने ही शेष हैं, केरल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को अपनी ‘स्नेह यात्रा’ फिर से शुरू की. स्नेह यात्रा एक संपर्क कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य राज्य में ईसाई समुदाय को पार्टी से जोड़ना है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यह पहल इस साल ईस्टर के दौरान की थी. पार्टी ने हाल ही में प्रदेश समिति की बैठक में क्रिसमस के दौरान यात्रा फिर से शुरू करने का फैसला किया.
भाजपा प्रदेश प्रमुख के सुरेंद्रन ने सुबह पास के कक्कनाड में सेंट थॉमस माउंट में सिरो मालाबार चर्च के पूर्व प्रमुख कार्डिनल जॉर्ज एलेनचेरी से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने वेरापोली के लातिनी आर्चडाओसीज के आर्चबिशप जोसेफ कलातिपारबिल से भी मुलाकात की और प्रधानमंत्री की शुभकामनाएं दीं. सुरेंद्रन ने बाद में एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि यह राज्य में ‘स्नेह यात्रा’ की शुरुआत है. उन्होंने चर्च प्रमुखों के साथ अपनी सौहार्दपूर्ण बैठकों की तस्वीरें भी साझा कीं.
केरल में कांग्रेस ने ”स्नेह यात्रा” को ‘यहूदा’ (जूडस) का चुंबन करार दिया, जिसने चांदी के 30 सिक्कों के लिए ईसा मसीह के साथ विश्वासघात किया. हालांकि, चर्च के प्राधिकारियों और भाजपा नेतृत्व ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान किन विषयों पर चर्चा हुई. भाजपा के एक नेता ने कहा कि एलेनचेरी के साथ बैठक 45 मिनट से अधिक समय तक चली और यह एक गर्मजोशी से भरी एक मैत्रीपूर्ण बैठक थी.
पार्टी के जिला अध्यक्ष के एस शैजू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”यह एक दोस्ताना मुलाकात थी…भाजपा प्रमुख ने उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं. बाद में उन्होंने साथ में नाश्ता किया.” यह पूछे जाने पर कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले किसी राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा हुई, नेता ने कोई विवरण नहीं दिया. उन्होंने कहा, “यात्रा का उद्देश्य प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करना था.”
उन्होंने मीडिया की उन खबरों को भी खारिज कर दिया कि मणिपुर हिंसा मुद्दे के बाद चर्च और भाजपा के बीच मतभेद थे. उन्होंने कहा, ”यह सिर्फ मीडिया की उपज थी. भाजपा और चर्च दोनों ने हमेशा सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है.” हालांकि कई वरिष्ठ बिशप ने हाल के दिनों में राज्य में कई मौकों पर भाजपा समर्थक बयान दिए, लेकिन मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित चुप्पी ने दोनों के बीच कथित तौर पर मतभेद उत्पन्न कर दिए. भाजपा सूत्रों ने कहा कि यात्रा का उद्देश्य ईसाई समुदाय को पार्टी के करीब लाना है.
पार्टी के नेता और कार्यकर्ता 30 दिसंबर तक प्रधानमंत्री का संदेश लेकर ईसाई नागरिकों के घरों में जाएंगे. पार्टी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य भर में पदयात्राएं निकालने का भी फैसला किया है. भाजपा के प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस साल की शुरुआत में ईस्टर के अवसर पर ईसाई लोगों के घरों और धार्मिक प्रमुखों से मुलाकात करते हुए स्नेह यात्रा निकाली थी.
इस बीच, राज्य में कांग्रेस पार्टी ने बृहस्पतिवार को ईसाई समुदाय तक पहुंच बनाने की भाजपा की पहल की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह “स्नेह यात्रा” नहीं, बल्कि “यहूदा का चुंबन” है. केरल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन ने एक बयान में आरोप लगाया कि संघ परिवार का इतिहास केवल अल्पसंख्यकों को धोखा देने का रहा है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले ईसाइयों से मिलने जा रहे भाजपा नेता, “स्नेह यात्रा” नहीं कर रहे थे बल्कि यह ‘यहूदा के चुंबन’ जैसा है, जिसने चांदी के तीस सिक्कों के लिए ईसा मसीह को धोखा दिया था.
उन्होंने कहा कि जब संघ परिवार की ताकतें देश के सभी हिस्सों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा फैला रही हैं, तो वे केरल में उनके प्रति “विशेष प्रेम” दिखा रहे हैं. प्रधानमंत्री पर मणिपुर हिंसा पर लगातार चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए सुधाकरन ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा पूर्वोत्तर राज्य के प्रभावित इलाकों का दौरा किये जाने के बाद इस मुद्दे पर देश का ध्यान गया. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मणिपुर में 2017 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य एक संघर्ष वाला क्षेत्र बन गया. उन्होंने कहा कि केरल को वहां और देश के अन्य हिस्सों में हो रहे अत्याचारों से बहुत कुछ सीखना है.



