हार्मोन आधारित गर्भनिरोधक गोलियों से स्तन कैंसर का खतरा

नयी दिल्ली. सभी तरह के हार्मोन आधारित गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से स्तन कैंसर की आशंका में थोड़ी वृद्धि होने की संभावना रहती है. यह दावा एक नवीनतम अध्ययन में किया गया है. जर्नल पीएलओएस मेडिसीन में प्रकाशित अनुसंधान पत्र के मुताबिक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन युक्त और केवल प्रोजेस्टोजेन गर्भनिरोधक से स्तन कैंसर की आशंका अपेक्षाकृत 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन युक्त गर्भनिरोधक गोली का पूर्व में स्तन कैंसर के खतरे में मामूली वृद्धि से संबंध पाया गया था लेकिन केवल प्रोजेस्टोजेन युक्त गर्भनिरोधक गोली से खतरे को लेकर सीमित आंकड़े उपलब्ध थे.
उन्होंने बताया कि हालांकि प्रोजेस्टोजेन युक्त गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल में हाल के सालों में वृद्धि देखी गई है और इंग्लैंड में लगभग सभी डॉक्टर प्रोजेस्टोजेन की गोली ही लिखते हैं.

अनुसंधानकर्ताओं ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ब्रिटिश प्राथमिक स्वास्थ्य आंकड़ों, क्लिनिकल प्रैक्टिस रिसर्च डाटांिलक (सीपीआरडी) में 1996 से 2017 के बीच स्तन कैंसर की पंजीकृत 50 साल से कम उम्र की 9,498 महिलाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया और इसके साथ ही उन्होंने सामान्य 18,171 महिलाओं के आंकड़ों से मिलान किया.

अनुसंधानकर्ताओं ने विश्लेषण में पाया कि स्तन कैंसर का इलाज करा रही 44 प्रतिशत महिलाएं और मिलान आंकड़े में शामिल 39 प्रतिशत महिलाएं हार्मोन आधारित गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थीं और इनमें से आधी केवल प्रोजेस्टोजेन युक्त गर्भनिरोधक गोली का सेवन कर रही थीं.

उन्होंने बताया कि अनुमान है कि पांच साल तक किसी भी तरह की हार्मोन युक्त गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने वाली 16 से 20 साल उम्र की प्रति एक लाख महिला में स्तन कैंसर के आठ मामले आते हैं जबकि 35 से 39 वर्ष आयुवर्ग में यह संख्या प्रति एक लाख 265 है. हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं ने जोर देकर कहा है कि इस खतरे को गर्भनिरोधक के पूर्ण रूप से स्थापित लाभ के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

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