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बजट 2025-26: आम बोलचाल की भाषा में समझें बजट का सार…

आयकर में छूट, किसान क्रेडिट कार्ड से लेकर सस्ती-महंगी चीजों तक

बजट 2025-26 की मुख्य विशेषताएं

भारत की अर्थव्यवस्था सभी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है । पिछले 10 वर्षों में, मोदी सरकार के विकास ट्रैक रिकॉर्ड और संरचनात्मक सुधारों ने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है।

इस सरकार के पहले दो कार्यकालों के दौरान किए गए परिवर्तनकारी कार्य एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे यह सरकार दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने में सक्षम हुई है।

युवा, अन्नदाता और नारी (गरीब, युवा, किसान, महिला) पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विकास के उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।

आयकर में राहत

लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग, विकसित भारत की ओर हमारी यात्रा में प्रमुख सहायक स्तंभ हैं। मध्यम वर्ग भारत के विकास को शक्ति प्रदान करता है ।

माननीय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने हमेशा राष्ट्र निर्माण में मध्यम वर्ग की सराहनीय ऊर्जा और क्षमता पर विश्वास किया है।

उनके योगदान को मान्यता देते हुए, सरकार ने समय-समय पर उनके कर के बोझ को कम किया है। 2014 के ठीक बाद, ‘शून्य कर’ स्लैब को बढ़ाकर ₹2.5 लाख कर दिया गया, जिसे 2019 में बढ़ाकर ₹5 लाख और 2023 में 7 लाख कर दिया गया।

नई व्यवस्था के अंतर्गत 12 लाख रुपये तक की आय (अर्थात पूंजीगत लाभ जैसी विशेष दर आय को छोड़कर प्रति माह 1 लाख रुपये की औसत आय) पर कोई आयकर नहीं देना होगा ।

वेतनभोगी वर्ग के लिए, ₹12.75 लाख की वार्षिक आय तक कोई आयकर लागू नहीं है, क्योंकि वेतनभोगी वर्ग को ₹75,000 का मानक कटौती लाभ उपलब्ध है।

विभिन्न आय स्तरों पर स्लैब दर में परिवर्तन और छूट के कुल कर लाभ को उदाहरणों से स्पष्ट किया जा सकता है।

नई व्यवस्था में ₹12 लाख की आय वाले करदाता को कर में ₹80,000 का लाभ मिलेगा (मौजूदा दरों के अनुसार देय कर का 100% छूट प्राप्त होगा)। प्रभावी आयकर दर 0% होगी।

16 लाख की आय वाले व्यक्ति को कर में ₹50,000 का लाभ मिलेगा । [देय प्रभावी आयकर दर सिर्फ 7.5% होगी]

18 लाख की आय वाले व्यक्ति को कर में ₹70,000 का लाभ मिलेगा । [देय प्रभावी आयकर दर सिर्फ 8.8% होगी]

20 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को कर में 90,000 रुपये का लाभ मिलेगा । [देय प्रभावी आयकर दर सिर्फ 10% होगी]।

25 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को 1,10,000 रुपये का लाभ मिलेगा । [प्रभावी कर दर सिर्फ 13.2% होगी]

50 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को भी 1,10,000 रुपये का लाभ मिलेगा । [प्रभावी कर दर सिर्फ 21.6% होगी]

इन प्रस्तावों के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष करों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व छूट जाएगा।

प्रमुख घोषणाएं

सरकार ‘ प्रधानमंत्री धन- धन्य कृषि योजना’ शुरू करेगी राज्यों के साथ साझेदारी में।

इस योजना के अंतर्गत कम उत्पादकता, मध्यम फसल सघनता और औसत से कम ऋण मानकों वाले 100 जिले शामिल होंगे। इससे 1.7 करोड़ किसानों को मदद मिलेगी।

तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान देते हुए 6 साल का “ दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन ” शुरू करेगी।

इसमें उत्पादकता में सुधार, घरेलू दाल उत्पादन, किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने तथा जलवायु अनुकूल बीजों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान करता है। संशोधित ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण के लिए केसीसी ऋण सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की जाएगी।

राज्यों के साथ साझेदारी में एक व्यापक बहु-क्षेत्रीय ‘ ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन’ कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

इससे कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के माध्यम से कृषि में अल्प-रोजगार की समस्या का समाधान किया जाएगा।

इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त अवसर पैदा करना है ताकि प्रवास एक विकल्प हो, लेकिन अनिवार्यता नहीं।

चरण-1 में 100 विकासशील कृषि जिलों को कवर किया जाएगा।

शहरी श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए एक नई योजना लागू की जाएगी, जिससे उनकी आय में सुधार हो सके, उन्हें स्थायी आजीविका मिल सके और जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके।

सरकार गिग वर्कर के पहचान पत्र और ई- श्रम पोर्टल पर पंजीकरण की व्यवस्था करेगी। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत गिग वर्करों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाएगी । इस उपाय से लगभग 1 करोड़ गिग-वर्करों को सहायता मिलने की संभावना है ।

को सरकार, बैंकों और निजी निवेशकों के योगदान से एक मिश्रित वित्त सुविधा के रूप में स्थापित किया जाएगा । ₹15,000 करोड़ के इस फंड का लक्ष्य अन्य 1 लाख इकाइयों को शीघ्र पूरा करना होगा।

SWAMIH ने 50,000 आवासीय इकाइयां तैयार कर ली हैं। 2025 में 40,000 और इकाइयां तैयार हो जाएंगी।

ऋण तक पहुंच में सुधार के लिए , ऋण गारंटी कवर को बढ़ाया जाएगा :

सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण सीमा को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया है , जिससे अगले 5 वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण उपलब्ध होगा।

स्टार्टअप्स के लिए 10 करोड़ से 20 करोड़ रुपये तक , आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण 27 फोकस क्षेत्रों में ऋण के लिए गारंटी शुल्क को घटाकर 1 प्रतिशत किया गया ।

अच्छी तरह से संचालित निर्यातक एमएसएमई के लिए 20 करोड़ रुपये तक के सावधि ऋण।

पर्यटन क्षेत्र में शीर्ष 50 पर्यटन स्थल भारत में रोजगार आधारित विकास को चुनौती मोड के माध्यम से राज्यों के साथ साझेदारी में विकसित किया जाएगा। रोजगार आधारित विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाएंगे:

आतिथ्य प्रबंधन संस्थानों सहित हमारे युवाओं के लिए गहन कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन करना

होमस्टे के लिए मुद्रा ऋण उपलब्ध कराना

पर्यटक सुविधाओं, स्वच्छता और विपणन प्रयासों सहित प्रभावी गंतव्य प्रबंधन के लिए राज्यों को प्रदर्शन-संबंधी प्रोत्साहन प्रदान करना

सुव्यवस्थित ई-वीज़ा सुविधाएं शुरू करना।

एमएसएमई को उच्च दक्षता, तकनीकी उन्नयन और पूंजी तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में मदद करने के लिए , सभी एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 और 2 गुना तक बढ़ाया जाएगा।

इससे उन्हें आगे बढ़ने और हमारे युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने का आत्मविश्वास मिलेगा।

‘निर्यात संवर्धन मिशन’ की स्थापना की जाएगी जिसे वाणिज्य, एमएसएमई और वित्त मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा। इससे निर्यात ऋण, सीमा पार फैक्टरिंग सहायता और एमएसएमई को सहायता तक आसान पहुंच की सुविधा मिलेगी।

संशोधित केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री शुरू की जाएगी । हम केवाईसी के आवधिक अद्यतन के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली भी लागू करेंगे।

वर्तमान में, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए कोई समय सीमा प्रदान नहीं करता है, जिससे अनिश्चितता और व्यापार की लागत बढ़ जाती है । व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के उपाय के रूप में, सरकार ने अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए दो साल की समय-सीमा तय की है , जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है।

रोगियों, विशेषकर कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और अन्य गंभीर दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित रोगियों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार ने 36 जीवनरक्षक औषधियों को मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) से पूर्ण छूट वाली औषधियों की सूची में जोड़ने का प्रस्ताव किया है ।

सरकार ने 6 जीवन रक्षक दवाओं को भी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया है, जिन पर 5% की रियायती सीमा शुल्क लगेगा । उपरोक्त दवाओं के विनिर्माण के लिए थोक दवाओं पर भी क्रमशः पूर्ण छूट और रियायती शुल्क लागू होगा।

बजट सत्र में नया आयकर विधेयक पेश किया जाएगा। नया आयकर विधेयक अधिक स्पष्ट होगा और इसमें अध्यायों और शब्दों दोनों के संदर्भ में वर्तमान कानून की तुलना में लगभग 50% कम पाठ होगा। करदाताओं और कर प्रशासन के लिए इसे समझना आसान होगा, जिससे कर निश्चितता और मुकदमेबाजी में कमी आएगी।

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