उपचुनाव: मैनपुरी लोकसभा और छह विधानसभा सीट पर मतगणना कल

नयी दिल्ली/लखनऊ. पांच राज्यों में छह सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव और हाईप्रोफाइल मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की मतगणना बृहस्पतिवार को होगी. मैनपुरी संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है.

उत्तर प्रदेश की रामपुर और खतौली, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुढ़नी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के नतीजों की घोषणा आठ दिसंबर को होगी. इसी दिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिये हुए चुनावों के परिणाम भी आएंगे.

मैनपुरी सीट पर उपचुनाव समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अक्टूबर में निधन के कारण हो रहा है. रामपुर सदर सीट सपा नेता आजम खान को अयोग्य ठहराए जाने के कारण खाली हुई थी. मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी ंिडपल यादव मैनपुरी से उम्मीदवार हैं जबकि मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव के पूर्व विश्वस्त रघुराज सिंह शाक्य इस सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं.

इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार और जून के उपचुनावों में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर भाजपा से मिली शिकस्त के बाद मैनपुरी में जीत अखिलेश यादव को कुछ सांत्वना प्रदान कर सकती है. कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उपचुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं ऐसे में तीनों स्थानों पर सीधा मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी तथा उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के बीच है.

नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर अप्रैल 2019 में दर्ज एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रामपुर से विधायक आजम खान को तीन साल कैद की सजा दी गई थी जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया था. विभिन्न मामलों में दो साल से ज्यादा समय तक जेल में रहने के बाद समाजवादी पार्टी का ‘मुस्लिम चेहरा’ माने जाने वाले खान ने असीम राजा के लिये वोट मांगे और कहा कि उनके (खान के) साथ भाजपा सरकार ने अन्याय किया है. सोमवार को इस सीट पर हुए मतदान का प्रतिशत कम रहा.
सरदारशहर और भानुप्रतापपुर सीट जहां कांग्रेस के पास है, वहीं भाजपा ने खतौली सीट जीती थी और रामपुर सीट सपा के पास थी. पदमपुर सीट बीजू जनता दल के पास थी, जबकि कुढ़नी सीट पर राजद का कब्जा था.

उपचुनावों के नतीजों से केंद्र या राज्य सरकारों पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि सत्तारूढ़ दलों के पास पर्याप्त बहुमत है. खतौली में भाजपा राजकुमारी सैनी को मैदान में उतार कर इस सीट को बरकरार रखने की कोशिश कर रही है. खतौली पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों का केंद्र था.  वह विक्रम सिंह सैनी की पत्नी हैं, जिन्हें 2013 के दंगों के एक मामले में जिला अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और दो साल कैद की सजा के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. रालोद ने यहां से मदन भैया को अपना उम्मीदवार बनाया है.

राजस्थान में सरदारशहर सीट कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा (77) के पास थी, जिनका लंबी बीमारी के बाद नौ अक्टूबर को निधन हो गया था. कांग्रेस ने शर्मा के बेटे अनिल कुमार को मैदान में उतारा है जबकि पूर्व विधायक अशोक कुमार भाजपा के उम्मीदवार हैं.
बीजद विधायक बिजय रंजन सिंह बरिहा के निधन के कारण ओडिशा की पदमपुर सीट पर उपचुनाव हुआ. पार्टी ने बिरहा की बड़ी बेटी बर्षा सिंह बरिहा को उपचुनाव में यहां से प्रत्याशी बनाया है.

वहीं छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित कांकेर जिले में अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित भानुप्रतापपुर सीट पर उपचुनाव कांग्रेस विधायक मनोज सिंह मंधावी का पिछले महीने निधन होने के बाद हो रहा है. कांग्रेस ने यहां से दिवंगत विधायक की पत्नी सावित्री मंधावी को प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा ने यहां से ब्रह्मानंद नेताम को खड़ा किया है.

बिहार की कुढ़नी सीट पर जदयू ने मनोज सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. जदयू की गठबंधन सहयोगी राजद के विधायक अनिल कुमार सहनी को विधानसभा सदस्यता के प्रति अयोग्य ठहराए जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है.

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