उपचुनावों के नतीजे उत्साजनक, पूर्वोत्तर के चुनाव परिणाम निराशाजनक: कांग्रेस

कांग्रेस को खुद को माकपा का ‘बी टीम’ घोषित कर देना चाहिए : केन्द्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने कुछ राज्यों के विधानसभा उप चुनावों में मिली जीत को उत्साहजनक करार देते हुए बृहस्पतिवार कहा कि पूर्वोत्तर के तीन प्रदेशों के विधानसभा चुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे हैं जिसके कारणों पर वह विचार करेगी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस त्रिपुरा में वाम दलों के साथ वाले गठबंधन को बहुमत मिलने की उम्मीद कर रही थी और मेघालय में भविष्य को देखते हुए टिकट दिए गए थे.

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ पार्टियां सोच रही थीं कि कांग्रेस के लोगों को तोड़कर मजबूत बन जाएंगी, लेकिन चुनाव के नतीजों से ऐसा होता नहीं दिख रहा है. रमेश ने कहा, ‘‘आज के नतीजे उत्साहजनक भी है और निराशाजनक भी. पश्चिम बंगाल के उपचुनाव में हम जीते हैं और विधानसभा में हमारा पहला विधायक होगा. महाराष्ट्र में 30 साल के बाद आरएसएस भाजपा के गढ़ (कस्बा) में कांग्रेस जीती है. तमिलनाडु में हमें बड़े अंतर से जीत मिली है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उप चुनाव के नतीजे सकारात्मक हैं और हमें विश्वास दिलाते हैं कि कांग्रेस की ओर से लोग देख रहे हैं. पूर्वोत्तर के राज्यों में हम मानकर चल रहे थे कि हम अच्छा करेंगे, त्रिपुरा में बहुमत मिलेगा.’’ उनका कहना था, ‘‘नगालैंड में हमें उम्मीद है कि हमारा मत प्रतिशत बढ़ेगा. मेघालय में हम मानकर चल रहे थे कि हम भविष्य के लिए कांग्रेस को बना रहे हैं.’’

रमेश ने कहा, ‘‘हम नतीजों को स्वीकारते हैं और हमें संगठन को मजबूत करना है. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में बहुत बातचीत के बाद गठबंधन किया गया था और लोग मानकर चल रहे थे कि इस गठबंधन को बहुमत मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. ऐसा क्यों नहीं हुआ, हमें देखना होगा.’’

पूर्वोत्तर से कांग्रेस को मिली मायूसी, वाम दलों के साथ गठबंधन का प्रयोग फिर रहा विफल

मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस की हार का सिलिसला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब उसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में निराशा मिली है, हालांकि कुछ जगहों के उपचुनावों में जीत उसको थोड़ा सुकून देने वाली है. देश की मुख्य विपक्षी दल को त्रिपुरा में वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रयोग भी विफल रहा. उसने ऐसा ही प्रयोग वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी किया था जहां उसका खाता भी नहीं खुल पाया था.

पूर्वोत्तर में कांग्रेस को चुनावी सफलता की उम्मीदों को उस समय झटका लगा है जब कुछ सप्ताह पहले ही कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पूरी हुई और कुछ दिनों पहले उसका 85वां महाधिवेशन आयोजित हुआ था. त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं जहां वह 13 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. मेघालय में कांग्रेस को सिर्फ पांच सीटें हासिल हुईं जहां पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 21 सीटें मिली थीं. मेघालय विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उसके अधिकतर विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. नगालैंड में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली.

कांग्रेस के नजरिये से राहत वाली बात यह रही कि उसने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में जीत हासिल की. उसने महाराष्ट्र में कस्बा विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल की, जो भारतीय जनता पार्टी का अभेद किला माना जाता था. इसी तरह उसने पश्चिम बंगाल में सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस को मात दी.

इन चुनावी नतीजों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘आज के नतीजे उत्साहजनक भी है और निराशाजनक भी. पश्चिम बंगाल के उपचुनाव में हम जीते हैं और राज्य विधानसभा में हमारा पहला विधायक होगा. महाराष्ट्र में 30 साल के बाद आरएसएस भाजपा के गढ़ (कस्बा) में कांग्रेस जीती है. तमिलनाडु में हमें बड़े अंतर से जीत मिली है.’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम नतीजों को स्वीकारते हैं और हमें संगठन को मजबूत करना है. ’’ त्रिपुरा में वाम दलों के साथ गठबंधन की विफलता बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘‘त्रिपुरा में बहुत बातचीत के बाद गठबंधन किया गया था और लोग मानकर चल रहे थे कि इस गठबंधन को बहुमत मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. ऐसा क्यों नहीं हुआ, हमें देखना होगा.’’

मौजूदा समय में कांग्रेस की राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में अपने बूते सरकार है तो झारखंड में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के कनिष्ठ सहयोगी के रूप में सत्ता की भागीदार है. तमिलनाडु में भी वह सत्तारूढ़ द्रमुक की कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका में है. बिहार में ‘महागठबंधन’ सरकार का भी वह हिस्सा है.

कांग्रेस को लंबे समय बाद पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश में जीत मिली थी, हालांकि उसी समय गुजरात में उसका प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा था. पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने इस महत्वपूर्ण राज्य की सत्ता को गंवा दिया. उसी समय कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनावों में भी निराशा हाथ लगी थी.

कांग्रेस को खुद को माकपा का ‘बी टीम’ घोषित कर देना चाहिए : केन्द्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर

केन्द्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर तंज कसते हुए पार्टी को ‘माकपा की ‘बी टीम’ बताया. पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों, खास तौर से त्रिपुरा में विपक्षी गठबंधन का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) – आईपीएफटी गठबंधन को 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 31 सीटों पर जीत मिली है और गठबंधन लगातार दूसरी बार राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार है.

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, भाजपा के हिस्से में 30 सीट आयी हैं जबकि इंडिजीनस पीपुल्स फ्रंट आॅफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) को एक सीट मिली है. बृहस्पतिवार को 57 सीटों पर परिणाम घोषित हुए हैं तथा भाजपा दो और सीटों पर आगे चल रही है. भाजपा नगालैंड में भी अगली सरकार बनाने को तैयार है जहां उसने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा है. वहीं मेघालय में भी भाजपा की स्थिति पहले से बेहतर हुई है.

सिलसिलेवार ट्वीट में कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री चन्द्रशेखर ने कुछ राज्यों में वामपंथी दलों के साथ गठबंधन करने और कुछ जगह उनके खिलाफ चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस पर व्यंग्य किया. गौरतलब है कि पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है, जबकि केरल में उसने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के खिलाफ चुनाव लड़ा.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘त्रिपुरा चुनाव के बाद कांग्रेस को औपचारिक रूप से केरल में भी माकपा की ‘बी टीम’ का दर्जा पा लेना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में माकपा के साथ गठबंधन में है.’’ ‘भाजपा की विचारधारा भारत का संविधान है : चन्द्रशेखर’ शीर्षक वाले लेख को ट्वीट करने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर के पोस्ट को टैग करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय से कांग्रेस का सफाया देखने के लिए परिणाम वाले दिन का इंतजार कर रहा था… क्योंकि उनके नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान बेशर्मी से झूठ बोला और लोगों में डर पैदा करने का प्रयास किया था, जैसा कि यह बुद्धिजीवी नेता कर रहे हैं.’’

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