सीबीआई ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना मामले में जांच शुरू की

नयी दिल्ली/बालासोर/भुवनेश्वर. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक टीम ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना के लिए आपराधिक लापरवाही के आरोपों के संबंध में मंगलवार को जांच शुरू की. अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा विशेषज्ञों की राय ले सकती है.

संयुक्त निदेशक (विशेष अपराध) विप्लव कुमार चौधरी के नेतृत्व में सीबीआई के छह अधिकारियों की एक टीम मंगलवार को बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटनास्थल पर पहुंची. टीम के साथ रेलवे के अधिकारी भी थे. टीम ने पटरी और सिग्नल रूम का निरीक्षण किया. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई जल्द ही सहायक स्टेशन मास्टर एस बी मोहंती समेत बाहानगा स्टेशन पर मौजूद अधिकारियों और सिग्नल तथा ट्रैक की देखरेख करने वाले अन्य र्किमयों से पूछताछ शुरू करेगी.

सीबीआई को जांच सौंपने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से एक अनिवार्य अधिसूचना जारी होने के बाद, केंद्रीय एजेंसी ने मंगलवार दोपहर अपनी प्राथमिकी दर्ज की. अधिकारियों ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करना सीबीआई जांच का शुरुआती बिंदु है क्योंकि एजेंसी इसके बिना कोई दस्तावेज या सामग्री एकत्र नहीं कर सकती, गवाहों से पूछताछ नहीं कर सकती, बयान दर्ज नहीं कर सकती या तलाशी नहीं ले सकती.

अधिकारियों को प्रारंभिक जांच में ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम’ के साथ छेड़छाड़ का संकेत मिलने और दुर्घटना के पीछे ”तोड़फोड़” की आशंका जताए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम’ के जरिए ट्रेन की मौजूदगी का पता लगता है.

सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, ”सीबीआई ने दो जून को ओडिशा के बाहानगा बाजार में कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी से जुड़ी दुर्घटना पर रेल मंत्रालय के अनुरोध, ओडिशा सरकार की सहमति और फिर डीओपीटी, भारत सरकार के आदेश पर मामला दर्ज किया है.” अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है.

प्रक्रिया का पालन करते हुए, केंद्रीय एजेंसी ने तीन जून को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) कटक द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337 (लापरवाह कृत्य से चोट पहुंचाना), 338 (चोट पहुंचाने वाला कृत्य, किसी की जान को खतरा), 304ए (लापरवाही के कारण हुई मौत) और 34 (समान मंशा), और रेलवे अधिनियम की धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 154 (लापरवाह कृत्य से जान को खतरे में डालना) और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली.

प्राथमिकी में कहा गया है कि कई मौतें टक्कर और रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरने वाले तारों के टूटने से करंट लगने के कारण हुईं. अधिकारियों ने कहा कि ट्रेन दुर्घटना में कोच के पलटने से बिजली के खंभे टूट गए और ओवरहेड तार नीचे गिर गए. प्रक्रिया के अनुसार, सीबीआई स्थानीय पुलिस के मामले को अपनी प्राथमिकी के रूप में फिर से दर्ज करती है और जांच शुरू करती है. केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच के बाद दाखिल आरोपपत्र में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है.

रविवार को, ओडिशा में पत्रकारों से बातचीत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, ”हमने हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है.” रेलवे बोर्ड के सदस्य (ऑपरेशंस एंड बिजनेस डेवलपमेंट) ने चार जून को केंद्र को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की थी. ओडिशा सरकार ने सोमवार को पत्र के जरिए सीबीआई को जांच करने की सहमति दे दी.

दस्तावेजों के मुताबिक मंगलवार को डीओपीटी ने आखिरकार जांच शुरू करने के लिए सरकार की हरी झंडी देते हुए सीबीआई को अनिवार्य अधिसूचना जारी की, जिसके बाद एजेंसी कार्रवाई में जुट गई और दोपहर में प्राथमिकी दर्ज की. बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे तीन ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गईं. देश के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में 278 लोगों की मौत हो गई और 1100 से अधिक घायल हो गए. विशेषज्ञों ने कहा है कि दोनों यात्री ट्रेन तेज रफ्तार में थीं, इस कारण से भी दुर्घटना में इतने ज्यादा लोग हताहत हुए.

सीबीआई अधिकारियों के साथ आई फॉरेंसिक टीम ने भी सिग्नल रूम के कर्मचारियों से बात की और विभिन्न उपकरणों के उपयोग एवं उनके काम करने के तरीकों की जानकारी प्राप्त की. खुर्दा रोड मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) रिंकेश रॉय ने संदेह जताया है कि सिग्नल प्रणाली में संभवत: ‘छेड़छाड़’ की गई थी. दक्षिण पूर्वी रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आदित्य चौधरी ने कहा, ”सीबीआई सभी पहलुओं की जांच करेगी. वह जानकारी एकत्र कर रही है और रेलवे इसमें पूरा सहयोग करेगा.”

रेल हादसा: 100 से अधिक शवों की पहचान बाकी, डीएनए नमूने एकत्र करने का काम शुरू

बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले 100 से अधिक लोगों के शव अभी भी यहां के विभिन्न अस्पतालों के मुर्दाघरों में पड़े हैं क्योंकि उनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है. इस बीच, भुवनेश्वर स्थित अखिल भारतीय आयुर्वज्ञिान संस्थान (एम्स) ने शवों की पहचान के लिए अपने रिश्तेदारों की तलाश कर रहे लोगों के डीएनए नमूने लेने शुरू कर दिए हैं. एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शवों की पहचान का दावा करने वालों में से अब तक 10 लोगों के डीएनए के नमूने एकत्र किए गए हैं. उन्होंने कहा कि शवों को अब पांच कंटेनरों में स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां उन्हें लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है.

अधिकारी ने कहा कि डीएनए नमूने लेने के बाद शवों को उचित लोगों को सौंपने या फिर उनका अंतिम संस्कार करने की अब कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए क्योंकि उन्हें छह महीने तक कंटेनर में रखा जा सकता है. कुल 278 मृतकों में से 177 शवों की पहचान कर ली गई है जबकि अन्य 101 की पहचान कर उन्हें उनके परिवारों को सौंपा जाना बाकी है. एम्स में करीब 123 शव आए थे, जिनमें से लगभग 64 की पहचान कर ली गई है.

झारखंड के एक परिवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि उन्होंने सोमवार को उपेंद्र कुमार शर्मा के शव की पहचान की थी, लेकिन इसे मंगलवार को किसी और को सौंप दिया गया. इस परिवार के एक सदस्य ने कहा, ”अगर शव किसी और को सौंप दिया गया है तो डीएनए नमूना लेने का क्या मतलब है? हमने उपेंद्र के शरीर पर टैटू के निशान से उसकी पहचान की थी.” हालांकि, एम्स के उपाधीक्षक डॉक्टर प्रवास त्रिपाठी ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद शवों को सौंपा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह सही है कि एक से अधिक परिवार एक ही शव पर दावा कर रहे हैं और इसके लिए डीएनए नमूने लिए जा रहे हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डीएनए नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में कम से कम 7 से 10 दिन का समय लग सकता है.
उन्होंने कहा कि चूंकि शवों को अब कंटेनर में रखा जा रहा है, इसलिए शवों को संरक्षित करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
मृतकों में से अधिकतर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा ओडिशा के रहने वाले हैं.

इस बीच, तीन एजेंसियों केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) और जीआरपी, बालासोर ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है. इस हादसे में कम से कम 278 लोग मारे गए हैं. खुर्दा मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) रिंकेश रॉय ने उपकरणों के साथ छेड़छाड़ का संदेह जताया है, जिसके चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लोहे से लदी मालगाड़ी से टकरा गई.

रॉय ने कहा कि जब कोरोमंडल एक्सप्रेस बाहानगा बाजार स्टेशन से गुजरी तो मुख्य लाइन पर हरी झंडी थी. उन्होंने कहा कि आवश्यक सभी पूर्व-शर्तें सही होती हैं तभी सिग्नल आमतौर पर हरा होता है और यदि यदि कोई भी पूर्व शर्त पूरी नहीं होती है तो तकनीकी रूप से सिग्नल कभी भी हरा नहीं हो सकता. रॉय ने कहा कि जब तक कोई सिग्नल सिस्टम के साथ छेड़छाड़ नहीं करता , तब तक यह लाल रहता है.

उन्होंने बताया कि रेलवे के पास ‘डेटा लॉगर’ नामक एक प्रणाली है जिसमें सिग्नल बटन को दबाने से लेकर शुरू होने वाली प्रत्येक घटना रिकॉर्ड की जाती है. डीआरएम ने कहा कि ‘डेटा लॉगर’ से पता चलता है कि हरी झंडी थी. उन्होंने कहा कि यह तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक कि किसी ने इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की हो.

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