CBI को देशद्रोह और आंतरिक सुरक्षा के नजरिए से FBU ‘जासूसी कांड’ की जांच करनी चाहिए : विपक्ष

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट (एफबीयू) से संबंधित एक कथित जासूसी कांड (स्रूंिपग स्कैंडल) के सिलसिले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी का स्वागत किया और मांग की कि एजेंसी मुख्यमंत्री अरंिवद केजरीवाल के खिलाफ भी मामला दर्ज करे.

कांग्रेस ने मांग की कि जासूसी कांड के आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया जाए, यह एक आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा है. भाजपा की दिल्ली इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और एजेंसी को देशद्रोह के नजरिए से इसकी जांच करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह देशद्रोह का मामला है. क्या एफबीयू की जानकारी किसी विदेशी शक्ति के साथ साझा की जा रही थी? एजेंसी को यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या एफबीयू को विदेश से धन प्राप्त हो रहा था?’’ सचदेवा ने कहा कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े कुछ लोग जैसे मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार एफबीयू में थे, जिसने इसके मकसद पर संदेह जताया.
सचदेवा ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि मनीष सिसोदिया और कुछ अधिकारियों ने ही नहीं बल्कि केजरीवाल ने भी एफबीयू के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एजेंसी को भी उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए और उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए.’’ दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अली मेहंदी ने कहा कि उनकी पार्टी पिछले छह महीने से इस मुद्दे को उठा रही है.

उन्होंने कहा कि फीडबैक यूनिट मामले की गहन जांच होनी चाहिए क्योंकि लोगों को पता होना चाहिए कि वास्तव में उस समय क्या हुआ जब यह काम कर रहा था. उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि इस मामले में यूएपीए लगाया जाना चाहिए क्योंकि यह आंतरिक सुरक्षा का मामला है. एक राज्य सरकार के पास इस तरह की जासूसी इकाई नहीं हो सकती है और यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है.’’

अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में वर्तमान में जेल में बंद सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने आधिकारिक पद के कथित दुरूपयोग और केंद्र शासित प्रदेश सरकार की फीडबैक यूनिट का इस्तेमाल ‘‘राजनीतिक जासूसी’’ के लिए करने के एक नए मामले में मामला दर्ज किया है. भाजपा और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एफबीयू का इस्तेमाल आप सरकार द्वारा अपने विरोधियों के बारे में राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए किया जा रहा था.

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