‘एंटीहीमोफीलिक फैक्टर’ इंजेक्शन के बारे में रिपोर्ट दाखिल करें केंद्र और दिल्ली सरकार: उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय केंद्र और दिल्ली सरकार को दुर्लभ आनुवांशिक रक्त विकार से पीड़ित व्यक्तियों को लगाए जाने वाले ‘एंटीहीमोफीलिक फैक्टर’ इंजेक्शन के स्टॉक की स्थिति के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने सरकारों को उनके अधीन आने वाले अस्पतालों के लिए मौजूदा आपूर्ति शृंखला प्रणाली के बारे में अपनी स्थिति रिपोर्ट देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय की। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने 28 नवंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादियों को इंजेक्शन के स्टॉक और उनके अधीन आने वाले अस्पतालों के लिए मौजूदा आपूर्ति शृंखला प्रणाली के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। दस दिन में रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिये।’’

अदालत हीमोफीलिया रोग से पीड़ित कई व्यक्तियों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हीमोफीलिया एक दुर्लभ आनुवांशिक रक्त विकार है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस बीमारी का इलाज महंगा है और इसके लिए एंटीहीमोफीलिक फैक्टर (एएचएफ) के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में हीमोफीलिया का इलाज तो उपलब्ध है, लेकिन अक्सर इंजेक्शन का स्टॉक अपर्याप्त होता है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है। याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार को एएचएफ इंजेक्शन की आपूर्ति शृंखला प्रबंधन की निगरानी करने का निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि इसकी आपूर्ति में किसी भी तरह की रुकावट को रोका जा सके।

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