छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने नये संसद भवन के उद्घाटन में ‘सेंगोल’ की मौजूदगी पर उठाया सवाल

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राजदंड (सेंगोल) ब्रिटिश शासन से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन में इसकी मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि रविवार को किस तरह का सत्ता हस्तांतरण हुआ.
प्रधानमंत्री ने रविवार सुबह नये संसद भवन का उद्घाटन किया और चोलकालीन राजदंड को नये संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया. दिल्ली से लौटने पर बघेल ने संवाददाताओं से कहा, ”आज राष्ट्रीय मीडिया में, ब्रिटेन से सत्ता हस्तांतरण और सेंगोल से जुड़ी काफी खबरें हैं. उस समय (1947 में) ब्रिटिश (भारत छोड़ कर) जा रहे थे और सत्ता हस्तांतरण हो रहा था. आज सत्ता का किस तरह का हस्तांतरण हुआ? क्या यह लोकतंत्र से निरंकुशता की ओर जाना है?”
उन्होंने दावा किया कि एक संगठन जो लंबे समय से पंडित जवाहरलाल नेहरू का विरोध कर रहा था, अब खुद का बचाव करने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा कि क्या इससे भी अधिक ‘हास्यास्पद स्थिति’ हो सकती है. उन्होंने संभवत: भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (भाजपा-आरएसएस) की ओर इशारा करते हुए यह कहा.
नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने उत्पाद शुल्क के रूप में छत्तीसगढ़ को 2,600 करोड़ रुपये नहीं मिलने, और आर्थिक सर्वेक्षण तथा जाति आधारित जनगणना फौरन किये जाने की जरूरत का मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा, ”यदि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो आर्थिक सर्वेक्षण और जाति आधारित जनगणना तुरंत की जानी चाहिए. यदि हमें विकसित राष्ट्र बनना है तो हमें विभिन्न राज्यों में रहने वाली विभिन्न जातियों के बारे में जानना होगा, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आय के संदर्भ में पिछड़ गई है.” उन्होंने दिन में प्रदर्शनकारी पहलवानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर केंद्र की आलोचना की और कहा कि जिस व्यक्ति के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज है, वह खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि उनके खिलाफ शिकायत करने वालों को जेल में डाल दिया गया है.
महिला ‘महापंचायत’ के लिए पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नये संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश करने के बाद कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने को लेकर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. पहलवानों ने सुरक्षा घेरा भी तोड़ दिया था. हालांकि, महिला पहलवानों को शाम में छोड़ दिया गया.
शीर्ष पहलवानों ने 23 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन फिर से शुरू किया था. बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.